क्या है ड्रग्स फैक्ट्री की सच्चाई, कैसे और कहां की गई थी प्लानिंग, कैसे मिले इसके आरोपी

1800 करोड़ से ज्यादा की ड्रग्स फैक्ट्री खुलासे में पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। भोपाल के बगरौदा गांव में यह ड्रग्स फैक्ट्री चल रही थी। करीब डेढ़ माह से एटीएस द्वारा रखी जा रही थी नजर। आइए जानते हैं इसकी इनसाइड स्टोरी...

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Madhav Singh
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1814 करोड़ के ड्रग्स मामले ने पूरे प्रदेश को अचंभित कर दिया है। भोपाल पुलिस को भी इस काण्ड के बारे में तब पता चला, जब गुजरात एटीएस और एनसीबी की 15 सदस्यों की टीम ने फैक्ट्री में दबिश दी। यह फैक्ट्री भोपाल के बगरौदा गांव में स्थित प्लॉट नंबर एफ-63 में संचालित हो रही थी। शनिवार की दोपहर करीब 12 बजे शुरू हुई कार्रवाई ने अधिकारियों को चौंका दिया। ड्रग्स बनाने के केमिकल को जब तौला गया तो उसकी मात्रा करीब 907 किलो तक पहुंच गई। बताया गया कि यह कार्रवाई रात करीब नौ बजे तक जारी रही।

18 सौ करोड़ से भी ज्यादा आंकी गई ड्रग्स की कीमत

जो ड्रग्स बरामद किया गया, उसकी कीमत 1814.18 करोड़ रुपये आंकी जा रही है। दबिश के समय फैक्ट्री में अमित प्रकाशचंद्र चतुर्वेदी जो सुल्तानाबाद भोपाल का निवासी है, सान्याल बाने निवासी नासिक महाराष्ट्र मौजूद थे। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। जबकि दो मजदूरों को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं थी कि फैक्ट्री में केमिकल के नाम पर ड्रग्स का उत्पादन किया जा रहा था। मामले में तीसरे आरोपी हरीश आंजना (32) को भी पकड़ा गया है।

ड्रग्स के लिए करते थे क्रिप्टोकरेंसी भी उपयोग

जांच के दौरान पता चला है कि ड्रग्स तस्करी का यह इंटरनेशनल नेटवर्क जेल में तैयार हुआ। आरोपी ड्रग्स खरीदने के लिए क्रिप्टोकरेंसी का भी उपयोग करते थे।

साइंस ग्रेजुएट है प्रकाशचंद्र

पूछताछ के दौरान प्रकाशचंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि वह साइंस ग्रेजुएट है। पहले वह प्राइवेट जॉब करता था। उसने दो बार खुद का व्यवसाय शुरू किया, लेकिन दोनों बार उसे असफलता ही मिली। पहले तो उसने इस बात से मना कर दिया कि उसे फैक्ट्री में तैयार होने वाला कैमिकल नशे के लिए यूज होता है। जब एटीएस ने सख्ती से पूछताछ की तो उसने सच्चाई उगल दी। बताया कि सान्याल बाने से उसकी पहली मुलाकात मुंबई में एक दोस्त के जरिए हुई थी।

जेल में तैयार हुआ था प्लान

बताया गया कि सान्याल ने जेल में कई प्रदेशों के ड्रग्स तस्करों से मुलाकात की थी। जिसमें तुषार गोयल नाम का तस्कर भी शामिल था। सान्याल ने जेल में रहते हुए अमित प्रकाश से फैक्ट्री शुरू करने की योजना बनाई।

फैक्ट्री को फर्नीचर बनाने के लिए लिया गया था

प्रकाश ने बगरौदा में एक फैक्ट्री किराए पर ली। जिसका अलॉटमेंट एके सिंह के नाम था। फैक्ट्री को फर्नीचर बनाने के नाम पर लिया गया था। सान्याल ने इस फैक्ट्री के लिए पूरा निवेश किया था। जिसमें एडवांस और सामान मंगवाने का खर्च शामिल था।

मंदसौर के रास्ते ग्राहकों तक पहुंचा ड्रग्स

बताया गया कि जब फैक्ट्री में ड्रग्स बनाया गया तो हरीश ने मंदसौर के रास्ते ग्राहकों तक पहुंचाया था। इस काम के लिए उसे कमाई रकम का 10 प्रतिशत हिस्सा मिलता था।

डेढ़ महीने से रखी जा रही थी नजर

गुजरात एटीएस सान्याल पर पिछले डेढ़ महीने से नजर रख रही थी। एटीएस ने पाया कि इलाके में एक फैक्ट्री है। जिसका वेंटिलेशन ग्राउंड लेवल पर है। जिससे यह संदेह हुआ कि यह यहां किसी प्रकार के केमिकल का उत्पादन हो रहा है।

फैक्ट्री में मिला 907.09 किलो मेफेड्रोन 

गुजरात एटीएस ने फैक्ट्री से 907.09 किलो मेफेड्रोन बरामद किया। जिसमें ठोस और तरल दोनों रूप शामिल थे। बताया जा रहा है कि फैक्ट्री की मशीनें अत्याधुनिक थीं। जिससे आरोपी पिछले छह महीने से रोजाना 25 से 30 किलो ड्रग्स का उत्पादन कर रहे थे।

आधुनिक और उच्च क्षमता की यूज हो रही थी मशीनरी

फैक्ट्री में जो मशीनें और सिस्टम यूज हो रहा था वह काफी आधुनिक और उच्च क्षमता वाला था। आरोपी पिछले छह महीने से रोजाना 25 से 30 किलो ड्रग्स तैयार कर रहे थे। फैक्ट्री के मालिक का नाम जयदीप सिंह है। 8 साल पहले फैक्ट्री को निर्माण के लिए लीज पर लिया था।

5 हजार किलो कच्चा माल और उपकरण भी मिले

कार्रवाई के दौरान पता चला कि यहां मादक दवा मेफेड्रोन (एमडी) बनाने का काम चल रहा था। इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाला करीब 5 हजार किलोग्राम कच्चा माल और उपकरण भी मिले। इनमें ग्राइंडर, मोटर, ग्लास फ्लास्क, हीटर और अन्य उपकरण शामिल हैं। इन सभी सामग्रियों को आगे की जांच के लिए जब्त कर लिया गया है।

बिना फेस मास्क के फैक्ट्री में जाना असंभव

बताया जा रहा है कि अमित और सान्याल की इस फैक्ट्री में बिना फेस मास्क के जाना संभव नहीं था। जांच के लिए पहुंची टीम का भी एंट्री के कुछ समय बाद दम घुटने लगा था। इसके बाद केमिकल रेजिस्टेंस मास्क मंगवाए गए। जिन्हें पहनकर टीम ने जांच की।

8 दिन की रिमांड पर दोनों आरोपी

दोनों आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर लेने के लिए गुजरात एटीएस ने रविवार शाम को भोपाल न्यायालय में पेश किया। पुलिस दोनों आरोपियों को रविवार को ही गुजरात ले गई। पुलिस को आरोपियों की 8 दिन की रिमांड मिली है।

ड्रग केस में तीसरा आरोपी भी गिरफ्तार

करोड़ों के ड्रग केस में पुलिस ने तीसरे आरोपी हरीश आंजना (32) को भी गिरफ्तार कर लिया है जो कि हरीश मंदसौर जिले का रहने वाला है। वह जिले का कुख्यात तस्कर है। एनडीपीएस एक्ट में उस पर पहले भी कई बार कार्रवाई हो चुकी है।

फैक्ट्री मालिकों पर भी केस दर्ज

जिस फैक्ट्री में ड्रग्स के गोरखधंधे का भंडाफोड़ हुआ, उस फैक्ट्री के मालिकों एसके सिंह और जयदीप सिंह के खिलाफ भोपाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जिस प्लाट पर टीन शेड में संचालित फैक्ट्री चल रही थी वो प्लॉट साल 2017-18 में उद्योग विभाग ने अलॉट किया था। जो साल 2022 में बनकर तैयार हुआ।

किसके नाम पर दर्ज था प्लॉट?

एमपीआईडीसी के डेटा के अनुसार यह प्लॉट मेसर्स वास्तुकार प्रोप्राइटर के नाम से रजिस्टर्ड है। जिसका मालिक जयदीप सिंह है। दो साल बाद यह प्लॉट भेल के रिटायर्ड कर्मचारी एस के सिंह निवासी भोपाल को बेच दिया गया था। उसने 6 महीने पहले अमित चतुर्वेदी निवासी कोटरा सुल्तानाबाद को इसे किराए पर दिया था।

कैसे आंकी गई ड्रग्स की कीमत 1814 करोड़

बताया जा रहा है कि 1 किलो एमडी ड्रग्स की इंटरनेशनल मार्केट में कीमत करीब 5 करोड़ रुपए है। भोपाल फैक्ट्री से 60 किलो ड्रग्स पकड़ा गया है, जिसकी कीमत दिल्ली एनसीबी द्वारा 300 करोड़ आंकी गई है। यह हार्ड फॉर्म में था। लिक्विड मेफेड्रोन की बाजार कीमत 1.5 करोड़ रुपए प्रति लीटर है, वह 840 लीटर मिला है। इसकी कुल कीमत 1260 करोड़ आंकी गई है। एमडी ड्रग्स तैयार करने में इस्तेमाल होने वाले एसीट्रोन, सॉल्वेंट और ब्रोमीन जैसे रॉ मटेरियल 4000 लीटर बरामद हुए। इनकी कीमत करीब 300 करोड़ आंकी गई है। इस तरह ड्रग्स की कुल कीमत 1814 करोड़ रुपए बताई गई है।

क्या थे केमिकल के साइड इफेक्ट? 

ड्रग्स प्रोसेसिंग के समय कई केमिकल्स का प्रयोग होता था। जिनकी वजह से व्यक्ति को उल्टी आना, चक्कर आना, या बेहोश होकर गिरने जैसी स्थिति हो सकती है। 

5 से 6 फीट होती है कारीगरों की ऊंचाई

फैक्ट्री के अंदर काम करने वाले कारीगरों की ऊंचाई सामान्यतः 5 से 6 फीट होती है, जिससे धुआं ज्यादा ऊपर न जाए। इसका ध्यान रखते हुए वेंटिलेशन के इंडस्ट्रियल फैन ग्राउंड लेवल पर रखे जाते हैं, जो तुरंत ऐसे गैसों को बाहर निकाल देते हैं।

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