प्रिया इवेंट को 3.18 करोड़ की रेवड़ी बंटी तो केस जाएगा लोकायुक्त के पास

इंदौर नगर निगम में 150 करोड़ के फर्जी बिल कांड के बाद अब एक नेता की चहेती कंपनी प्रिया इवेंट को 3.18 करोड़ रुपए की रेवड़ी बांटने की तैयारी हो रही है।

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Sanjay gupta
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लाइटरनुमा
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इंदौर नगर निगम में 150 करोड़ के फर्जी बिल कांड के बाद अब एक नेता की चहेती कंपनी प्रिया इवेंट को 3.18 करोड़ रुपए की रेवड़ी बांटने की तैयारी हो रही है। द सूत्र के इस खुलासे के बाद निगम परिसर में हलचल मच गई है और अधिकारी इसमें हाथ डालने से बच रहे हैं। उधर द सूत्र के पास कई जानकारों के फोन आए और इसे फिजूल खर्ची बताने के साथ ही खुलकर कहा कि यह प्रस्ताव पास हुआ तो लोकायुक्त जाएंगे। एमआईसी में आज ( 18 अक्टूबर ) को यह प्रस्ताव रखा जा रहा है। पहले ही घोटालों की जांच में घिरे निगम द्वारा अब एक और मोर्चा खुद खोला जा रहा है। 

इस कंपनी को दिया जा रहा है ठेका

इंदौर की प्रिया इंवेट्स कंपनी को यह ठेका मिला है। इसके कर्ता-धर्ता निमेश पिटालिया हैं। मूल रूप से यह कंपनी इवेंट कराने के लिए जानी जाती है। लेकिन अब इस कंपनी को नगर निगम का सोशल मीडिया हैंडलिंग करने का ठेका दिया जा रहा है। यह ठेका तीन साल के लिए 3.18 करोड़ रुपए का है, यानी हर माह औसतन नौ लाख रुपए और हर दिन का 30 हजार रुपए का। इसका ऑफिस इंदौर में रत्नमणि काम्पलेक्स में एक छोटे से कमरे में खुला हुआ है। वेबसाइट पर इसके पते भोपाल, मुंबई और दुबई में भी बताए गए हैं।

क्या करेगी यह कंपनी

टेंडर के मुताबिक यह कंपनी निगम की इमेज सुधार और उनके कैंपेन के लिए अलग-अलग स्तर पर मैनेजमेंट देखेगी। वीडियो बनाएगी, निगम के खिलाफ कुछ सोशल मीडिया पर चलेगा तो उसका जवाब देगी, निगम के कार्यक्रमों के लिए कैंपेनिंग करेगी। 

इसलिए बोल रहे लोकायुक्त में जाने के लिए

जानकारों ने साफ कहा कि निगम के पास जनसंपर्क की पूरी सुविधा मौजूद है। स्मार्ट सिटी व एआईसीटीएसएल के साथ कई युवा, एनजीओ, विशेषज्ञ जुड़े हुए हैं। ऐसे में जब सरकार ही प्रचार-प्रसार के लिए करोड़ों खर्च कर रही है तो फिर अलग से निगम किसी को उपकृत करने के लिए क्यों यह राशि करने जा रही है। यह विशुद्द कुछ नेता विशेष का अपनी छवि चमकाने और रेवड़ी की बंदरबाट की कोशिश मात्र है। वैसे भी महापौर से लेकर हर एमआईसी सदस्य, पार्षद, अधिकारी सीधे तौर पर मीडिया से बात करते ही हैं। 

संपत्तिकर, जलकर क्या इन्हीं कामों के लिए बढ़ाया

150 करोड़ के फर्जी बिल घोटाले में निगम की करोड़ों की राशि डूब चुकी है। इसकी वसूली की कहीं कोई बात नहीं हो रही है। ईडी इसकी जांच कर रही है। आर्थिक संकट से जूझ रहे नगर निगम में ठेकेदारों के बिल टुकड़ों में 10-20 फीसदी करके चुकाए जा रहे हैं। इन सभी से निपटने के लिए निगम संपत्तिकर, जलकर सभी में इजाफा कर चुका है। उधर लोगों को गंदा पेयजल मिल रहा है, सड़को पर गड्ढे हैं और सफाई को लेकर भी लोग लगातार शिकायत कर रहे हैं। कुल मिलाकर इस राशि से इन मुद्दों को दबाने और छवि चमकाने की कोशिश अधिक होने वाली है।

मिशन विधानसभा 2028 का टिकट

नगर निगम का कार्यकाल जुलाई 2027 तक है और इसके बाद अगले साल 2028 में विधानसभा चुनाव है। तय है कि इस तीन साल में तीन करोड़ की राशि खर्च करके कुछ नेता अपनी व्यक्तिगत तौर पर छवि चमकाने का अधिक प्रयास करेंगे, जिससे आगे जाकर उन्हें इसका राजनितिक लाभ हो और विधानसभा चुनाव के लिए टिकट की दावेदारी मजबूत की जा सके। एक बार यह बजट शुरू हुआ तो फिर इसका हर बार रिन्यू करने और बजट बढ़ाने का सिलसिला शुरू होना तय है।

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