शासकीय मानकुंवर बाई कॉलेज में 70 छात्रों से ब्लैकमेलिंग के मामले में आज राजनीतिक पार्टियों और छात्र दलों ने जमकर हंगामा किया। इस मामले में अभी तक सिर्फ 2 ही लोगों पर FIR दर्ज हुई हैं जिस पर कांग्रेस और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विरोध प्रदर्शन कर जबलपुर एसपी से कार्रवाई की मांग की है।
ब्लैकमेलिंग मामले में एक बड़ा खुलासा
70 छात्राओं से ब्लैकमेलिंग मामले में एक बड़ा खुलासा हुआ है। इस ब्लैकमेलिंग कांड में एक ही व्हाट्सएप ग्रुप ( whatsapp group ) की लड़कियों को टारगेट किया गया जिसकी एडमिन स्कूल की टीचर्स और कुछ लड़कियां हैं। अब ऐसे में जिस ग्रुप में किसी नए सदस्य को एडमिन ही जोड़ सकता है उस ग्रुप में इन ब्लैकमेलर्स (Blackmailers ) का जुड़ना अब सवाल खड़े कर रहा है।
कॉलेज व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े ब्लैकमेलर
यह ब्लैकमेलिंग का सिलसिला कॉलेज के ही एक व्हाट्सएप ग्रुप ने जुड़े नंबरों से ही चल रहा था। इस मामले में जब द सूत्र की टीम ने पीड़ित छात्रा से बात की तो उसने बताया कि यह ब्लैकमेलिंग जुलाई माह से चल रही है। उसकी एक साथी को जुलाई के महीने में ब्लैकमेल कर 20 हजार रुपए की मांग की गई थी। हालांकि इस पीड़ित छात्रा को तीन दिन पहले ब्लैकमेल किया गया है और पिछले मामले में क्या कार्रवाई हुई है इसके बारे में ऐसी कोई जानकारी नहीं है । पीड़ित छात्रा ने बताया कि पहले भी 2-3 छात्राए ब्लैकमेलर को पैसे दे चुकी है। उसने बताया कि जिस व्हाट्सएप ग्रुप से छात्राओं के नंबर इस्तेमाल कर शिकार बनाया गया उसके एडमिन कुछ अभिभावक, कुछ छात्राएं और कॉलेज के टीचर हैं। आरोपियों के चार फोन नंबर इस ग्रुप में जुड़े थे, जिन्होंने छात्राओं को ब्लैकमेलिंग का शिकार बनाया है। हालांकि पीड़ित छात्र सहित अन्य पीड़ितों को यह नहीं पता कि, इन नंबरों को कॉलेज के ग्रुप में किसने जोड़ा था। ब्लैकमेलिंग की घटनाएं सामने आने के बाद जब छात्रों ने इस मामले को लेकर कॉलेज की प्रिंसिपल से शिकायत की तो प्रिंसिपल ने उन नंबरों को उस ग्रुप से हटा दिया। महिला महाविद्यालय के व्हाट्सएप ग्रुप में इस तरह से अपराधियों का जोड़ा जाना तो यही इशारा कर रहा है कि या तो इस ब्लैकमेलिंग के पीछे का मास्टरमाइंड इस ग्रुप में ही छुपा है या व्हाट्सएप ग्रुप की किसी छात्रा को ब्लैकमेल कर आरोपियों ने ग्रुप में घुसपैठ की है । अब मामले की पूरी जांच के बाद ही इसका पूरा सच सामने आ सकता है।
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एबीवीपी और कांग्रेस ने लिया पुलिस को आड़े हाथ
इस मामले में कांग्रेस सहित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी जबलपुर एसपी आफिस में विरोध प्रदर्शन किया। कांग्रेस के पूर्व विधायक विनय सक्सेना ने पुलिस पर आरोप लगाए कि 70 छात्रों के साथ ब्लैकमेल होने के बाद भी सिर्फ 2 छात्राओं की FIR दर्ज कर पुलिस भी मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने अभी तक किसी महिला अधिकारी को छात्राओ से बात करने के लिए कॉलेज नहीं भेजा है। जिस पर उन्होंने एक वरिष्ठ महिला अधिकारी के नेतृत्व में SIT गठित करने की मांग की जिससे छात्राओं से बात कर मामले की तह तक पहुंचा जा सके। ABVP ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए, पुलिस को चेतावनी दी है कि यदि पीड़ित छात्राओं को न्याय नहीं मिला तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
आखिर किसको बताए अपनी पीड़ा
छात्राओं ने बताया कि जब इसकी बात कॉलेज के टीचरों से की तो उन्होंने निजी मामला है कहकर बात को दबाने की कोशिश की। साथ ही कॉलेज कुछ नहीं कर सकता है ये कहकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया । कुछ छात्राओं के अभिभावकों ने इस ब्लैकमेलिंग की जानकारी देने पर अपने ही बच्चों को गलत ठहराते हुए कह दिया की इसमें तुम्हारी ही कोई गलती होगी। इस तरह की सोच चौंकाने वाली तो है ही, साथ ही यह हमारे समाज की सोच के उस पहलू को भी मजबूत कर रहा है, जिसमें महिलाओं से होने वाले अपराध में अपराधी की जगह पीड़ित को ही दोषी बना दिया जाता है। यही कारण है कि इस तरह के अपराधों के शिकार होने वाले बच्चे अपने माता पिता से भी जानकारी साझा करने में कतराते हैं।
छात्राओं की अस्मिता पर हमले को पुलिस बता रही साइबर फ्रॉड
इस घटना को लेकर प्रदर्शन करने पहुंचे कार्यकर्ताओं और छात्र, छात्राओं सहित आम नागरिकों में भी आक्रोश है। इस प्रकार की घटनाएं छात्राओं की अस्मिता पर हमला है, लेकिन पुलिस अब तक सिर्फ इसे साइबर फ्रॉड बता रही है। पुलिस को मामले की गंभीरता को समझते हुए सभी पहलुओं की जांच कर आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी करनी चाहिए।