यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में खाली रह गईं 8 लाख से ज्यादा सीटें, प्रवेश लेने में छात्रों में बेरुखी

छात्रों की संख्या बहुत कम रहने की स्थिति के चलते अब उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय खाली सीट भरने की कोशिश कर रहे हैं। सीटें खाली रहने की स्थिति का कॉलेजों के संचालन और पढ़ाई पर क्या असर होगा इसको लेकर प्रबंधन भी चिंतित हैं।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. काउंसलिंग खत्म होने के बाद भी प्रदेश के कॉलेजों में स्नातक और स्नातकोत्तर यानी यूजी-पीजी पाठ्यक्रमों में सीटें खाली रह गई हैं। प्रवेश के लिए चले तीन  सीएलसी राउंड के बाद अब तक निजी और सरकारी कॉलेज मिलाकर केवल 2.69 छात्रों ने भी प्रवेश लिया है। जबकि लगभग 8 लाख सीटें अभी भी खाली रह गई हैं। वहीं बीते सत्र में प्रदेश के निजी और सरकारी कॉलेजों में 5.93 लाख छात्र-छात्राओं ने प्रवेश लिया था। इसके पीछे यूजीसी द्वारा पाठ्यक्रमों के फ्रेमवर्क में किए गए बदलाव को वजह बताया जा रहा है। छात्रों की संख्या बहुत कम रहने की स्थिति के चलते अब उच्च शिक्षा विभाग और विश्वविद्यालय खाली सीट भरने की कोशिश कर रहे हैं। सीटें खाली रहने की स्थिति का कॉलेजों के संचालन और पढ़ाई पर क्या असर होगा इसको लेकर प्रबंधन भी चिंतित हैं।

प्रवेश के लिए विद्यार्थियों में बेरुखी 

शिक्षा सत्र 2024-25 के लिए प्रदेश के सरकारी और निजी कॉलेजों में यूजी और पीजी पाठ्यक्रमों में 10.59 लाख सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई थी। करीब डेढ़ माह में प्रवेश के लिए तीन सीएलसी राउंड हुए जिनमें केवल 2.69 लाख सीट ही भर पाई हैं। अब भी कॉलेजों में 8 लाख सीटें खाली हैं। नई शिक्षा नीति लागू होने और यूजीसी यानी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा यूजी-पीजी के फ्रेमवर्क में बड़ा बदलाव किया गया है। अब स्नातक पाठ्यक्रम की अवधि चार साल होगी। पीजी डिप्लोमा एक साल का होगा जबकि तकनीकी पाठ्यक्रमों में यह अवधि दो साल होगी। पाठ्यक्रमों में छात्र_ छात्राओं को अलग-अलग क्रेडिट अंकों का भी प्रावधान नए फ्रेमवर्क में किया गया है। अभी प्रदेश में खासतौर पर ग्रामीण अंचल के छात्रों में इसको लेकर असमंजस की स्थिति है। इसका असर भी प्रवेश प्रक्रिया पर नजर आ रहा है। क्योंकि अंचल के निजी और सरकारी कॉलेजों में पहले की तरह छात्रों में प्रवेश को लेकर दिलचस्पी नहीं दिख रही है। 

खाली सीटें भरने की जुगत में प्रबंधन 

तीन सीएलसी राउंड के बाद कॉलेजों में खाली सीट भरने को लेकर उच्च शिक्षा विभाग नई तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है इसके लिए यूजीसी से भी मार्गदर्शन मांगा गया है। भोपाल स्थित बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता यूनिवर्सिटी के साथ ही प्रदेश के दूसरे विश्वविद्यालय और उनसे संबद्ध कॉलेज CUET ( कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट ) से खाली सीटें भरी जा सकती हैं। हालांकि इसमें देरी होते देख बरकतउल्ला विश्वविद्यालय ने हायर सेकेण्डरी की मेरिट के आधार पर यूजी में प्रवेश देने की तैयारी कर ली है। इसके लिए यूनिवर्सिटी ने टीचिंग डिपार्टमेंट के यूजी पाठ्यक्रमों के प्रवेश के लिए नियमों में भी बदलाव कर काउंसलिंग भी चालू कर दी है। वहीं  लॉ और एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के यूजी पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत सीट कॉमन यूनिवर्सिटी टेस्ट से बाहर रखी हैं। यानी इन पर बिना टेस्ट के प्रवेश दिया जा सकेगा।   

उच्च शिक्षा पर कसावट के लिए आयोग 

नई शिक्षा नीति लागू करने के बाद अब केंद्र सरकार ने अलग-अलग राज्यों में उच्च शिक्षा में ढांचागत बदलाव के लिए आयोग का गठन कर  रही है। भारतीय उच्च शिक्षा आयोग के गठन को लेकर केंद्रीय  शिक्षा मंत्रालय ने भी काम तेज कर दिया है। आयोग के पास देश के सभी राज्यों में उच्च शिक्षा को एकीकृत स्वरूप देने की जिम्मेदारी होगी। विधि और चिकित्सा विज्ञान के पाठ्यक्रमों को छोड़कर पूरी उच्च शिक्षा आयोग के दायरे में होगी। आयोग सरकारी और निजी क्षेत्र की यूनिवर्सिटी के साथ ही कॉलेजों में भी प्रवेश प्रक्रिया से लेकर परीक्षा और रिजल्ट पर भी नजर रखेगा। सरकार ने आयोग का स्वरूप भी तैयार कर लिया है। अभी केंद्र और देश के अलग-अलग राज्यों में उच्च शिक्षा के संचालन के लिए 11 संस्थाएं काम कर रही हैं।

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