महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुधारने और उनके सशक्तिकरण का एक प्रमुख साधन मानी जा रही लाड़ली बहना योजना, अब भ्रष्टाचार का शिकार हो गई है। योजना के तहत पात्र महिलाओं के खातों में हर महीने ₹1,250 जमा किए जाते हैं, लेकिन भिंड जिले से आई एक खबर ने प्रशासन और योजना की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां लाड़ली बहनाओं का पैसा भैया के खाते में जाने का मामला सामने आया है। यह अपने तरह का पहला मामला है।
कैसे हुआ घोटाला?
भिंड जिले के फूप कस्बे के वार्ड 8 की रहने वाली संतोषी देवी और सरसई गांव की कंचन देवी ने शिकायत दर्ज कराई है कि पिछले दो महीनों से उनके लाड़ली बहना योजना के पैसे किसी और के खाते में जा रहे हैं। जांच में सामने आया है कि:
- संतोषी देवी का पैसा अकाउंट नंबर 5702940258 में ट्रांसफर हो रहा है, जो अनका अकाउंट है ही नहीं।
- कंचन देवी का पैसा रामकुमार पगारे नामक व्यक्ति के खाते (अकाउंट नंबर 5702730397) में जा रहा है।
हैरानी की बात यह है कि 9 नवंबर को रामकुमार पगारे के खाते में आठ अन्य महिलाओं के पैसे भी जमा हुए हैं।
सवालों के घेरे में प्रशासन और बैंकिंग प्रणाली
लाड़ली बहना योजना का भुगतान आधार आधारित है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि पैसे केवल पात्र महिलाओं के खातों में ही जाएं। लेकिन इस घोटाले ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
- आधार आधारित भुगतान में गड़बड़ी कैसे हुई?
- महिलाओं के खाते किसी और के खातों से कैसे जुड़े?
- यह गड़बड़ी किस स्तर पर हुई-ग्राम पंचायत, बैंक, या जिला प्रशासन?
यह घटना न केवल भ्रष्टाचार का मामला है, बल्कि यह महिलाओं के अधिकारों पर एक सीधा हमला है। सरकार की योजना, जो महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, अब उन्हीं महिलाओं के लिए एक परेशानी बन गई है।
प्रशासन की चुप्पी और अनिश्चितता
जिला प्रशासन के अधिकारी इस मामले पर कैमरे के सामने बोलने से बच रहे हैं। हालांकि, वे जांच और कार्रवाई का आश्वासन दे रहे हैं।
कैसे लगी योजना में सेंध?
thesootr की पड़ताल में यह साफ हुआ है कि यह घोटाला सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की शाखाओं से जुड़ा हुआ है। दोनों संदिग्ध खाते इसी बैंक में हैं। यह गड़बड़ी तकनीकी त्रुटि है या जानबूझकर की गई धोखाधड़ी, इसका जवाब अब तक नहीं मिला है। विशेषज्ञों का मानना है कि बैंक कर्मचारियों और स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इस प्रकार की गड़बड़ी संभव नहीं है।
क्या होना चाहिए अगला कदम?
- पारदर्शी जांच: जिला प्रशासन को बैंकिंग रिकॉर्ड की गहन जांच करनी चाहिए।
- जिम्मेदारों पर कार्रवाई: दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
- प्रक्रिया की समीक्षा: योजना के भुगतान प्रक्रिया में सुधार किया जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की गड़बड़ी रोकी जा सके।
- पीड़ित महिलाओं का पैसा वापस: जिन महिलाओं का पैसा अन्य खातों में गया है, उन्हें शीघ्र ही मुआवजा दिया जाए।
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