बंटोगे तो कटोगे… देश भर में इस मुद्दे पर चल रही बहस के बीच 108 मुनि श्री प्रमाणसागर महाराज ने इंदौर में अपने अहम विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आपस में ही बंट जाएंगे तो छंट जाएंगे, बच नहीं पाएंगे। उन्होंने कई और मुद्दों पर अपनी राय रखी।
क्या बोले बंटने और कटने जैसे मुद्दे पर?
महाराज ने कहा कि एकता और अखंडता को तो बनाकर रखनी ही चाहिए, आपस में बंट जाएंगे तो हम बच नहीं पाएंगे। अनेकता में एकता भारतीय संस्कृति का प्राण रही है और आज भी है, जो करो अपने हिसाब से करो लेकिन दूसरों के प्रति असहिष्णु नहीं बनना चाहिए। हमारे अंदर धार्मिक कट्टरता नहीं होना चाहिए, दूसरों के पंथ के प्रति भी सहिष्णु होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि हम अपने धार्मिक पूजा स्थल की पवित्रता को खंडित करें, वह बनाए रखना भी हमारी जिम्मेदारी है। जहां तक बात है बंटोगे तो कटोगे की तो हमें अपनी एकता और अखंडता को तो बनाकर रखना ही चाहिए, यदि हम आपस में ही बंट जाएंगे तो हम छंट जाएंगे, बच नहीं पाएंगे।
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महाकुंभ को लेकर यह बोले
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बयान कि जो गंगा, शिव और राम को नहीं मानते, उनका महाकुंभ में क्या काम है? इस पर महाराज ने कहा कि कौन जाए या नहीं जाए यह अलग बात है लेकिन सवाल यह है कि हम क्यों जा रहे हैं, यदि उद्देश्य नीतिगत है तो हमे जाना चाहिए, मन में श्रृद्धा नहीं तो जाने का सवाल नहीं।
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भारत कहें या इंडिया
महाराज ने भारत या इंडिया शब्द को लेकर कहा कि इंडियन का अर्थ जाहिल होता है तो यह हमारे लिए गाली ही है। भारत भा शब्द से बना है जो प्रकाश का प्रतीक है, हमें भारत ही बनाना है।
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