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Photograph: (the sootr)
मध्य प्रदेश के ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने जल संसाधन विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा से 33.79 करोड़ रुपए की राशि की मांग की है। यह राशि प्रदेश की तीन प्रमुख विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा जल संसाधन विभाग पर बकाया भुगतान के लिए मांगी गई है।
ACS नीरज मंडलोई का कहना है कि जल संसाधन विभाग के दफ्तरों और जल संरचनाओं के लिए जो बिजली कनेक्शन दिए गए हैं, उनकी बकाया राशि लगातार बढ़ रही है, जो 33.79 करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।
केंद्र सरकार का अनुदान लोन में कन्वर्ट होगा
अपर मुख्य सचिव मंडलोई ने पत्र में यह भी चेतावनी दी है कि यदि समय पर बिल का भुगतान नहीं किया गया तो केंद्र सरकार की रिवेम्पड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (RDSS) के तहत मिलने वाला 60% अनुदान लोन में बदल जाएगा।
इस अनुदान को लोन में कन्वर्ट करने का सीधा असर प्रदेश की बिजली कंपनियों के इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रमोशन और उनकी वाणिज्यिक स्थिरता पर पड़ेगा।
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कोयला कंपनियों को पेमेंट न होने से जनरेशन पर असर
यदि जल संसाधन विभाग द्वारा बिजली बिल बकाया राशि का भुगतान समय पर नहीं होता है, तो बिजली जनरेशन कंपनियों को भुगतान में देरी होगी। इससे प्रदेश की बिजली सप्लाई पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि कोयला कंपनियों को भुगतान में मुश्किलें सामने आएंगी।
यह स्थिति बेरोकटोक बिजली सप्लाई में रुकावट डाल सकती है, जिससे आम लोगों यानि बिजली उपभोक्ताओं को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।
कंपनियों पर बकाया राशि के आंकड़ेतीन प्रमुख विद्युत वितरण कंपनियों में बकाया राशि इस प्रकार है:
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मप्र के प्रमुख जिलों पर बकाया राशि
पूर्व क्षेत्र: टीकमगढ़ जिले में 3.80 करोड़, रीवा में 3.11 करोड़, शहडोल में 2.91 करोड़।
मध्य क्षेत्र: राजगढ़ में 4.55 करोड़, भिंड में 2.43 करोड़, सीहोर में 1.98 करोड़।
पश्चिम क्षेत्र: मंदसौर में 2.94 करोड़, आगर में 1.62 करोड़, धार में 92 लाख रुपए।
क्या है केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना
आरडीएसएस (Revamped Distribution Sector Scheme) योजना केंद्र सरकार द्वारा बिजली वितरण कंपनियों की कार्यकुशलता और वित्तीय स्थिरता सुधारने के लिए बनाई गई है। इस योजना के तहत 60% अनुदान दिया जाता है, जो समय पर भुगतान न होने पर लोन में कन्वर्ट हो सकता है। यह योजना बिजली आपूर्ति के सुधार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
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