इंदौर जिला कोर्ट में पदस्थ अपर सत्र न्यायाधीश ( एडीजे ) पंकज यादव को हाईकोर्ट इंदौर ने सस्पेंड करने का आदेश जारी कर दिया है। उनके एक जमानत आदेश को लेकर शिकायत हुई थी, जिसकी हुई गोपनीय जांच में पाया गया कि उन्होंने दायरे के बाहर जाकर यह जमानत दी थी। वहीं इस मामले में पुलिस भी मामले में घिरी थी, लेकिन वह बच गए।
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यह था मामला
पुलिस ने एक फ्लैट मालिक से 151 किलो एमडी ड्रग बरामद की थी। उसकी सुप्रीम कोर्ट से भी अग्रिम जमानत खारिज हो गई। वह पुलिस के पास सरेंडर हुआ और फिर उसे कोर्ट में पेश किया गया। मुख्य न्यायाधीश जिनके कोर्ट में यह केस आया वह दो दिन की छुट्टी पर थे और पंकज यादव प्रभार में थे।
जब कोर्ट में केस आया तो उन्होंने पुलिस से प्रतिवेदन नहीं मांगा। इसी के साथ एक तय क्वांटिटी से ज्यादा ड्रग्स मिली हो तो जमानत नहीं होगी, वह भी नहीं देखा। साथ ही जमानत देने का आधार होता है कि वह फिर से अपराध नहीं करेगा। अपराध रिकॉर्ड पर नहीं दिख रहा था, जबकि रिकॉर्ड पर था कि जब्ती उससे ही हुई है। वह खुद फ्लैट का मालिक भी है, लेकिन इन सभी तथ्यों के परे जाकर आरोपी को जमानत दी गई।
पुलिस ने भी जमकर की थी लापरवाही
वहीं इस मामले में पुलिस की ओर से भी हद दर्जे की लापरवाही की गई, उन्होंने लिखकर दे दिया कि उन्हें पुलिस रिमांड की जरूरत नहीं है, जबकि वह पुलिस के पास सरेंडर हुआ था और कोई पूछताछ भी नहीं हुई थी। वहीं ना ही कोई प्रतिवेदन कोर्ट ने ना मांगा और ना ही पुलिस ने दिया। इसके चलते आरोपी छूट गया।
विजिलेंस विंग की जांच में पाई गई अनियमितता
हाई कोर्ट की विजिलेंस विंग ने एडीजे पकंज यादव के आदेश की हुई शिकायत की विस्तृत जांच की और इसमें अनियमितता पाई। इस पर उन्हें निलंबित कर दिया गया है। विंग ने गोपनीय जांच कर प्रतिवेदन चीफ जस्टिस को दिया था, उनके निर्देश के बाद निलंबित किया गया है।
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