तीन बार बदला था ऐशबाग ROB का डिजाइन, पहले 30, फिर 45 और बनते-बनते हुआ 90 डिग्री ब्रिज

भोपाल के ऐशबाग ओवरब्रिज में डिज़ाइन गड़बड़ी उजागर हुई है। ब्रिज का एंगल तीन बार बदला गया और अंत में तकनीकी रूप से खतरनाक 90 डिग्री पर निर्माण किया गया। बिना सहमति पीलर जोड़कर जुगाड़ से स्लैब डाला गया।

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Rohit Sahu
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90 degree bridge
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भोपाल के ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज (ROB) को लेकर लोक निर्माण विभाग (PWD) की जांच रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है। शुरुआत में ब्रिज को 30 डिग्री एंगल पर बनाना था, फिर 45 डिग्री किया गया और अंत में इसे 90 डिग्री एंगल पर बना दिया गया। ब्रिज के वीडियो फोटो सामने आने के बाद इसका जमकर मजाक उड़ा इसके बाद मंत्री अफसरों ने तरह तरह की सफाई दीं। हाल ही में मुख्यमंत्री ने कहा कि ब्रिज की खामियां दूर नहीं होंगी तब तक वे इसका उद्घाटन नहीं करेंगे।

बिना सहमति बने पीलर, डिजाइन इंजीनियर पर उठे सवाल

PWD द्वारा गठित तीन सदस्यीय तकनीकी समिति जिसमें बीपी बौरासी, पीसी वर्मा और ईई प्रवीण निगम शामिल थे। टीम ने जांच के बाद एक रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट के अनुसार तीसरे पीलर के पीछे एक अतिरिक्त पीलर बनाकर स्लैब को जुगाड़ से रखा गया। रिपोर्ट के अनुसार डिजाइन को मंजूरी देने वाले चीफ इंजीनियर संजय खांडे, जीपी वर्मा और ईई सबाना रज्जाक को दोषी माना गया है।

मुख्यमंत्री ने दिए कार्रवाई के निर्देश

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को रिपोर्ट मिलने के बाद उन्होंने साफ निर्देश दे दिए कि जब तक ब्रिज की तकनीकी खामियां नहीं सुधारी जातीं, तब तक इसका उद्घाटन नहीं होगा। उन्होंने रिपोर्ट में आए प्रत्येक बिंदु पर कड़ी कार्रवाई के संकेत भी दिए हैं।

रेलवे और PWD में नहीं समन्वय

जांच में यह भी सामने आया कि रेलवे और PWD के बीच समन्वय की भारी कमी रही। रेलवे का कहना है कि यदि स्पान को संयुक्त रूप से रखा जाता तो तीव्र मोड़ की समस्या नहीं आती। वहीं PWD का पक्ष है कि उन्होंने रेलवे को तीन बार पत्र भेजे, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अब जांज के बाद रेलवे और PWD दोनों के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर कार्रवाई की जाएगी।

जुगाड़ से पूरा किया निर्माण

PWD की रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया है कि तकनीकी खामी सामने आने के बावजूद कार्य नहीं रोका गया। ब्रिज को जुगाड़ से बनाकर पूरा किया गया। जांच रिपोर्ट अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई को सौंपी गई है और रेलवे को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।

ब्रिज के सभी खर्चो का लिया जाएगा हिसाब

पीडब्ल्यूडी के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि सीएम ने दो प्रमुख निर्देश जारी किए हैं। पहला, 2018-19 और 2020-21 के दौरान इस परियोजना पर निगरानी रखने वाले अधिकारियों की पहचान की जाएगी। साथ ही इसके डिजाइन की स्वीकृति देने वाले को स्पष्ट किया जाएगा। इसके लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। दूसरा, रेलवे से समन्वय करके ब्रिज की मरम्मत के लिए आवश्यक सभी खर्चो का हिसाब लिया जाएगा और उसे स्वीकृत किया जाएगा।

18 करोड़ रुपए का है प्रोजेक्ट

अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि जनता के टैक्स से बनने वाले इस ब्रिज का निर्माण में इतनी बड़ी लापरवाही और अब इसपर खर्च हुए पैसे का हिसाब कौन देगा। यह रेलवे ओवरब्रिज 18 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जा रहा है। 2017-18 में स्वीकृति होने के बाद छह साल बाद भी काम पूरा नहीं हो सका है। जनवरी 2023 में रेलवे और पीडब्ल्यूडी ने इसके डिजाइन को अंतिम रूप दिया था और इस पर काम शुरू किया गया था। अब इसका ये रूप सामने आया। 

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