अक्षय कांति बम पर धारा 307 का केस चलेगा, चुनाव के चलते आरोप लगाने की बात कही थी, आदेश में आया चुनाव से कोर्ट प्रभावित नहीं होता

अक्षय कांति बम ने अपर सत्र न्यायालय में रिवीजन दायर की थी। बम ने कहा था कि 17 साल बाद यह धारा जोड़ी गई, यह चुनाव के कारण विद्वेष भावना से मेरे खिलाफ कराया गया। इसमें गवाह और सबूत नहीं थे और ना ही तर्क हुए, इसके बिना ही यह धार जुड़ गई है। 

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Sanjay gupta
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Akshay Kanti bam
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कांग्रेस के लोकसभा प्रत्याशी और ऐनवक्त पर बीजेपी में शामिल होने वाले अक्षय कांति बम पर हत्या के प्रयास की धारा 307 में केस चलेगा। इस मामले में रिवीजन याचिका में गए बम को राहत नहीं मिली है और साफ कर दिया गया कि इस फैसले में हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं बनता है। प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी की कोर्ट ने 17 साल मामले में उनके व पिता कांति बम के खिलाफ धारा 307 बढ़ाए जाने के आदेश जारी किए थे।

बम की ओर से अधिवक्ता अजय मिश्रा ने पक्ष रखा, वहीं शासन ने से अपर लोक अभियोजक योगेश जायसवाल और फरियादी की ओर से अधिवक्ता मुकेश देवल ने पक्ष रखा था।

यहां लगाई थी बम ने याचिका

इस आदेश के खिलाफ अक्षय ने अपर सत्र न्यायालय में रिवीजन दायर की थी। बम ने कहा था कि 17 साल बाद यह धारा जोड़ी गई, यह चुनाव के कारण विद्वेष भावना से मेरे खिलाफ कराया गया। इसमें गवाह और सबूत नहीं थे और ना ही तर्क हुए, इसके बिना ही यह धार जुड़ गई है। 

कोर्ट ने कहा सबूत मौजूद है धारा 307 के

गुरुवार को अपर सत्र न्यायालय विनोद कुमार शर्मा ने अक्षय की अर्जी खारिज कर दी। साथ ही कहा जेएमएफसी कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं दिखता है। कोर्ट ने साफ कहा कि उस समय चुनाव चल रहा था, इससे कोर्ट की कार्रवाई प्रभावित नहीं होती है।

प्रथमदृष्या सबूत मौजूद है कि कांति बम ने सतबीर को फरियादी यूनूस पर गोली चलाने के आदेश दिए थे, यदि मौत हो जाती तो हत्या का केस 302 बनता। तर्क भी 5 अप्रैल 2024 को हुए थे। साथ ही अपराध में धारा बढ़ाने के लिए कोई समयसीमा नहीं होती है। यह पुलिस को देखना चाहिए था कि उस समय यह बात क्यों नहीं आई।  

जब कांग्रेस में थे जब बढ़ी थी धारा

केस की सुनवाई भी 21 अगस्त को होगी। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से जब प्रत्याशी थे तब अक्षय व उनके पिता कांति बम के खिलाफ 17 साल पुराने मामले में धारा 307 बढ़ाई गई थी। इस मामले में उन्हें कोर्ट में भी पेश होना था। लेकिन वह झूठ बोलकर कोर्ट में पेश नहीं हुए, जिसके बाद कोर्ट ने वारंट जारी कर दिया था।

इसके बाद अग्रिम जमानत का आवेदन लगाया और हाईकोर्ट से राहत मिली। इसके बाद अक्षय ने धारा 307 हटाने को लेकर रिवीजन दायर की थी। कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अपर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा की कोर्ट के समक्ष रिवीजन पर सुनवाई हुई थी।

यह है मामला

साल 2007 का केस है। इसमें फरियादी यूनूस का कहना है कि उनसे अक्षय व पिता कांति बम ने जमीन का सौदा किया और 50 लाख रुपए बयान देना था। लेकिन यह राशि नहीं दी और जमीन पर कब्जे का प्रयास किया। इसके लिए वह सिक्यूरिटी एजेंसी मालिक सतबीर के साथ कुछ लोगों को लेकर खेत पर आ गए, खेत में आग लगा दी और कांति बम के कहने पर सतबीर ने उन पर गोली चला दी, लेकिन वह बच गए। इस मामले में खजराना थाने में केस दर्ज हुआ लेकिन यह धारा 307 नहीं लगाई गई।

sanjay gupta

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