आखिरकार 5 साल बाद आबकारी अधिकारी आलोक खरे के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मिल गई है। सहायक आबकारी आयुक्त और वर्तमान में रीवा डीसी आलोक खरे के घर 2019 में आय से अधिक संपत्ति मामले में लोकायुक्त द्वारा छापेमारी की गई थी। इस कार्रवाई में 150 करोड़ रुपए से अधिक की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ था।
लोकायुक्त ने छापेमारी के दौरान भोपाल, इंदौर, रायसेन और छतरपुर में उनके सात ठिकानों पर छापे मारे। इन छापों में नकदी, सोना, फार्महाउस और महंगे पेंटहाउस के दस्तावेज मिले। रायसेन के फार्महाउस में फल उत्पादन की आय दिखाने के बावजूद, ट्रकों के नंबर ऑटो रिक्शा के निकले थे।
मिला था तीन किलो सोना
इस कार्रवाई में आलोक खरे के यहां से 3 किलो सोना मिल था। लोकायुक्त पुलिस की जांच में भोपाल के चुनाभट्टी और बाग मुगालिया में 2 बड़े बंगले और कोलार में फॉर्म हाउस की जमीन के दस्तावेज मिले थे। इसके अलावा रायसेन में 2 फॉर्म हाउस का भी खुलासा हुआ। जबकि खरे ने अपनी पत्नी के इनकम टैक्स रिटर्न में रायसेन में फलों की खेती से आय होना बताया था। खरे परिवार के साथ अक्सर पर्यटन स्थलों पर घूमने जाते थे। उन्हें महंगी होटलों में रुकने का भी शौक है। सिर्फ यही नहीं दफ्तर से घर जाने के लिए निकलने से करीब बीस मिनट पहले वह कार का एसी चालू करवा लेते थे, ताकि कार पूरी तरह से ठंडी हो जाए।
यही नहीं प्रशासनिक संकुल स्थित दफ्तर में यह तब आकर बैठे थे, जब उनके लिए 85 हजार रुपए की कुर्सी और सवा लाख रुपए की टेबल मंगवाई गई थी। छापे के बाद लोकायुक्त पुलिस ने खरे की पत्नी को भी बनाया आरोपी बनाया है। वे 1998 में जिला आबकारी अधिकारी पद पर भर्ती हुए थे। वह खंडवा, सीहोर, रतलाम, झाबुआ, धार, इंदौर और भोपाल में तैनात भी रहे।
ईडी कर सकती है जांच
आलोक खरे पर आरोप है कि उन्होंने सरकारी पद का दुरुपयोग करते हुए अपनी संपत्ति में असामान्य वृद्धि की। लोकायुक्त पुलिस की जांच के अनुसार, उन्होंने 34 लाख रुपए से अधिक का सीए परामर्श शुल्क चुकाया। इसके अलावा, उनके पास महंगी कुर्सी, टेबल, और एसी चालू रखने जैसी सुविधाओं का शौक था।
अब आबकारी विभाग ने अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी है। प्रमुख सचिव अमित राठौर ने इस मामले की फाइल को स्वीकृत कर विभागीय मंत्री और उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा को भेजा। माना जा रहा है कि ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच शुरू कर सकती है। लोकायुक्त पुलिस अब अदालत में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत चालान पेश करेगी। इससे आलोक खरे की मुश्किलें बढ़ने की संभावना है।
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