मध्य प्रदेश में एक बार फिर पशुओं की गिनती होने जा रही है। इनमें गाय, भैंस, कुत्ते, ऊंट, घोड़े, गधे, बकरी, मुर्गे आदि पशु शामिल हैं। इस पशु गणना की खास बात यह है कि हर पशु का डेटा ऑनलाइन होगा। इसका कलेक्शन टैब के जरिए होगा। अगले महीने यानी अक्टूबर या नवंबर से पशुओं की गिनती शुरू हो जाएगी, जो अगले तीन महीने तक चलेगी। पिछली बार इनकी गिनती साल 2019 में हुई थी, उस समय एमपी में कुल 6 करोड़ पशु थे।
21वीं बार गिनती होने जा रही
जानकारी के लिए बता दें कि साल 2019 में गिने गए पशुओं की संख्या 20 थी, जबकि अब 21वीं बार गिनती होने जा रही है। इस काम को करने के लिए राज्य में साढ़े 6 हजार कंप्यूटर ऑपरेटर और सुपरवाइजर तैनात किए जाएंगे, जो सभी 55 जिलों में घर-घर जाकर 1 करोड़ 80 लाख परिवारों की गिनती करेंगे। इस गिनती में वे अपने टैब के जरिए सीधे 'पशु गणना सॉफ्टवेयर' में डेटा फीड करेंगे। जिसमें पशुओं की नस्लों की भी जानकारी होगी।
पशु गणना का क्या है उद्देश्य?
कंप्यूटर जब पशुओं की फोटो स्कैन करेगा तो सॉफ्टवेयर के जरिए पशुओं की नस्ल की जानकारी मिल जाएगी। इससे पशुओं की नस्ल का भी पता चल जाएगा। 2019 की गणना में सभी प्रकार के पशुओं की संख्या करीब 6 करोड़ थी। इस बार यह संख्या दोगुनी होने की संभावना है। इसके पीछे मकसद लोगों में पशुपालन के प्रति रुझान बढ़ाना है।
गांव और शहरों में बनाए गए शहरी वार्ड
गांवों में 5264 और शहर में 728 शहरी वार्ड बनाए गए हैं। गांवों में 3 हजार और शहरी क्षेत्रों में 4 हजार परिवारों पर 1 कम्प्यूटर कर्मी नियुक्त किया गया है। इन पर सुपरवाइजर भी नियुक्त किए गए हैं। इस प्रकार कुल 5558 कम्प्यूटर कर्मी और 970 पर्यवेक्षक इस काम को देखेंगे।
पशुओं की गणना से पहले ट्रेनिंग
पशुओं की गणना से पहले भोपाल में राज्य स्तर पर सेमिनार और ट्रेनिंग दी गई। गुरुवार को आयोजित प्रशिक्षण में पूरी जानकारी दी गई। मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव अलका उपाध्याय ने तैयारियों के संबंध में ऑनलाइन संदेश दिया। कार्यशाला का उद्घाटन पशुपालन एवं डेयरी निदेशक पीएस पटेल ने किया।
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