अपोलो क्रिएशंस ग्रुप के निर्मल अग्रवाल और गढ़ा गोल्फ लिंक कॉलोनी के प्रमुख सुरेंद्र सिंह गढ़ा सहित अन्य रसूखदारों को करोड़ों का लाभ पहुंचाने के लिए मास्टर प्लान की सड़क खिसकाने का मामला जांच एजेंसियों के पास पहुंच गया है।
इसमें टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (TCP) के अधिकारियों के साथ ही आईडीए (IDA इंदौर विकास प्राधिकरण) के अधिकारियों की भी शिकायत हुई है। वहीं ईओडब्ल्यू ने जांच भी शुरू कर दी है।
इन अधिकारियों को बताया गया है जिम्मेदार
इस मामले में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी TCP) के तत्कालीन संयुक्त संचालक एस, मुदगल, सहायक संयुक्त संचालक सारंग व टीएंडसीपी के सभी अन्य अधिकारी जो इस मामले को देख रहे थे। उन सभी को जिम्मेदार बताया गया है।
वहीं आईडीए (इंदौर विकास प्राधिकरिण IDA) की योजना अधिकारी रत्ना बोचरे, प्रमुख योजना कंसलटेंट मयंक जगवानी, टीपीएस स्कीम 9 के प्रमुख रामेशवर रूपाले को मुख्य तौर पर जिम्मेदार बताया गया है।
मास्टर प्लान की मूल शीट से इस तरह किया शिफ्ट
मास्टर प्लान की जो मूल शीट थी, इसमें यह 45 मीटर चौड़ी रोड कहां पर है, इसकी पूरी लोकेशन है। यहा पर आईडीए की पहले स्कीम 175 लाई गई, बाद में यह हटी तो स्कीम टीपीएस 9 हुई। इसी बीच में गुपचुप तरीके से जो शीट पर इस रोड के लिए मास्टर प्लान रोड लिखा गया था, उसे आईडीए स्कीम की रोड लिख दिया गया।
कारण मास्टर प्लान की रोड खिसक नहीं सकती है, लेकिन आईडीए अपनी स्कीम की रोड में बदलाव कर सकता है। इसी से सबसे बड़ा खेल हो गया। इसके बाद टीएंडसीपी और आईडीए के अधिकारियों ने सांठगांठ कर इस रोड को 30 मीटर खिसका दिया।
नीली रोड मूल मास्टर प्लान रोड है और गुलाबी रोड 30 मीटर खिसका दी गई रोड
रोड के खिसकाने से हो गया करीब 150- 200 करोड़ रुपए का खेल
इसके खिसकाने से अपोलो क्रिएशंस ग्रुप के निर्मल अग्रवाल और गढ़ा गोल्ड लिंक के प्रमुख सुरेंद्र सिंह गढ़ा को सबसे बड़ा फायदा हुआ। निर्मल अग्रवाल को करीब 20 हजार वर्गफीट का फायदा हुआ और उनके बंगले का नक्शा भी टीएंडसीपी ने रोड वाइड जीरो दिखाते हुए नक्शा पास कर दिया। वहीं इसके आगे गढा गोल्फ लिंक है, इसके फ्रंट के प्लाट का औसतन 2500 वर्गफीट का फायदा हुआ, यह कॉलोनी की पूरी लंबाई में जाता है।
इससे आगे के प्लॉट जो रोड में जाने के कारण नक्शे पास नहीं हो सकते थे। इसी के कारण बिक्री से रूके थे, अब उन सभी को फायदा होगा। इसके साथ ही अन्य रसूखदार भूस्वामी की जमीन है, इसी तरह गढ़ा गोल्फ क्लब के सामने की जमीन है।
इन सभी को मिलाकर केवल इसी हिस्से में ही दो लाख वर्गफीट जमीन का फायदा रसूखदारों को मिल रहा है, जो 150 से 200 करोड़ रुपए का खेल है।
केवल अभी इसी हिस्से में आईडीए ने शुरू किया बीच से काम
आईडीए अधिकारियों ने इसमें एक और खेला किया। उन्होंने यहां आ रही शिकायतों को देखते हुए रसूखदारों को फायदा पहुंचाने के लिए रोड का काम ही बीच से शुरू कर दिया ताकि यहां काम करके, जिन्हें नक्शे पास कराना है, वह टीएंडसीपी से नक्शे पास करा लें। इस बीच के हिस्से में रोड का काम शुरू कर दिया गया, लेकिन जब तिलकगनर एक्सटेंशन सेक्टर बी के रहवासियों ने उनके प्लाट से रोड बनने का काम देखा तो इस पर आपत्तियां ली।
वहीं निजी भूस्वामियों ने भी इसे लेकर पीएमओ, सीएम मोहन यादव, सीएस वीरा राणा के साथ ही सभी जांच एजेंसियों को औपचारिक तौर पर लिखित शिकायत कर दी। वहीं हाईकोर्ट में भी एक याचिका लग गई, जिसके बाद यथास्थिति बनाए रखने का आदेश हो गया।
यह है पूरा मामला
यह मामला टीपीएस स्कीम 9, जो कनाडिया तहसील के टिगरिया राव का है। यहां पहले स्कीम 175 थी बाद में इसका नाम टीपीएस 9 हुआ। यहां मूल स्कीम में मास्टर प्लान की 45 मीटर चौड़ी रोड़ निकल रही है। इसमें मास्टर प्लान की रोड को लेकर आपत्तियां बुलाई, लेकिन बाद में इसे आईडीए की स्कीम की रोड आगे के नक्शों में दिखाया गया, क्योंकि मास्टर प्लान की रोड बदली नहीं जा सकती जबकि स्कीम की रोड में बदलाव हो सकता है।
यह रोड मूल प्रस्तावित जगह से करीब 33 मीटर खिसकाई गई है। इसके चलते तो अपोलो क्रियशंस और गढ़ा की जमीन के सर्वे नंबरों से जो मास्टर प्लान की रोड अंदर 35 मीटर तक जा रही थी, वह केवल 16 मीटर रह गई। इस रोड में जो पहले निर्मल अग्रवाल की जमीन का 2460 वर्गमीटर एरिया जा रहा था वह इस शिफ्टिंग के कारण केवल 790 वर्गमीटर एरिया रह गया। करीब 1670 वर्गमीटर एरिया का फायदा निर्मल अग्रवाल को हुआ।
तिलकनगर एक्सटेंशन रहवासियों के इन सर्वे नंबर से निकाल दी रोड
- इस मामले में तिलकनगर एक्सटेंशन के सेक्टर बी के कई भूखंड धारक प्रभावित हो रहे हैं। क्योंकि रोड शिफ्टिंग के चलते अब यह उनके सर्वे नंबर 39/1/1 और 39/1/2 के प्लाट से होकर गुजर रही है।
- यह कॉलोनी दी टेक्सटाइल वर्कर्स को आपरेटिव हाउसिंग सोसायटी की है। इस जमीन के आईडीए की स्कीम से पहले ही टीएनसीटी नक्शा मंजूर है और इन्हें आईडीए की स्कीम से मुक्त रखा गया है। इसके साथ ही कई अन्य सर्वे अब रोड़ शिफ्टिंग के कारण प्रभावित हो रहे हैं और छोटे प्लाटधारक निजी जमीन स्वामी इस बड़े खेल में परेशान हो रहे हैं।
thesootr links