धार भोजशाला सर्वे के लिए ASI को मिला समय , 4 जुलाई को पेश करना होगी रिपोर्ट

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया का कहना है कि कैंपस को किसी तरह का नुकसान न हो, इसलिए धीमे काम हो रहा है। अभी 50 फीसदी काम हो चुका है तथा जीपीएस वाला काम बाकी है।

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Marut raj
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ASI gets time for survey of Dhar Bhojshala report will have to be presented on July 4 द सूत्र
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संजय गुप्ता, INDORE. धार भोजशाला सर्वे ( Dhar Bhojshala Survey ) मामले में हाईकोर्ट इंदौर ने 11 मार्च को आदेश जारी कर 6 सप्ताह में सर्वे करने के आदेश दिए थे। इस मामले में अब ASI यानि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने हाईकोर्ट से 8 सप्ताह का समय और मांगा था। इसे हाईकोर्ट ने सोमवार को मंजूर कर लिया। अब अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी जिससे पहले रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा गया है। 

ASI  से पूछा गया क्यों हो रही देर

हाईकोर्ट ने समय देने से पहले एएसआई से पूछा कि तय समय में यह सर्वे पूरा क्यों नहीं हुआ। इस पर अधिवक्ता हिमांशु जोशी ने कहा कि कैंपस काफी बड़ा है और हम डिटेल रिपोर्ट देना चाहते हैं, साथ ही चाहते हैं कि कैंपस को किसी तरह का नुकसान नहीं हो, इसलिए धीमे काम हो रहा है। अभी 50 फीसदी काम हो चुका है और अभी जीपीएस वाला काम बाकी है। हाईकोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई के पहले रिपोर्ट पेश कर दें, इसके बाद समय नहीं दिया जाएगा। अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी। हिंदू फ्रंट की ओर से विष्णुशंकर जैन और विनय जोशी ने पक्ष रखा था। 
 ASI ने पत्र में बताया था परिसर की मूल संरचना छिपी हुई
एएसआई ने भले ही पत्र में अभी 8 सप्ताह का समय भर मांगा है और रिपोर्ट नहीं दी है। लेकिन पत्र में लिखी कुछ लाइन से यह संभावना तेज हो गई है कि यहां की मूल संरचना को छिपाया गया है। पत्र में एक प्वाइंट में लिखा है कि- स्मारक की बारीक जांच करने पर यह देखा गया है कि प्रवेश द्वार बरामदे में भराव, संरचना की मूल विशेषताओं को छिपा रहा है। इस काम को बहुत सावधानी से करने की की जरूरत है। मूल संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचे, जो धीमी गति से होता है और समय लगने वाली प्रक्रिया है। 
यह भी लिखा गया था पत्र में-
भोजशाला सह कमल मौला मस्जिद के परिसर की सीमा से गोलाकार 50 मीटर के रिंग को बनाकर काम किया जा रहा है। 22 मार्च से सर्वे का काम शुरू किया गया है। वैज्ञानिक उपकरणों का प्रयोग कर काम किया जा रहा है। पूरे स्मारक का विस्तृत दस्तावेजीकरण हो राह है। उत्खनन एक व्यवस्थित और धीमी प्रक्रिया है। संरनचाओं को समझने में समय की जरूरत है। इसलिए कृपया आठ सप्ताह का समय और दिया जाए। 
 हाईकोर्ट ने यह कहा था आदेश में-
हाईकोर्ट ने अपने आदेश के प्वाइंट 29 में कहा था कि पूरे भोजशाला व कमाल मौलाना मस्जिद परिसर का सर्वे, उत्खनन नई वैज्ञानिक पद्धित से किया जाए। इसमें जीपीएस, जीपीआर तकनीक के साथ कार्बन डेटिंग व अन्य नई तकनीक से पूरा सर्वे किया जाए। परिसर की बाउंड्रीवाल से 50 मीटर दूरी तक की सर्वे किया जाए। इस सर्वे के लिए एएसआई के कम से कम सीनियर अधिकारी की कमेटी होना चाहिए। सर्वे काम का पूरा वीडियोग्राफी हो। परिसर के हर बंद पड़े कमरे, खुले परिसर, खंबे सहित सभी की पूरी तरह से विस्तार सर्वे किया जाए। हिंद पक्ष के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन व विनय जोशी ने कहा कि हमारी याचिका स्वीकर हो गई है। बाकी मुद्दे पर हाईकोर्ट रिपोर्ट आने पर फैसला करेगा।
हाईकोर्ट याचिका में यह है पक्षकार-
हाईकोर्ट में दायर याचिका में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ट्रस्ट, रंजना अग्निहोत्री, आशीष गोयल, आशीष जनक, मोहित गर्ग, जितेंद्र बिसने, सुनील सास्वत ने याचिका दायर की है। इसमें केंद्र सरकार, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई), आर्कियोलॉजिकल ऑफिसर, मप्र सरकार, डिला कलेक्टर, एसपी, मौलाना कमालुद्दीन थू इट्स प्रेसीडेंट अब्दुल समद खान, श्री महाराजा भोजशाला संस्थान समिति को पार्टी बनाया गया है।

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