धार भोजशाला पर ASI की रिपोर्ट से साफ है मंदिर तोड़कर बनी मस्जिद, 8 एक्सपर्ट में तीन मुस्लिम भी शामिल

रिपोर्ट में साफ तौर पर है कि नया वर्तमान स्ट्रक्चर मंदिर तोड़कर बनाया गया है। इस संबंध में सैंकड़ों सबूत दिए गए हैं। रिपोर्ट एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. आलोक त्रिपाठी ने बनाई है, लेकिन इसमें शामिल आठ एक्सपर्ट में तीन मुस्लिम भी है।

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Sanjay gupta
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INDORE. धार भोजशाला मामले में 98 तक दिन चले पुरातत्व विभाग (ASI) की सर्वे रिपोर्ट 15 जुलाई यानी सोमवार को हाईकोर्ट में सबमिट हो गई है। करीब 2200 पन्नों की इस रिपोर्ट में मंदिर को लेकर किसी तरह की शंका, और कितुं-परंतु नहीं है। रिपोर्ट में साफ तौर पर है कि नया वर्तमान स्ट्रक्चर मंदिर तोड़कर बनाया गया है। इस संबंध में सैंकड़ों सबूत दिए गए हैं। रिपोर्ट एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. आलोक त्रिपाठी ने बनाई है, लेकिन इसमें शामिल आठ एक्सपर्ट में तीन मुस्लिम भी है। रिपोर्ट सभी की सहमति से बनी है। एक्सपर्ट में जुल्फीकार अली, डॉ. आफताब हुसैन, डॉ. इजहर अली हाशमी, डॉ. भुवन विक्रम, डॉ. गौतम भट्‌टाचार्य. डॉ. मनोज कुर्मी, डॉ. शंभू यादव और डॉ. नीरज शामिल है। हालांकि अंतिम फैसला आने पहले साल 2004 से लेकर अभी तक हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट में लगी विविध याचिकाएं का कानूनी पेंच बाकी है। 

एक बार नहीं बार-बार लिखा है मंदिर को लेकर

मंदिर को लेकर एक जगह एएसआई के सर्वे में साफ है कि- यह परिसर मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। 

सर्वे में पाया गया कि यहां मस्जिद के बाहर महमूद शाह खिलजी द्वारा साल 1465 में लगवा गया गेट है। इसमें इबारत लिखी है। इसमें साफ लिखा है कि एक बहादुर व्यक्ति यहां तक पहुंचा और उसने औऱ् साथ आई भीड़ ने मंदिर के पुतले और मूर्तियों को तोड़ दिया और मस्जिद बनाई। 

यह परिसर (भोजशाला) तीन चरणों में बना है, अभी की स्थिति तीसरे चरण की है। पहल चरण 10-11वीं शताब्दी का है जो परमार कालीन है। यहां राजा नारावर्मन (साल 1094-1133) के प्रमाण मिले हैं।

यहां कई ईंट व अन्य सामग्री बता रही है कि इनका उपयोग कर बाद में मस्जिद में बदला गया।

बड़े डोम में कमल बना है।SA यहां पर 106 पिलर्स व 82 छोटे पिलर्स है, जो मंदिर के हिस्से और इनका पुनर्निमाण में उपयोग हुआ है।

31 सिक्के भी मिले हैं

यहां पर परमार कालीन सिक्के मिले हैं। साथ ही दिल्ली सल्तनत, मुगल काल, ब्रिटिश काल के भी कुल 31 सिक्के चांदी, एल्यूमिनियम और तांबे के मिले हैं। 



94 मूर्तियां मिली है, ऊं सरस्वते नम: लिखा है

यहां पर 94 मूर्तियां मिली है, जिसमें गणेश, ब्रह्मा, भैरव आदि बने हैं तो साथ ही शेर, हाथी, बंदर, कुत्ता, घोड़ा, सांप आदि भी बने हुए स्ट्रक्चर है। कुछ जगह पर ऊं सरस्वतेए नम:, ओम नम: शिवाय लिखा हुआ है। 

दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट गए

इस केस में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस, मौलाना कलामउद्दीन वेलफेयर सोसायटी धार व अन्य पक्षकार है। दोनों ही पक्ष सुप्रीम कोर्ट गए हैं। मुस्लिम पक्ष जहां इस सर्वे को लेकर खुश नहीं है और वह इस पर रोक लगाने के लिए गए हैं। वहीं हिंदू पक्ष इसलिए गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक नहीं लगाई लेकिन कोई भी फैसला देन पर रोक लगाई है। हिंदू पक्ष चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में रोक हटाए, जिससे हाईकोर्ट फैसला कर सके। हाईकोर्ट ने भी सभी पक्षों से कहा था पहले रोक हटवाई फिर ही फैसला सुनाएंगे। सुप्रीम कोर्ट जल्द इस मामले में सुनवाई कर सकता है, उधर हाईकोर्ट में एएसआई रिपोर्ट पर 22 जुलाई को सुनवाई नियत है। 

अभी अंतिम फैसला आने से पहले पुरानी याचिकाओं का रहेगा पेंच

इस मामले में कोई भी फैसला इंदौर हाईकोर्ट तभी सुना सकता है जब सुप्रीम कोर्ट से रोक हटे। इसके साथ ही पुरानी याचिकाओं का भी अलग पेंच हैं जो अभी नहीं साल 2004 से लगी हुई है। 

1. साल 2003 में हुआ आर्डर जिसमें हिंदू पक्ष को तय दिन पर फूल की पंखुडी, चावल के दाने लेकर जाकर पूजन का अधिकार मिला था। इसके खिलाफ मुसलिम पक्ष ने 2004 में जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई है। यह अभी चल रही है।

2.साल 2019 में भी मुस्लिम पक्ष ने एक और याचिका लगाई जिसमें कहा गया कि कोर्ट के पंखुड़ी और चावल के दाने ले जाने के आदेश की अवमानना हो रही है यहां पर फोटो, मंजीरे, ढोलक आदि सभी लेकर जा रहे हैं। यह भी याचिका भी लंबित है।

3.इसी को देख हिंदू पक्ष ने एक मई 2022 में इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की इसे मंदिर घोषित किया जाए और पूरी तरह से पूजन का अधिकार हो।

4.इसी हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की इसी याचिका पर इंदौर हाईकोर्ट ने 11 मार्च 2024 को एएसआई के सर्वे के आदेश दिए गए

इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। इसमें एक अप्रैल को आदेश हुए सर्वे पर रोक नहीं लेकिन मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं हो और कोई भी फैसला सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बिना नहीं होगा। रिपोर्ट को सावर्जनिक नहीं करें।

5.मुस्लिम पक्ष ने 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की और कहा कि एक अप्रैल के आदेश का पालन नहीं हो रहा है और सर्वे गलत तरीके से हो रहा है। यह भी अभी लंबित है। 

6. अब हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने सर्वे रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट में मेंशन लिया है और कहा है कि फैसला करने की रोक संबंधी लगे आदेश को हटाया जाए, जिससे हाईकोर्ट इंदौर सर्वे रिपोर्ट के आधार पर फैसला कर सके। 

बीती सुनवाई में 4 जुलाई को इंदौर हाईकोर्ट में यह हुआ

यूनियन की ओर से अधिवक्ता हिमांशु जोशी ने पक्ष रखा और कहा कि सर्वे काम हो चुका है। वहीं मुस्लिम पक्ष से सलमान खुर्शीद वर्चुअल जुड़े, उन्होंने कहा कि सर्वे काम अब नहीं होना चाहिए। भोज उत्सव समिति की ओर से शिरीष दुबे और याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता विनय जोशी ने भी तर्क रखे। वहीं जैन समाज ने भी एएसआई के सर्वे में निकले अवशेषों के आधार पर इसे जैन समाज का होने की बात रखी है और इसके लिए याचिका लगाई है। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि आपकी याचिका को सुनवाई पर आने दीजिए फिर सुना जाएगा।

अभी तक 1700 अवशेष मिल चुके हैं

भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट में व्यापकता रहेगी। 194 स्तंभों के 8-8 फोटो लिए गए हैं। इस तरह से कई भागों की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी की गई है। शिलालेखों का अनुवाद किया गया है। प्राप्त करीब 1700 अवशेषों की विशेषज्ञों की रिपोर्ट है। इस तरह से रिपोर्ट व उसके सहयोगी दस्तावेज हजारों पेज में पहुंचने का अनुमान है, इसलिए समय भी लग रहा है। वहीं, सर्वे संपन्न होने के बाद हिंदू पक्ष के आशीष गोयल ने कहा कि अंतिम दिन सात अवशेष मिले, इनमें छह बड़े हैं। यह पिलर और दीवार के हैं। एक देवी की खंडित प्रतिमा भी मिली है। साथ ही ब्रह्मा जी की भी प्रतिमा मिली है। इससे पहले भी कई प्रतिमा मिली थी। अभी तक 1700 के करीब अवशेष मिले हैं। इनमें 650 काफी महत्वपूर्ण है। चुतुर्भुज नारायण, गणेश जी और ब्रह्मा जी समेत कई देवी देवताओं की प्रतिमा मिली है। गौरतलब है कि भोजशाला को हिंदू पक्ष के लोग वाग्देवी का मंदिर मानते हैं। वहीं, मुस्लिम लोग इसे कमाल मौलाना मस्जिद बताते हैं। अभी दोनों पक्ष के लोगों को अलग-अलग दिन जाने की अनुमति है।

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