विधानसभा सत्र में जहां कांग्रेस नर्सिंग घोटाले पर सरकार को घेर रही है। वहीं बीजेपी सरकार अपने ही विधायकों के मानसून सवालों से भी पशोपेश में है। सीएम डॉ. मोहन यादव विधायकों को अपने आवास पर बुलाकर बैठकर भी कर चुके हैं। बावजूद लंबी समझाइश का असर बीजेपी विधायकों पर नजर नहीं आ रहा है।
बीजेपी विधायक ही सवालों से सरकार को कसते रहे
विधानसभा में पांचवें दिन भी बीजेपी विधायक अपनी ही सरकार पर सवालों की बौछार करते दिखे। वहीं सरकार के मंत्री भी इन सवालों पर कुछ असहज नजर आए। बजट सत्र में सरकार को कटघरे में खड़ा करने कांग्रेस के पास केवल नर्सिंग घोटाला ही है। सदन में चर्चा के दौरान कांग्रेस के विधायक दूसरे किसी मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद नहीं कर पाए। वहीं इस बार अधिकारियों के रवैए और विभागों के कामों से असंतुष्ट बीजेपी विधायक ही सवालों से सरकार को कसते रहे। विधानसभा में बीजेपी के विधायकों ने अपने किन सवालों से अपनी ही सरकार को घेरा 'द सूत्र' ने ऐसे सवालों को खंगाला है। आपको बताते हैं बीजेपी के विधायक अपनी ही सरकार से क्यों नाराज हैं। सीएम द्वारा बुलाकर समझाइश देने के बाद भी विधायक सदन में सवालों की बौछार क्यों करते रहे? क्या विभाग ओर अधिकारी सत्ता पक्ष के विधायकों को अनदेखा अनसुना कर रहे हैं। इसके पीछे आखिर वजह क्या है जानते हैं ?
विधानसभा में इन विधायकों ने अपनी ही सरकार को घेरा...
1. मोहन सिंह राठौर, विधायक भितरवार (ग्वालियर)
प्रश्न : जिन लोगों को वन अधिकार पत्र दिए गए हैं वन विभाग उन्हें बेदखल क्यों कर रहा है। 30 वर्षों से किसानों के नाम पर दर्ज भूमि जिन पर किसान क्रेडिट कार्ड भी बने हुए हैं अब ऐसी जमीनों को अहस्तांतरणीय क्यों और किसके आदेश पर किया जा रहा है। विधायक ने वन विभाग से इसका पूरा ब्योरा भी मांगा है।
जवाबः बीजेपी विधायक के सवाल के जवाब में सरकार की ओर से वन अधिकार प्राप्त करने वालों की बेदखली करने से इंकार किया गया है। वहीं भूमि अहस्तांतरणीय करने के जवाब में विधायक को बताया गया कि कलेक्टर के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है। हांलाकि विधायक इससे संतुष्ट नहीं दिखे।
2. सतीश मालवीय, विधायक घट्टिया (उज्जैन)
प्रश्न : सीएम डॉ. मोहन यादव के जिले के विधायक सतीश मालवीय ने नर्मदा गंभीर जलप्रदाय प्रोजेक्ट को लेकर सवाल किया है। उन्होंने प्रोजेक्ट के निर्माण पर खर्च, लाभान्वित होने वाले और प्रोजेक्ट से छूटे गांव सहित इसके पूरा होने की समयसीमा की जानकारी मांगी है। परियोजना के कारण क्षतिग्रस्त सड़कों के सुधार पर भी विधायक ने सरकार का ध्यान खींचा है।
जवाब: अपने ही दल के विधायक के सवाल पर सरकार की ओर से सधा हुआ उत्तर दिया गया है। प्रोजेक्ट से किसी भी गांव के नहीं - छूटने की जानकारी भी दी गई है। यह तो बताया गया है कि प्रोजेक्ट के दौरान सड़कों की खुदाई जरूरी होती हैं लेकिन यह नहीं बताया गया कि इन्हें कब तक दुरुस्त कराया जाएगा।
3. रमेश प्रसाद खटीक, करैरा (शिवपुरी)
प्रश्नः करैरा क्षेत्र की आंगनवाड़ी और स्कूलों में पेयजल व्यवस्था के लिए टेंडर स्वीकृत करने और फर्म के कामों की जानकारी पीएचई के कार्यपालन यंत्री द्वारा क्यों नहीं दी गई। क्या क्या काम कराए गए हैं, कितनी गहराई के कितने नलकूप खोदे गए उनका ब्योरा उपलब्ध कराएं। विधायक विभाग के अधिकारी के रवैए पर नाराज थे।
जवाब: सरकार की ओर से पीएचई के अधिकारी द्वारा स्कूल आंगनवाड़ियों में जलप्रदाय के टेंडर का ब्यौरा न देने पर कोई जवाब नहीं दिया गया। हांलाकि सदन में विधायक को टेंडर की लागत, फर्म का नाम और स्कूल आंगनवाड़ियों की संख्या उन्हें बताई गई। विधायक भी इसी से नाराज थे कि सरकार तो जवाब दे रही है पर अधिकारी जनप्रतिनिधियों को अनदेखा कर रहे हैं।
4. अर्चना चिटनीस, बुरहानपुर
प्रश्न : वरिष्ठ विधायक अर्चना चिटनीस ने उद्यानिकी फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को फसल बीमा का लाभ न मिलने पर उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग को घेरा। उन्होंने कहा अब तक प्रदेश भर में ऐसे किसानों की फसलों का बीमा नहीं हो पाया है। केंद्र सरकार ने नियम बदलें है फिर भी विभाग ने इसके लिए एडब्लूएस की स्थापना नहीं की है जिससे ऑटोमेटिक व्यवस्था हो सके। विभाग कब तक ऐसा करेगा ताकि प्रदेश के किसानों को इसका लाभ मिले।
जवाब : बीजेपी विधायक के सवाल पर मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा ने कहा टेंडर जारी किए गए हैं लेकिन रेट ज्यादा आने के कारण उन्हें खोला नहीं जा सका। अब केंद्र सरकार के नए निर्देश के आधार पर निर्णय लिया गया है। लेकिन मंत्री समय सीमा नहीं बता पाए कि उद्यानिकी फसल लेने वाले किसानों को बीमा का लाभ कब तक मिलेगा।
5. धीरेन्द्र बहादुर सिंह, बड़वारा (कटनी)
प्रश्न : बीजेपी विधायक ने जिले में अमानक खाद्यान्न वितरण पर सरकार पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा गुणवत्ताहीन अमानक राशन वितरण की शिकायतों पर कलेक्टर को शिकायत की जा रही हैं लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई। सरकार ये बताए कि जिला प्रशासन द्वारा शिकायतों पर कार्रवाई न करने की वजह क्या है। उन्होंने भंडारण केंद्रों के निरीक्षण करने वाले अधिकारी ओर तारीखों की जानकारी भी चाही।
जवाब: मंत्री गोविंद सिंह की ओर से अमानक खाद्यान्न वितरण की शिकायतों को माना गया। साथ ही बताया गया कि गुणवत्ताहीन राशन की जानकारी खबरों के माध्यम से मिलने पर नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा खाद्यान्न बदलकर दूसरा उपलब्ध कराया गया था। हालांकि मंत्री जिला प्रशासन और विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने के बारे में कुछ नहीं बोले। इस वजह से विधायक भी संतुष्ट नजर नहीं आए।