राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त जेल अधीक्षक को चार साल की कैद, मांगी थी तीन हजार की रिश्वत

मध्‍य प्रदेश। राष्ट्रपति से सम्मानित उप जेल अधीक्षक रमेश शर्मा को रिश्वत लेने के आरोप में चार साल की सजा मिली है। उन्होंने जेल में बंद युवक से सदाचरण प्रमाण पत्र बनाने के एवज में तीन हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।

author-image
Sanjay Dhiman
New Update
jailar ko jail

Photograph: (the sootr)

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

भारत में भ्रष्टाचार से निपटने के लिए तमाम कानून और संस्थाएं कार्यरत हैं। हाल ही में, एक वरिष्ठ जेल अधिकारी को रिश्वत लेने के आरोप में सजा दी गई है। यह मामला गुना जिले का है, जहां उप जेल अधीक्षक रमेश शर्मा को चार साल की सजा सुनाई गई है। इन पर आरोप था कि उन्होंने एक युवक से सदाचरण प्रमाण पत्र (Character Certificate) जारी करने के बदले तीन हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी। इस घटना ने न केवल कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई, बल्कि भ्रष्टाचार से निपटने में हम सभी को एक बार फिर सोचने पर मजबूर किया।

वर्ष 2007 में राष्ट्रपति उत्क्रष्ट कार्यो के लिए हुए थे सम्मानित

रमेश शर्मा को वर्ष 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित किया गया था। उन्हें यह सम्मान उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए दिया गया था, जो गुना जिले में स्थित जेल में उनकी सेवाओं का परिणाम था। हालांकि, पिछले साल 2016 में एक गंभीर आरोप में उनका नाम सामने आया।

प्रॉपर्टी डीलर से मांगे थे 3 हजार 

ग्वालियर में प्रॉपर्टी डीलर देशराज तोमर, जो हत्या के प्रयास के आरोप में जेल में था, को जेल से सदाचरण प्रमाण पत्र (Character Certificate) की आवश्यकता पड़ी। इस प्रमाण पत्र का उपयोग वह अपने कोर्ट केस में लाभ प्राप्त करने के लिए करना चाहता था। इसके लिए उसने 8 दिसंबर 2016 को जिला जेल के उप जेल अधीक्षक रमेश शर्मा से मुलाकात की। रमेश शर्मा ने उसे प्रमाण पत्र देने के बदले तीन हजार रुपये की मांग की। देशराज ने पहले 500 रुपये की रिश्वत दी और शेष ढाई हजार रुपये की राशि को 16 दिसंबर 2016 को शर्मा को दी। यह पूरी प्रक्रिया लोकायुक्त की जांच के दायरे में आई और अंततः उप जेल अधीक्षक को गिरफ्तार कर लिया गया।

चार साल की सजा और पांच सौ रुपए जुर्माना

सजा सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय ने उप जेल अधीक्षक रमेश शर्मा को चार साल की सजा और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। इस फैसले से भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून की सख्ती को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित एक व्यक्ति का रिश्वत लेने का मामला समाज में एक गहरी छाप छोड़ता है। 

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃

🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

रिश्वत भ्रष्टाचार जेल कानून ग्वालियर न्यायाधीश