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आयुष्मान भारत योजना की आड़ में मरीजों से लाखों रुपए की वसूली का चौंकाने वाला खुलासा इंदौर के 65 निजी अस्पतालों की जांच के बाद हुआ है। भोपाल से आई निरीक्षण टीम ने जब इन अस्पतालों का जायजा लिया, तो सामने आया कि कई मरीजों से मुफ्त इलाज की सुविधा होते हुए भी मोटी रकम वसूली गई। इस गंभीर लापरवाही और फर्जीवाड़े के चलते 12 अस्पतालों को नोटिस जारी किए गए हैं। इनसे सात दिन के भीतर जवाब मांगा गया है। यह कार्रवाई योजना की शिकायत शाखा के महाप्रबंधक की ओर से की गई है।
अस्पतालों पर लगे गंभीर आरोप
आयुष्मान भारत निरामयम योजना की जांच में इंदौर के जिन अस्पतालों की गड़बड़ियों का खुलासा हुआ, उनमें फर्जी बिलिंग और तय पैकेज से अधिक वसूली मिली है। साथ ही दस्तावेजों का पोर्टल पर अपलोड न करना, जरूरी प्रमाणपत्र की वैधता समाप्त होना और प्रचार सामग्री की अनुपलब्धता जैसी खामियां पाई गईं।
जांच में सामने आई चौंकाने वाली गड़बड़ियां
विशेष जूपिटर अस्पताल:
मरीज मोहनलाल से 3 लाख रुपए की अवैध वसूली।
गजानंद से 11 हजार रुपए की वसूली।
इन मामलों में गहन जांच जारी।
कन्वेंशनल हॉस्पिटल लिमिटेड:
तय सीमा से अधिक शुल्क लिया गया।
इंदौर ट्रामा सेंटर:
अस्पताल परिसर में योजना से संबंधित कोई सूचना या बोर्ड प्रदर्शित नहीं था।
इंदौर सिटी हॉस्पिटल:
बायो मेडिकल वेस्ट प्रमाणपत्र की वैधता समाप्त पाई गई।
मरीजों के दस्तावेज पोर्टल पर अपलोड नहीं किए गए।
कियोस्क सेंटर और प्रचार सामग्री भी नहीं मिली।
वी-1 अस्पताल:
मोहनलाल नाम के मरीज से 29,750 रुपए की अवैध वसूली की पुष्टि।
वेदांता हॉस्पिटल:
पांच मरीजों को योजना के तहत भर्ती किया गया।
राजा नामक मरीज का पैर काटा गया, वह योजना का पात्र था, फिर भी लाभ नहीं मिला।
शुभलाल से निर्धारित सीमा से 10 हजार रुपए अधिक लिए गए।
33 मरीजों के डिस्चार्ज के बाद बिल क्लेम ही नहीं किए गए।
चार मरीजों—आरती, नमोनारायण, मधुसूदन और कविता—के नाम पर फर्जी बिलिंग उजागर हुई।
प्रशासन सख्त, अस्पतालों से मांगा जवाब
सूत्रों के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि दोषी पाए जाने वाले अस्पतालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। फिलहाल 12 अस्पतालों को नोटिस देकर सात दिनों में स्पष्टीकरण मांगा गया है। यदि संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो अनुबंध निरस्त करने से लेकर आर्थिक दंड तक की कार्रवाई की जाएगी।
क्या है आयुष्मान भारत योजना?
यह योजना गरीब और जरूरतमंद परिवारों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देने के लिए शुरू की गई है। निजी अस्पतालों के साथ अनुबंध कर सरकार यह सुविधा देती है, लेकिन अब इस योजना का दुरुपयोग सामने आ रहा है, जिससे जरूरतमंदों को लाभ नहीं मिल पा रहा।
निगरानी तंत्र की पोल खुली
इस प्रकरण ने आयुष्मान योजना के क्रियान्वयन और निगरानी तंत्र पर सवाल खड़े कर दिए हैं। कई अस्पताल तय मानकों का पालन नहीं कर रहे और गरीब मरीजों से धोखाधड़ी कर रहे हैं। अब यह देखना होगा कि शासन-प्रशासन इस मामले में कितनी सख्ती बरतता है।