BHOPAL : गरीबों के हिस्से का राशन लगातार गायब हो रहा है। सरकार के दावों के बावजूद उचित मूल्य की दुकानों से हजारों क्विंटल गेहूं-चावल की कालाबाजारी जारी है। संरक्षित बैगा जनजाति के हिस्से के फोर्टिफाइड चावल हड़पने की भी यही कहानी है। डिंडौरी जिले को भेजा गया 100 टन फोर्टिफाइड चावल कौन खा गया अब तक पता नहीं लगाया जा सका है। यह पौष्टिक चावल बैगा आदिवासियों को बांटा जाना था। जनजातीय समुदाय के हिस्से का चावल सिस्टम के लोग डकार गए और प्रशासन साल भर में केवल 6 लोगों पर केवल FIR दर्ज कर कार्रवाई की इतिश्री करके बैठे हैं। खास किस्म का चावल कहां गायब हुआ, किसके इशारे पर उचित मूल्य दुकानों से इसे निकाला गया और कहां कहां बेचकर किस किस ने हिस्सा बांटा इसकी पड़ताल कब होगी ये जवाब कोई नहीं देना चाहता।
राशन घोटालों के मामलों के चलते प्रदेश खूब बदनामी झेलता रहा है। बीते साल यानी 2023 में रीवा, जबलपुर, भोपाल के अलावा निमाड़ और मालवा अंचल में भी एक के बाद एक घोटाले उजागर हुए हैं। इन गड़बड़झाला में करोड़ों रुपए का राशन गायब कर दिया गया। ऐसे मामलों में बीते साल ही दर्जन भर केस दर्ज कराए गए और कुछ मामलों को छोड़ बाकी सब घोटालेबाज अब बहाल होकर मौज कर रहे हैं। डिंडौली जिले की राशन दुकानों पर पहुंची फोर्टिफाइड चावल की खेप भी ऐसे ही गायब कर दी गई और कोई पकड़ा तक नहीं गया। ये उदाहरण बताते हैं सरकार और प्रशासन संरक्षित आदिवासियों पर कितना ध्यान दे रही है।
महीनों से चल रही जांच पर किसी को खबर नहीं
अब आपको पहले पूरा मामला बताते हैं। दरअसल बैगा जनजाति विशेष रूप से संरक्षित जनजाति है। इसको संरक्षण देने के लिए डिंडौरी जिला पूरी तरह उन्हीं के नाम पर संरक्षित है। इस जनजाति के पोषण की बेहद कमी है और बच्चे और महिलाएं कुपोषण का शिकार बनी रहती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा इस जनजाति को बांटने के लिए साल 2023 के अंत में फोर्टिफाइड चावल डिंडौरी जिले में भेजा था। इसी में से 100 टन चावल पांच राशन दुकानों से बैगा जनजाति को वितरित होना था लेकिन महीनों तक ऐसा नहीं हुआ। फिर अचानक इन दुकानों से फोर्टिफाइड चावल की पूरी खेप दुकानों से गायब हो गई। बैगा आदिवासियों के हिस्से का 100 टन चावल गायब होने का खुलासा दुकान के स्टॉक वितरण के रिकॉर्ड से हुआ था। तब से अब तक खाद्य विभाग और प्रशासनिक अफसर इस मामले को दबाने में ही जुटे हैं। अफसर हर बार सवाल करने पर जांच चलने की सफाई दे रहे हैं।
पांच राशन दुकानों से गायब हुआ चावल
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने साल 2023 के अंत में फोर्टिफाइड चावल डिंडौरी जिले को आवंटित किया था। विशेष किस्म का यह चावल केवल बैगा जनजाति को बांटा जाना था। इसमें से 100 टन फोर्टिफाइड चावल पिंड रूखी, गीधा, कारोपानी, कौड़िया और बिझौरी गांव की उचित मूल्य की दुकानों से वितरित होना था। लेकिन बैगा जनजाति बाहुल्य बसाहटों की इन दुकानों पर पहुंचे इस विशेष किस्म के चावल को जरूरतमंदों को नहीं बांटा गया। साल 2024 की शुरूआत में शिकायतों के चलते जब प्रशासन ने जांच की तो इन दुकानों के स्टॉक और सेल के रिकॉर्ड ने गड़बड़झाले की पोल खोलकर रख दी। कुपोषण का शिकार जनजाति के हिस्से का चावल उन्हें दिया ही नहीं गया था। वहीं यह चावल उचित मूल्य की दुकानों के गोदाम से भी गायब था। प्रशासन ने पिंड रूखी कंट्रोल से 709 क्विंटल, गीधा सहकारी समिति की दुकान से 37 क्विंटल, कारोपानी राशन दुकान से 34 क्विंटल, कौड़िया से 98 क्विंटल और बिझोरी की दुकान से 108 क्विंटल फोर्टिफाइड चावल गायब होने पर खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को जानकारी देते हुए पंचनामा कार्रवाई भी की थी।
कार्रवाई से पल्ला झाड़ रहे हैं जिम्मेदार
कलेक्टर से लेकर तहसीलदार तक बैगा जनजाति के हिस्से के फोर्टिफाइड चावल गायब होने के मामले में कार्रवाई का भरोसा दिला चुके हैं। मामला उछलने के बावजूद कई महीने तक शिकायत की चिट्ठी थाने में ही दबी रही। हाल ही में एसपी वाहिनी सिंह के आदेश के बाद सरकारी अनाज लूटने वालों पर केस दर्ज कराया गया है।
कुपोषित आदिवासियों के हक पर डाका
बैगा प्रदेश में बेहद सीमित आबादी वाली जनजाति है। इस वजह से इसे संरक्षण दिया गया है, लेकिन इस जनजाति के हिस्से के राशन पर भी घोटालेबाजों की नजर है। 100 टल चावल का घोटाला प्रशासन के लिए बहुत अहमियत नहीं रखता। जबकि एक वक्त का खाना जुटाने जी तोड़ मजदूरी करने वाले जनजातीय परिवारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सरकार ने इसी मंशा के चलते बैगा जनजाति के लिए 100 टन फोर्टिफाइड चावल भेजा था, लेकिन यह राशन वितरण व्यवस्था ही डकार गई।
कौन तय करेगा जिम्मेदारी
100 टन फोर्टिफाइड चावल की कीमत 60 से 70 लाख के आसपास बताई जा रही है। क्योंकि बाजार में सामान्य चावल भी 40 से 50 रुपए किलो या 5 हजार रुपए क्विंटल से कम कीमत पर उपलब्ध नहीं है। वहीं औसत बासमती 60 से 70 रुपए कीमत पर उपलब्ध है। डिंडौरी जिले की उचित मूल्य की दुकानों से 100 टन फोर्टिफाइड चावल गायब होने के मामले में प्रशासन अब तक किसी पर जिम्मेदारी ही तय नहीं कर पाया है। जबकि आमतौर पर राशन दुकान के स्टॉक में कमी या दूसरी किसी गड़बड़ी के लिए समिति संचालक या वितरक ही कार्रवाई के भागीदार बनते रहे हैं।
क्या है फोर्टिफाइड चावल
फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) के अनुसार चावल की पैदावार के बाद उसकी प्रोसेसिंग में कई पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। ऐसे में चावल में अलग से आयरन, विटामिन-बी-12 और फोलिक एसिड मिलाया जाता है। इन चावलों को ही फोर्टिफाइड राइस कहते हैं। यह चावल दिखने में थोड़ा मोटा होता है और आम चावल के मुकाबले कम सफेद होता है। पोषक तत्वों को मिलाने की फोर्टिफिकेशन प्रोसेस के बाद यह थोड़े कड़क हो जाते हैं। यह दिखने में प्लास्टिक के चावल जैसे दिखते हैं, लेकिन इसका कोई कनेक्शन प्लास्टिक से नहीं होता। फोर्टिफाइड चावल को पकाने और स्टोर करने का तरीका आम चावल जैसा ही होता है।
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