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बालाघाट की कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने वन मंडल अधिकारी (DFO) नेहा श्रीवास्तव से खुलेआम 2-3 लाख रुपए की डिमांड की। इतना ही नहीं डीएफओ से गाली- गलौज कर जिले से बाहर ट्रांसफर करवाने का भी आरोप है।
क्या है DFO नेहा श्रीवास्तव से पैसे मांगने का मामला
DFO नेहा श्रीवास्तव ने विभाग को चिट्ठी लिखी थी। जिसमें बताया गया था कि 16 अगस्त 2025 को सार्वजनिक अवकाश था। बालाघाट के वन विश्राम गृह में लगभग शाम 4 बजे, विधायक ने अपने सरकारी पद की आड़ लेकर उन्हें बुलाया और कथित तौर पर 2-3 पेटियों के रूप में अवैध रूप से पैसों की मांग की।
जब नेहा श्रीवास्तव ने मांग मानने से साफ इनकार किया, तो विधायक ने न केवल आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया बल्कि परिवार को टारगेट करने तक की धमकी दी। यही नहीं, उन्होंने सभा में मौजूद अन्य वन अधिकारियों और पूरे विभाग को अपमानित करते हुए चेतावनी दी कि कोई भी अधिकारी जिले में पदस्थ नहीं रह सकेगा।
नीचे: वह पत्र जो DFO नेहा श्रीवास्तव ने अपने विभाग को लिखा था
आदरणीय महोदय, मैं पूरी गंभीरता के साथ दिनांक 16.08.2025 (सार्वजनिक अवकाश) को वन विश्राम गृह, बालाघाट में माननीय विधायक (बालाघाट) श्रीमती अनुभा मुंजारे से संबंधित एक घटना को दर्ज करना चाहती हूं। लगभग शाम 4 बजे, मुझे एफआरएच में उनसे मिलने के लिए बुलाया गया। मेरे पहुंचने पर, अपने निजी कर्मचारियों, सुरक्षाकर्मियों और एक अन्य महिला की मौजूदगी में, उन्होंने मुझसे सीधे तौर पर "2-3 पेटी" की अवैध राशि की माँग की। उन्होंने आगे कहा कि चूँकि उनके निजी सहायक के माध्यम से उनके बार-बार भेजे गए संदेशों पर ध्यान नहीं दिया गया, इसलिए उन्होंने मुझसे व्यक्तिगत रूप से भिड़ने का फैसला किया। जब मैंने मना कर दिया और दोहराया कि इस तरह की प्रथाओं की अनुमति नहीं है, तो उन्होंने शत्रुतापूर्ण व्यवहार किया। उन्होंने न केवल मेरे लिए, बल्कि मेरे परिवार के लिए भी असंयमित और अपमानजनक भाषा (गाली- गलौज) का प्रयोग किया, और स्पष्ट रूप से धमकी दी कि मुझे देख लेंगी और मुझे जिले से हटवा देंगी। उन्होंने प्रशासन पर अपनी माँगें मनवाने के लिए दबाव बनाने हेतु भोपाल मुख्यालय पर भूख हड़ताल और धरना देने की भी धमकी दी। यह ध्यान देने योग्य है कि मेरा विभाग माननीय विधायक के निर्वाचन क्षेत्र में नहीं आता। फिर भी, मैं उनके कहने पर बैठक में शामिल हुई, क्योंकि यह वन विश्राम गृह में आयोजित की गई थी और मुझे पूरा विश्वास था कि चर्चा आधिकारिक मामलों से संबंधित होगी। ऐसे निमंत्रण को सीधे तौर पर अस्वीकार करना अहंकार या जनप्रतिनिधि के साथ असहयोग के रूप में आसानी से गलत समझा जा सकता है। एक प्रभागीय वन अधिकारी होने के नाते, मेरे पास यह मानने के पूरे कारण थे कि वन विश्राम गृह में किसी निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ बैठक आधिकारिक मामलों से संबंधित होगी। इसलिए मैंने उचित शिष्टाचार और पेशेवर व्यवहार के साथ इसमें भाग लिया, जिसका दुर्भाग्य से धमकाने और दबाव बनाने के लिए दुरुपयोग किया गया। बातचीत के दौरान, उनके निजी सहायक ने भी अभद्र व्यवहार किया। जब मैंने उनसे शिष्टाचार बनाए रखने का अनुरोध किया, तो उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि वह सिर्फ़ उनके निजी सहायक ही नहीं, बल्कि उनके भतीजे भी हैं। मैंने स्पष्ट कर दिया कि मेरी आधिकारिक बातचीत निर्वाचित प्रतिनिधि के संवैधानिक पद पर रहते हुए थी, उनके दल के सदस्यों के साथ नहीं। गौरतलब है कि माननीय विधायक ने आक्रामक तेवरों, सुनियोजित मीडिया अभियानों और विधानसभा सहित सार्वजनिक मंचों पर लगाए गए निराधार आरोपों के ज़रिए अधिकारियों पर दबाव बनाने की अपनी छवि बना ली है। ज़िले में अन्य विभागों के अधिकारियों को परेशान करने के ऐसे ही उदाहरण जगज़ाहिर हैं। इसलिए, यह घटना धमकी, दबाव और वैध सरकारी कामकाज में बाधा डालने का गंभीर प्रयास है। मैं औपचारिक रूप से यह मामला आपके ध्यान में ला रही हूं तथा सेवा की गरिमा की रक्षा करने, मेरी व्यक्तिगत सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा विभागीय जिम्मेदारियों में आगे आने वाली बाधाओं को रोकने के लिए उचित हस्तक्षेप का अनुरोध करती हूं। नेहा श्रीवास्तव, | |
निज सहायक पर भी धमकाने का आरोप
पत्र के अनुसार, विधायक के निजी सहायक ने भी DFO नेहा श्रीवास्तव से बदसलूकी की। निज सहायक विधायक का भतीजा भी बताया जाता है। जब अधिकारी ने उसे शालीनता बनाए रखने की हिदायत दी, तो स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
विधायक पर आरोप है कि वह अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल दबाव और ब्लैकमेल की रणनीति के लिए करती रही हैं। प्रशासन को डराने के लिए उन्होंने यहां तक कह दिया कि अगर उनकी बातें नहीं मानी गईं, तो वह भोपाल मुख्यालय में धरना और भूख हड़ताल करेंगी।
मामले में द सूत्र ने की मुंजारे के बेटे से बात
द सूत्र ने इस मामले में विधायक अनुभा मुंजारे का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई। हालांकि विधायक के बेटे शांतनु ने द सूत्र से कहा, मुझे फिलहाल इस मामले में कोई जानकारी नहीं है, मम्मी से बात करके बताएंगे।
शिकायत झूठी, DFO के पति हैं नशेड़ी
Thesootr से बात करते हुए विधायक अनुभा मुंजारे के निज सहायक अबू शाह ने कहा कि यह खबर पूरी तरह झूठी है। दरअसल DFO नेहा श्रीवास्तव के पति बालाघाट में ही दक्षिण के DFO हैं। वे हर समय नशे में रहते हैं। पिछले दिनों उनकी घोर लापरवाही के कारण इलाके में बाघ की मौत हो गई, लेकिन छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बना दिया गया। गेस्ट हाउस में घटना के समय मैं खुद मौजूद था। पैसों की कोई डिमांड ही नहीं की गई। हम नेहा श्रीवास्तव के खिलाफ मानहानि का दावा करेंगे।
वन विभाग ने बनाई दो सदस्यीय जांच समिति
वनमंडल अधिकारी (DFO) नेहा श्रीवास्तव द्वारा विधायक अनुभा मुंजारे पर रुपए मांगने और धमकी देने के आरोपों के बाद वन विभाग ने इस संवेदनशील मामले की जांच के लिए आधिकारिक समिति गठित कर दी है।
जारी आदेश के मुताबिक, राज्य शासन ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। इनमें अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (APCCF) कमलिका मोहंता (IFoS 1997 बैच) और वन संरक्षक (CF) अंजना सुचिता तिर्की (IFoS 2010 बैच) शामिल हैं।
दोनों अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वे अगले दो हफ्तों के भीतर जांच पूरी कर प्रतिवेदन राज्य शासन को सौंपें। वन विभाग ने आदेश में साफ किया है कि जांच निष्पक्ष, तथ्यात्मक और निर्धारित समयसीमा में पूरी की जाएगी।
DFO नेहा श्रीवास्तव ने शिकायत दर्ज कर स्पष्ट मांग की है कि
- विभागीय और सरकारी मर्यादा से खिलवाड़ बर्दाश्त न किया जाए,
- उनकी और उनके परिवार की सुरक्षा तुरंत सुनिश्चित की जाए,
- और भविष्य में किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा दबाव व धमकी की गुंजाइश हमेशा के लिए खत्म करने हेतु कठोर कदम उठाए जाएं।
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बालाघाट न्यूज | DFO नेहा श्रीवास्तव और कांग्रेस विधायक अनुभा मुंजारे विवाद