मंत्री के नाम पर धमकाने वाले बसंत, अखिल ने आखिर किया सरेंडर

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के नाम पर धमकाने वाले बसंत विजयवर्गीय और अखिल उपासनी की अग्रिम जमानत याचिका दस दिन पहले हाईकोर्ट इंदौर ने खारिज कर दी थी।

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Sanjay gupta
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नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के नाम पर धमकाने वाले बसंत विजयवर्गीय और अखिल उपासनी की अग्रिम जमानत याचिका दस दिन पहले हाईकोर्ट इंदौर ने खारिज कर दी थी। इसके बाद लंबे समय से गिरप्तारी से बच रहे दोनों आरोपियों ने शुक्रवार को सीधे कोर्ट में सरेंडर कर दिया। यहां से कोर्ट ने उन्हें पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। चंदननगर टीआई इंद्रमणि पटेल ने पुष्टि करते हुए कहा कि कोर्ट में आरोपियों ने सरेंडर किया था, उनका रिमांड लिया है।

एक महीने पहले दर्ज हुआ धोखाधड़ी का केस

अक्टूबर में दोनों पर चंदननगर थाने में धोखाधड़ी की धाराओं में केस दर्ज हुआ था और इसके बाद जिला कोर्ट से भी पहले अग्रिम जमानत याचिका खारिज हो गई थी। फिर दोनों ने हाईकोर्ट में अपील की थी।  इन पर आरोप है कि इन्होंने अवैध कॉलोनी की जमीन वैध बताकर बेच दी। यह धोखाधड़ी 5.62 करोड़ रुपए की हुई है।

कौन है बसंत और अखिल?

अखिल पिता गोविंद उपासनी 356/3 नंदा नगर का ही निवासी है। बसंत पिता नर्बदा प्रसाद विजयवर्गीय 26/ए सुभाष नगर परदेसीपुरा का निवासी है। यह सालों से मंत्री विजयवर्गीय के करीब रहा है, और उनके नाम पर धौंस जमाने का काम करता रहा है। इसकी लंबी समय से शिकायतें आ रही थी। मंत्री विजयवर्गीय को जब लोगों ने हरकतें बताई तो खुद मंत्री विजयवर्गीय ने पुलिस को फोन कर विधिक कार्रवाई के लिए कहा। इसके बाद चंदननगर थाने में अखिल, बसंत के साथ ही वायएएस रियल एस्टेट कंपनी (YAS REAL STATS COM) पर धारा 420 और 406 के तहत केस दर्ज हुआ। इसमें वायएएस रियल एस्टेट कंपनी के भागीदार सफदर पिता मुल्ला ताहिर भाई लिमाखेड़ा पर भी आरोप लगे। बाद में पुलिस ने जांच के बाद 467, 468 जैसी गंभीर अपराध की भी धारा बढ़ा दी।

इस तरह की गई 5.62 करोड़ की धोखाधड़ी

यह केस फरियादी अमित सिंह ने दर्ज कराया है। सिंह और उनके पार्टनर ने मिलकर सिंहासा ग्राम की क्लासिक एवेन्यू जो सर्वे नंबर 237/1/1,  237/2/1,  237/2/2 पर है। 1.50 लाख वर्गफीट जमीन पर कटे भूखंड का सौदा किया था। इसके लिए अखिल, बसंत को राशि दी गई। साथ ही वायएएस कंपनी को भी सौदा राशि दी गई। कुल राशि 5.62 करोड़ रुपए दिए गए। सौदे में था कि इस राशि के बदले में सिंह व अन्य को कंपनी वायएएस रियल एस्टेट में पार्टनर भी बनाया जाना था। लेकिन बाद में सामने आया कि जिस कॉलोनी के भूखंड बेचे गए, वह  कॉलोनी अवैध है। साथ ही जो भूखंड बेचना बताया गया है, वह तो सरकार के पास बंधक रखे प्लाट के हैं, जो बेचे ही नहीं जा सकते हैं। ना ही सिंह व उनके पार्टनर को कंपनी में लिया गया, बताया गया कि यह राशि तो बसंत और अखिल ने ली है, कंपनी को नहीं दी है, पहले बकाया राशि दो।

धमका कर बोले नंदानगर आकर हमारे बारे में पूछ लेना

इसके बाद विवाद शुरू हुआ तो अन्य को धमकाना शुरू कर दिया। एफआईआर में लिखा है कि हमें धमकाया गया कि बाकी सौदा राशि भी दो, नहीं तो हत्या करवा देंगे। हमें जानता नहीं है, नंदानगर में जाकर हमारे बारे में पूछ लेना। पुलिस ने फरियादी के आवेदन पर केस दर्ज कर लिया।

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