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आज भारत बंद का आह्वान किया गया है। इसका असर मध्य प्रदेश में भी देखा जा रहा है। एससी और एसटी कैटेगरी में क्रीमिलेयर को आरक्षण देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न दलित संगठन आज सड़कों पर उतर गए हैं। एससी- एसटी आरक्षण में वर्गीकरण के फैसले के खिलाफ भारत बंद का मध्य प्रदेश में भी मिला- जुला असर देखने को मिल रहा है।
ग्वालियर के कई स्कूलों में छुट्टी
भारत बंद को लेकर ग्वालियर में पुलिस विभाग और प्रशासन ने सड़क पर निगरानी बढ़ा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संदेशों पर भी नजर रखी जा रही है। ग्वालियर में लगभग 145 स्थानों पर पुलिस पिकेट स्थापित किए गए हैं, 45 पार्टियों की तैनाती की गई है और ज्ञापन देने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। कई स्कूलों ने बंद के दिन छुट्टी घोषित कर दी है। ग्वालियर कलेक्टर ने धारा 144 लागू कर दी है।
वहीं भोपाल, इंदौर और उज्जैन समेत कई जिलों में स्कूल खुले हैं। खंडवा में बंद बेअसर दिख रहा है। यहां बाजार पूरी तरह खुल चुका है।
गृह विभाग ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के जारी किए निर्देश
अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद का समर्थन जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन ने भी किया है। मंगलवार रात समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मनोज यादव ने एक वीडियो जारी कर बंद को समर्थन देने की घोषणा की।
कांग्रेस विधायक और जयस के राष्ट्रीय संरक्षक डॉ. हीरालाल अलावा और भांडेर से कांग्रेस विधायक फूल सिंह बरैया ने इस बंद के समर्थन में अपना रुख स्पष्ट किया है। कांग्रेस ने फिलहाल बंद के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की है। पुलिस और प्रशासन इस बंद को लेकर पूरी तरह से सतर्क हैं और गृह विभाग ने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
क्रीमीलेयर व्यवस्था को लेकर विधायक का बयान
वहीं इस पूरे मामले में विधायक डॉ. हीरालाल अलावा ने कहा कि हमने भारत बंद इसलिए बुलाया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निर्णय दिया है कि एससी और एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर की व्यवस्था होनी चाहिए।
इसका मतलब है कि यदि किसी ने एक पीढ़ी में आरक्षण का लाभ उठाया है, तो उनकी अगली पीढ़ी को इसका फायदा नहीं मिलेगा। एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग लंबे समय से सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का सामना कर रहे हैं। हमारे पूर्वजों ने इन वर्गों को बराबरी पर लाने के लिए संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की। इस व्यवस्था को धीरे-धीरे कम किया जा रहा है।