भिंड जिले के गोरमी के कृपे का पुरा गांव में आयोजित एक नेत्र शिविर के दौरान 6 बुजुर्गों का ऑपरेशन किया गया। पहले उन्हें मोतियाबिंद का इलाज बताया गया, लेकिन ऑपरेशन के बाद उनकी आंखों की रोशनी चली गई। दरअसल, शिविर में डॉक्टरों ने कुछ ग्रामीणों की आंखों में मोतियाबिंद पाया और उन्हें ऑपरेशन के लिए ग्वालियर भेज दिया। उसी दिन इन बुजुर्गों का ऑपरेशन ग्वालियर के एक हॉस्पिटल में किया गया।
ऑपरेशन में गड़बड़ी का आरोप
ग्रामीणों ने गोरमी थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उनका ऑपरेशन गलत किया गया। एक बुजुर्ग ने बताया कि जिस आंख में समस्या थी, उस पर ऑपरेशन नहीं किया गया, बल्कि दूसरी आंख का ऑपरेशन किया गया। इसके परिणामस्वरूप वह अब दोनों आंखों से नहीं देख पा रहे।
डॉक्टर बोला- मैं क्या करूं
चमेलीबाई नाम की एक महिला ने बताया कि ऑपरेशन के बाद आंख की पुतली सफेद हो गई है और दिखना भी बंद हो गया। उन्होंने बताया कि मैं इसकी शिकायत लेकर डॉक्टर के पाई गई थी...डॉक्टर ने कहा कि इसमें मैं क्या कर सकता हूं, मैं कोई भगवान नहीं हूं।
नेत्र शिविर का आयोजन
9 दिसंबर को कृपे का पुरा में संयुक्त समाजसेवी संस्था और निवारण हेल्थ वेलफेयर सोसाइटी ने एक नेत्र शिविर का आयोजन किया था। इसमें ग्वालियर के कालरा हॉस्पिटल की टीम ने आंखों की जांच की और कुछ ग्रामीणों को मोतियाबिंद का इलाज करने के लिए ग्वालियर भेजा। यहां ऑपरेशन किया गया, लेकिन ऑपरेशन के बाद ग्रामीणों को कोई राहत नहीं मिली।
ऑपरेशन के बाद दर्द और असंतोष की शिकायत
ग्रामीणों का कहना है कि ऑपरेशन के बाद उनकी आंखों में दर्द हो रहा है और उनकी आंखों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। कुछ ने डॉक्टर से फिर संपर्क किया, लेकिन उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया।
अस्पताल पर कार्रवाई की जाएगी
इस घटना के बाद, आयोजक के बेटे मुकेश नरवरिया ने बताया कि उन्हें इस शिविर में शामिल अस्पताल के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनके पिता का नाम पर्चे में गलत छापा गया। वहीं, भिंड के सीएमएचओ डॉ. शिवराम सिंह कुशवाह ने कहा कि इस नेत्र शिविर की अनुमति नहीं ली गई थी और इस मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि संबंधित अस्पताल पर कार्रवाई की जाएगी। ग्वालियर के सीएमएचओ डॉ. सचिन श्रीवास्तव ने भी इस घटना को गंभीर माना और उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच के बाद अस्पताल के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।
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