केंद्र सरकार स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट ( smart city project ) को बंद करने जा रही है। इस योजना का कार्यकाल दिसंबर 2024 तक समाप्त हो जाएगा। इस मिशन में मध्य प्रदेश के 7 शहर शामिल है। योजना के खत्म होने के बाद इन शहरों के अपने लिए काम का इंतजाम खुद करना होगा। इन सात शहरों में भोपाल, इंदौर, उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर, सतना और सागर शामिल है। हालांकि जबलपुर और उज्जैन केंद्र सरकार की ‘सिटी 2.0’ योजना में शामिल होने के कारण 200 करोड़ का विकास कार्य कर पाएंगे।। देश भर से इस योजना के लिए केवल 18 शहरों को ही चुना गया है। इसमें मध्य प्रदेश के दो शहर शामिल है।
सिटी 2.0 प्रोजेक्ट में ऐसा होगा विकास
सिटी 2.0 चार साल तक में शहरों की काया बदलने वाला एक प्रोजेक्ट है। योजना के अंतर्गत केन्द्र सरकार ने चयनित शहरों में जलवायु परिवर्तन को रोकने वाले विकास कार्यों करने के लिए 1,496 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। मध्य प्रदेश के दोनों शहरों के हिस्से में करीब 200 करोड़ तक का फंड आया है। चार साल में इसके इस्तेमाल से इन शहरों को और स्मार्ट बनाना है। इस दौरान इन शहरों में क्लाइमेट मॉनिटरिंग केंद्र बनेंगे। माना जा रहा है कि आने वाले सिंहस्थ के चलते उज्जैन को सिटी 2.0 प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है।
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स्मार्ट सिटी मिशन में हुए काम
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के अंतर्गत शहरों में पर्याप्त बिजली की आपूर्ति, ठोस कचरे का प्रबंधन और स्वच्छता अहम उद्देश्य थे। इसके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर करना, डिजिटलाइजेशन, ई-गवर्नेंस भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा थे। पर्यावरण संरक्षण और बच्चों,महिलाओं, बुजुर्गों सहित शहर के सभी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना भी प्रोजेक्ट में शामिल था। इन सभी बिंदुओं पर काम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार से 7 शहरों को ग्रांट दिए जा रहे थे।