धार भोजशाला के मामले में हाईकोर्ट इंदौर डबल बेंच ने सोमवार ( 22 जुलाई ) को एएसआई की रिपोर्ट देखी। बेंच ने रिपोर्ट की समरी की जानकारी भी ली। बेंच ने साफ कर दिया है कि इस मामले में वह सुप्रीम कोर्ट के अगले निर्देश के बिना आगे नहीं बढ़ेंगे। सुनवाई की नई तारीख तय नहीं की गई है।
यह हुआ सुनवाई के दौरान
हाईकोर्ट डीबी ने सबसे पहले रिपोर्ट की जानकारी ली। इसमें शासकीय अधिवक्ता हिमांशु जोशी द्वारा बताया गया कि रिपोर्ट सबमिट हो चुकी है। इसके बाद उन्होंने समरी की जानकारी ली। बताया गया कि यह वाल्यूम वन में सबसे पीछे दी गई है और यह मोटे तौर पर फाइंडिंग की स्ट्रक्चर तीन चरणों में बना है।
- एक याचिकाकर्ता ने आपत्ति ली की उन्हें इसकी कॉपी नहीं दी गई, इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि सभी पक्षकारों को इस रिपोर्ट को दिया जाए।
- वहीं मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सलमान खुर्शीद ने कहा कि रिपोर्ट बहुत वृहद है और इसे पढ़ने और एनालिस करने के लिए समय चाहिए, चार सप्ताह का समय दीजिएगा।
- वहीं हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक अप्रैल के आदेश, जिसमें हाईकोर्ट के मामले में फैसला करने पर रोक है, इसको लेकर हम ऑलरेडी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं और अपील कर दी है। इसमें जल्द सुनवाई होना है।
- इसके बाद हाईकोर्ट ने कहा कि पहले सुप्रीम कोर्ट से अगले डायरेक्शन आ जाने दीजिए। इसके बाद ही इस पर सुनवाई कर आगे बढेंगे।
हाईकोर्ट में लगी हैं चार याचिकाएं
Wp/10484/22, Wp/6514/13, Wp/28334/19, Wp/10497/22, इसमें सुनवाई के लिए अधिवक्ता हरिशंकर जैन, विष्णुशंकरजी जैन अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट नई दिल्ली से वर्चुअल जुड़े।
अधिवक्ता विनय जोशी इंदौर के साथ याचिकाकर्ता आशीष गोयल भी हाईकोर्ट में उपस्थित रहे। गोयल ने बताया कि क्रियान्वयन की रोक हटाने की सुनवाई करने के लिए हमारे अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन के माध्यम से माननीय सुप्रीम कोर्ट से निवेदन किया है। बहुत जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में केस सुनवाई पर आएगा।
एएसआई की रिपोर्ट में साफ है मंदिर तोड़कर बनी मस्जिद
धार भोजशाला मामले में 98 तक दिन चले पुरातत्व विभाग (ASI) की सर्वे रिपोर्ट 15 जुलाई यानी सोमवार को हाईकोर्ट में सबमिट हो गई थी। करीब 2200 पन्नों की इस रिपोर्ट में साफ तौर पर है कि नया वर्तमान स्ट्रक्चर मंदिर तोड़कर बनाया गया है।
इस संबंध में सैंकड़ों सबूत दिए गए हैं। रिपोर्ट एएसआई के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. आलोक त्रिपाठी ने बनाई है, लेकिन इसमें शामिल आठ एक्सपर्ट में तीन मुस्लिम भी है। रिपोर्ट सभी की सहमति से बनी है।
एक्सपर्ट में जुल्फीकार अली, डॉ. आफताब हुसैन, डॉ. इजहर अली हाशमी, डॉ. भुवन विक्रम, डॉ. गौतम भट्टाचार्य. डॉ. मनोज कुर्मी, डॉ. शंभू यादव और डॉ. नीरज शामिल है।
एएसआई की रिपोर्ट की समरी में यह है
- मंदिर को लेकर एक जगह एएसआई के सर्वे में साफ है कि यह परिसर मंदिर को तोड़कर बनाया गया है।
- सर्वे में पाया गया कि यहां मस्जिद के बाहर महमूद शाह खिलजी द्वारा साल 1465 में लगवाया गया गेट है। इसमें इबारत लिखी है। इसमें साफ लिखा है कि एक बहादुर व्यक्ति यहां तक पहुंचा और उसने और साथ आई भीड़ ने मंदिर के पुतले और मूर्तियों को तोड़ दिया और मस्जिद बनाई।
- यह परिसर (भोजशाला) तीन चरणों में बना है, अभी की स्थिति तीसरे चरण की है। पहल चरण 10-11वीं शताब्दी का है, जो परमार कालीन है। यहां राजा नारावर्मन (साल 1094-1133) के प्रमाण मिले हैं।
- यहां कई ईंट व अन्य सामग्री बता रही है कि इनका उपयोग कर बाद में मस्जिद में बदला गया।
- बड़े डोम में कमल बना है। यहां पर 106 पिलर्स व 82 छोटे पिलर्स है, जो मंदिर के हिस्से और इनका पुनर्निमाण में उपयोग हुआ है।
- यहां पर परमार कालीन सिक्के मिले हैं। साथ ही दिल्ली सल्तनत, मुगल काल, ब्रिटिश काल के भी कुल 31 सिक्के चांदी, एल्यूमिनियम और तांबे के मिले हैं।
- 94 मूर्तियां मिली है, ऊं सरस्वते नम: लिखा है- यहां पर 94 मूर्तियां मिली है, जिसमें गणेश, ब्रह्मा, भैरव आदि बने हैं तो साथ ही शेर, हाथी, बंदर, कुत्ता, घोड़ा, सांप आदि भी बने हुए स्ट्रक्चर है। कुछ जगह पर ऊं सरस्वतेए नम:, ओम नम: शिवाय लिखा हुआ है।
दोनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट गए
इस केस में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस, मौलाना कलामउद्दीन वेलफेयर सोसायटी धार व अन्य पक्षकार है। दोनों ही पक्ष सुप्रीम कोर्ट गए हैं। मुस्लिम पक्ष जहां इस सर्वे को लेकर खुश नहीं है और वह इस पर रोक लगाने के लिए गए हैं।
वहीं हिंदू पक्ष इसलिए गया है कि कोई भी फैसला देन पर रोक लगी है उसे हटाया जाए। हिंदू पक्ष चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में रोक हटाए, जिससे हाईकोर्ट फैसला कर सके। हाईकोर्ट ने भी सभी पक्षों से कहा था पहले रोक हटवाई फिर ही फैसला सुनाएंगे। सुप्रीम कोर्ट जल्द इस मामले में सुनवाई कर सकता है।
इस मामले में SC से लेकर जबलपुर और इंदौर HC तक में केस
- इस मामले में कोई भी फैसला इंदौर हाईकोर्ट तभी सुना सकता है, जब सुप्रीम कोर्ट से रोक हटे। इसके साथ ही पुरानी याचिकाओं का भी अलग पेंच हैं, जो अभी नहीं साल 2004 से लगी हुई है।
- साल 2003 में हुआ आर्डर, जिसमें हिंदू पक्ष को तय दिन पर फूल की पंखुडी, चावल के दाने लेकर जाकर पूजन का अधिकार मिला था। इसके खिलाफ मुसलिम पक्ष ने 2004 में जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की हुई है। यह अभी चल रही है।
- साल 2019 में भी मुस्लिम पक्ष ने एक और याचिका लगाई, जिसमें कहा गया कि कोर्ट के पंखुड़ी और चावल के दाने ले जाने के आदेश की अवमानना हो रही है। यहां पर फोटो, मंजीरे, ढोलक आदि सभी लेकर जा रहे हैं। यह भी याचिका भी लंबित है
इसी को देख हिंदू पक्ष ने एक मई 2022 में इंदौर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मांग की इसे मंदिर घोषित किया जाए और पूरी तरह से पूजन का अधिकार हो। - इसी हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की इसी याचिका पर इंदौर हाईकोर्ट ने 11 मार्च 2024 को एएसआई के सर्वे के आदेश दिए गए।
- इस आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने 16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। इसमें एक अप्रैल को आदेश हुए सर्वे पर रोक नहीं लेकिन मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं हो और कोई भी फैसला सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बिना नहीं होगा। रिपोर्ट को सावर्जनिक नहीं करें।
- मुस्लिम पक्ष ने 20 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की और कहा कि एक अप्रैल के आदेश का पालन नहीं हो रहा है और सर्वे गलत तरीके से हो रहा है। यह भी अभी लंबित है।
- अब हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने सर्वे रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट में मेंशन लिया है। उन्होंने कहा है कि फैसला करने की रोक संबंधी लगे आदेश को हटाया जाए, जिससे हाईकोर्ट इंदौर सर्वे रिपोर्ट के आधार पर फैसला कर सके।
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