सुप्रीम कोर्ट ने धार के भोजशाला मंदिर और कमल मौला मस्जिद के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद पर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। यह विवाद मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित भोजशाला परिसर से जुड़ा है, जिसे हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय पवित्र स्थल मानते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस विवाद को पूजा स्थल अधिनियम (Place of Worship Act) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ जोड़ने का फैसला लिया है।
अब CJI पीठ करेगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि यह मामला पूजा स्थल अधिनियम के दायरे में आता है। उन्होंने इसे अन्य विवादित धार्मिक स्थलों के साथ सुनवाई के लिए सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ को सौंपने का निर्देश दिया। कोर्ट ने पिछले साल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को स्थल का सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी, लेकिन संरचना के स्वरूप में किसी भी प्रकार के बदलाव पर रोक लगा दी थी।
हिंदू पक्ष की दलील
हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने तर्क दिया कि यह मामला पूजा स्थल अधिनियम के तहत नहीं आता। उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि मामले की स्वतंत्र रूप से सुनवाई कर निर्णय दिया जाए। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि आदेश के उल्लंघन पर पहले अवमानना नोटिस का जवाब देना होगा।
क्या है भोजशाला विवाद?
भोजशाला मंदिर और कमल मौला मस्जिद का यह विवाद ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। हिंदू समुदाय इसे माँ सरस्वती का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम समुदाय इसे मस्जिद के रूप में देखता है।
आगे की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने मामले को पूजा स्थल अधिनियम से संबंधित अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ने के लिए रजिस्ट्री को निर्देश दिया है। अब इस मामले की सुनवाई सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी।
न्यायालय की प्रारंभिक टिप्पणी
न्यायालय ने पूजा स्थल अधिनियम (Place of Worship Act) से जुड़े अन्य मामलों के साथ इसे जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। यह अधिनियम विवादित धार्मिक स्थलों के वर्तमान स्वरूप को बनाए रखने के लिए बनाया गया है।
हिंदू पक्ष का तर्क
वकील विष्णु शंकर जैन ने इस विवाद को पूजा स्थल अधिनियम से अलग मानते हुए स्वतंत्र सुनवाई की मांग की।
अवमानना नोटिस का जिक्र
न्यायालय ने कहा कि यदि उनके आदेश का उल्लंघन हुआ है, तो अवमानना नोटिस जारी किया जाएगा।
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