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भोपाल में एक ऐसे डॉक्टर का मामला सामने आया है, जो अपनी पत्नी को खुदकुशी (Bhopal Doctor Death) के लिए उकसाने के आरोप में जेल में बंद है। साथ ही अब उसके बारे में पुलिस ने नया खुलासा किया है। यह डॉक्टर अवैध रूप से दवाओं की रिपैकेजिंग भी कर रहा था। इस मामले में जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कार्रवाई करते हुए डॉ. अभिजीत पांडे के क्लीनिक से 32 प्रकार की दवाएं और पैकेजिंग सामग्री बरामद की। इसके अलावा, प्रशासन को एक डायरी भी मिली है, जिसमें दवाओं की सप्लाई और उससे होने वाली कमाई का हिसाब दर्ज था।
क्लीनिक में मिलीं अवैध दवाएं
3 अप्रैल को डॉ. रिचा पांडे की खुदकुशी के बाद, प्रशासन ने डॉ. अभिजीत पांडे के एमपी नगर स्थित क्लीनिक को सील कर दिया था। इसके बाद 11 अप्रैल को फिर से कार्रवाई करते हुए, वहां से बड़ी संख्या में दवाएं और पैकेजिंग सामग्री बरामद की गई। तहसीलदार आलोक पारे के अनुसार, रात के वक्त क्लीनिक के पिछले हिस्से में कुछ अज्ञात लोग घुसने की कोशिश कर रहे थे। जब टीम ने वहां पहुंचकर जांच की, तो कमरे में दवाओं के बड़े-बड़े बॉक्स और पैकेजिंग मटेरियल पाए गए। इसमें कई दवाएं अवैध भी थीं।
दवाओं को री-पैकिंग कर बाहर भेजा जा रहा था
यह दवाएं विभिन्न शहरों में सप्लाई की जा रही थीं। स्वास्थ्य विभाग को यहां से स्किन क्रीम के डिब्बे मिले, जिन्हें 100-100 ग्राम के पैकेट्स में री-पैकिंग कर बाहर भेजा जा रहा था। यह भी सामने आया कि डॉ. नशीली दवाओं का कारोबार कर रहा था। एसडीएम एलके खरे के अनुसार, टीम को एक डायरी भी मिली, जिसमें दवाओं की खरीदी और सप्लाई का हिसाब था। डायरी में एक पन्ने पर 2 लाख 68 हजार रुपए की दवाओं की सप्लाई का उल्लेख था, जिसे 10 हजार रुपए के एडवांस पर किया गया था।
प्रशासन ने की गंभीर जांच
डॉ. पांडे के क्लीनिक से जो दवाएं बरामद हुईं, उनमें से कुछ अमानक दवाओं को मेडिकल एक्सपर्ट ने पहचाना। उदाहरण के लिए, "ट्रू-आईडी-100" दवा फंगल इन्फेक्शन के इलाज के लिए इस्तेमाल होती है, जबकि "मिनोक्सी डिट्र" हेयर फॉल के लिए और "आइसोट्रू" पिंपल्स को ठीक करने के लिए उपयोग होती है। हालांकि, बाकी दवाओं को एक्सपर्ट भी पहचान नहीं पाए, और उन्होंने कहा कि ये ब्रांड्स मध्य प्रदेश में प्रचलित नहीं हैं।
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क्या था डॉ. अभिजीत पांडे का असली पेशा?
डॉ. अभिजीत पांडे के पास बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जन) की डिग्री थी, लेकिन वह स्किन केयर और हेयर ट्रांसप्लांट क्लीनिक चला रहा था। पिछले चार सालों से चल रहे इस क्लीनिक पर स्वास्थ्य विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। अब, प्रशासन को जांच करने के लिए दवाओं के इस्तेमाल और सप्लाई के बारे में रिपोर्ट मांगी है। डॉ. अभिजीत पांडे पर अपनी पत्नी को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप भी है।
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