पीथमपुर में यूका कचरा जलाने की तैयारी पूरी, अधिकारियों ने किया दौरा

हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद भोपाल के यूनियन कार्बाइड (यूका) के खतरनाक कचरे को जलाने की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली गई है। इसके लिए अधिकारियों ने पीथमपुर का दौरा किया और कचरा निपटान की प्रक्रिया का निरीक्षण किया।

author-image
Sanjay Gupta
New Update
bhopal-gas-tragedy-ucil-waste-incineration
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

INDORE. भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद और हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद आखिरकार यूनियन कार्बाइड (यूका) का कचरा जलाने की तैयारी हो गई है। इसके लिए अधिकारियों ने पीथमपुर का दौरा किया। गैस राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक आईएएस स्वतंत्र कुमार सिंह के नेतृत्व में धार जिला कलेक्टर प्रियांक मिश्रा के साथ, मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एमपीपीसीबी), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और उनके क्षेत्रीय कार्यालयों के अधिकारियों ने, धार प्रशासन के विभागों के प्रतिनिधियों और पीथमपुर, धार जिले, मध्य प्रदेश स्थित कॉमन हैजर्डस वेस्ट ट्रीटमेंट, स्टोरेज और डिस्पोजल फैसिलिटी (सीएचडब्ल्यू - टीएसडीएफ) का दौरा किया।

दस साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

यह दौरा उच्च न्यायालय, जबलपुर के निर्देशों के अनुसार यूसीआईएल अपशिष्ट के सुरक्षित निपटान की तैयारियों का निरीक्षण करने के लिए किया गया। साल 2014 में, माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यूसीआईएल स्थल पर पड़े अपशिष्ट को जलाने और उसके पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन करने का आदेश दिया। इस निर्देश के तहत, अगस्त 2015 में 13 से 18 तारीख तक पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड (पीआईडब्ल्यूएमपीएल) की ट्रीटमेंट, स्टोरेज और डिस्पोजल फैसिलिटी (टीएसडीएफ) में 10 मीट्रिक टन यूसीआईएल अपशिष्ट के निपटान के लिए ट्रायल रन किए गए। ये परीक्षण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफ एंड सीसी), एमपीपीसीबी, और मध्य प्रदेश सरकार (जीओएमपी) की निगरानी में किए गए। अधिकारियों ने बताया कि परीक्षणों के परिणामों ने पुष्टि की कि इनसिनरेटर के सभी मापदंड निर्धारित नियमों का पालन करते हैं। पर्यवेक्षण समिति और एमओईएफ एंड सीसी ने शेष अपशिष्ट के निपटान को शीघ्र ही इनसिनरेशन के माध्यम से आगे बढ़ाने का निर्णय लिया।

हाईकोर्ट के आदेश पर कचरे का निपटान

यूसीआईएल अपशिष्ट का निपटान अब हाईकोर्ट, जबलपुर, मध्य प्रदेश (ऑर्डर WP संख्या 2802/ 2004, दिनांक 3 दिसंबर 2024) के निर्देशों के अनुसार किया जा रहा है। हाईकोर्ट निर्देश पहले सफल परीक्षण पर आधारित हैं, जिसने प्रक्रिया के दौरान जनस्वास्थ्य या पर्यावरण को कोई जोखिम नहीं दिखाया।

सिंह देख रहे हैं पूरा प्रोजेक्ट

भोपाल गैस त्रासदी राहत और पुनर्वास (बीजीटीआरआर) को इस प्रोजेक्ट को लागू करने के लिए नोडल एजेंसी के रूप में नामित किया गया है। प्रोजेक्ट का नेतृत्व आईएएस स्वतंत्र कुमार सिंह द्वारा किया जा रहा है। अपशिष्ट का उपचार और निपटान एमपीपीसीबी द्वारा अनुमोदित सीएचडब्ल्यू-टीएसडीएफ पीथमपुर में किया जाएगा, जो पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित है। प्रोजेक्ट की निगरानी एक तकनीकी समिति द्वारा की जा रही है।

उच्च तकनीक से बना है संयंत्र

सीएचडब्ल्यू-टीएसडीएफ पीथमपुर अत्याधुनिक इनसिनरेशन फैसिलिटी, ऑनलाइन निगरानी प्रणालियों (सीईएमएस और सीएएक्यूएमएस), और खतरनाक अपशिष्ट को सुरक्षित और पारदर्शी रूप से संभालने के लिए आवश्यक इन्फ्रास्ट्रक्चर से सुसज्जित है। यूसीआईएल अपशिष्ट को सील किए गए, लेबलयुक्त, और लीक प्रूफ कंटेनरों में जीपीएस-इनेबल्ड वाहनों का उपयोग करके ले जाया जाएगा, जो स्पिल-कण्ट्रोल सिस्टम्स से लैस हैं। सभी परिवहन गतिविधियां खतरनाक अपशिष्ट के लिए सीपीसीबी दिशानिर्देशों का पालन करती हैं, जिससे पूरी प्रक्रिया के दौरान सुरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।

यह बोले स्वतंत्र कुमार सिंह

इस अवसर पर आईएएस स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा, "माननीय उच्च न्यायालय, जबलपुर के निर्देशों और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के मार्गदर्शन के अनुसार, हम यूसीआईएल अपशिष्ट निपटान परियोजना को सुरक्षा, पारदर्शिता और कानूनी प्रावधानों के अनुपालन के उच्चतम मानकों के साथ पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 2015 के सफल परीक्षण ने प्रक्रिया की व्यवहार्यता और पर्यावरण सुरक्षा की पुष्टि की। अत्याधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और सीपीसीबी और एमपीपीसीबी की सख्त निगरानी के साथ, हम सभी हितधारकों को आश्वस्त करते हैं कि यूसीआईएल अपशिष्ट निपटान गतिविधियों को वैज्ञानिक और रणनीतिक रूप से योजनाबद्ध किया गया है, जिसमें सभी नियामक मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित किया गया है।" 

जलाया जाना है 337 टन कचरा

यहां सिर्फ एक किलो कचरे को जलाने के लिए 3740 रुपए खर्च आएगा। कुल 337 टन के इस कचरे को जलाने के लिए केंद्र सरकार ने मध्य प्रदेश सरकार को 126 करोड़ पहले ही आवंटित कर दिए हैं।  भोपाल से पीथमपुर कॉरिडोर बनाकर यह कचरा पहुंचाया जाया जाएगा। जबलपुर हाईकोर्ट ने भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से 6 जनवरी से पहले प्रक्रिया करने के आदेश दिए हैं।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

भोपाल गैस त्रासदी जबलपुर हाईकोर्ट का आदेश यूनियन कार्बाइड का कचरा धार कलेक्टर प्रियांक मिश्रा Bhopal Gas Tragedy Waste Incineration कचरा जलाना UCIL Waste भोपाल गैस त्रासदी मामला इंदौर न्यूज पीथमपुर