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भोपाल और इंदौर में इनकम टैक्स विभाग को बड़ी सफलता मिली है। बीते दो दिनों जारी छापेमारी में अब तक 250 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है।
इंदौर के डीसेंट मेडिकल और भोपाल के साइंस हाउस में 150 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी के बारे में पता चला है।इसके अलावा भोपाल के मेडिकल डिवाइस सप्लायर राजेश गुप्ता के यहां 100 करोड़ की टैक्स चोरी की गई है। मिली जानकारी के मुताबिक, अब तक 2 करोड़ रुपए कैश भी जब्त किए हैं।
बता दें कि, मंगलवार (2 सितंबर) भोपाल, इंदौर, मुंबई सहित 30 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी हुई। इसके बाद बुधवार को भोपाल में हुए छापेमारी के दौरान आईटी विभाग को बोगस बिलिंग के दस्तावेज मिले थे। इसके बाद से ही विदेशी लिंक और मामले को लेकर कई राज खुले। अब भी जांच जारी है।
30 ठिकानों पर जांच जारी
आयकर अधिकारियों की टीम अभी इन ठिकानों पर जांच कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि यह जांच 5 सितंबर तक पूरी हो जाएगी। छापेमारी में भोपाल, इंदौर, मुंबई समेत 30 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई की जा रही है।
भोपाल में सबसे बड़ी टैक्स चोरी की जानकारी जितेंद्र तिवारी और राजेश गुप्ता के ठिकानों से सामने आई है। छापेमारी में करोड़ों की नकदी बरामद की गई है। साथ ही, बड़ी मात्रा में बोगस बिलिंग के दस्तावेज भी मिले हैं।
12 लाख रुपए की नकदी बरामद
मेडिकल डिवाइस सप्लायर राजेश गुप्ता के ठिकानों से आयकर विभाग की टीम को 100 करोड़ रुपए से अधिक की बोगस बिलिंग के दस्तावेज मिले हैं। इसके साथ ही 12 लाख रुपए की नकदी और एक लॉकर भी बरामद हुआ है, जिसे विभाग ने सील कर दिया था। आज इस लॉकर को खोला जाएगा।
आयकर विभाग की छापेमारी में वाली खबर पर एक नजर
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150 करोड़ रुपए की बोगस बिलिंग
गुप्ता के विदेशी संबंधों में युगांडा में किए गए निवेश के कुछ सबूत भी आयकर विभाग के हाथ लगे हैं। इसके अलावा, रियल एस्टेट में धन निवेश करने से संबंधित दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं। भोपाल में मौजूद साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड (एसएचएमपीएल) और इंदौर के डीसेंट मेडिकल्स में 150 करोड़ रुपए की बोगस बिलिंग के दस्तावेज बरामद हुए हैं। इंदौर में एमआर-5 कॉलोनी स्थित डीसेंट मेडिकल्स में छापेमारी अभी भी जारी है।
कम कीमत पर मंगाए जा रहे थे मेडिकल डिवाइस
आयकर विभाग की चल रही पूरी कार्रवाई बोगस बिलिंग रैकेट का पर्दाफाश करने को लेकर है। इस दौरान यह जानकारी भी सामने आई है कि रूट सिस्टम के माध्यम से दूसरे राज्यों और देशों से कम कीमत पर मेडिकल डिवाइस मंगाए जा रहे थे, जिन्हें फिर अपने फायदे के लिए मोटी कीमत पर सप्लाई किया जा रहा था।
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