भोपाल मास्टर प्लान पांचवीं बार होगा रद्द, दोबारा जारी होगा ड्राफ्ट

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ( town and Country planning mp ) के अफसरों को निर्देश दिए हैं कि वे लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले प्लान का नया प्रारूप प्रकाशित करें

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Bhopal master plan will be cancelled

Bhopal master plan 2031 होगा कैंसिल

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हरीश दिवेकर @ Bhopal

भोपाल को सुव्यस्थित विकसित करने का प्लान ( Bhopal master plan ) पांचवीं बार रद्द होने जा रहा है । नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के निर्देश के बाद विभाग ने प्लान को रद्द करने का प्रस्ताव बनाकर मंत्री को भेज दिया है। सूत्रों का कहना है कि विभाग ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ( town and Country planning mp ) के अफसरों को निर्देश दिए हैं कि वे लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने से पहले प्लान का नया प्रारूप प्रकाशित करें, जिससे आचार संहिता के दौरान अफसर प्लान पर आने वाली आपत्तियों और सुझावों पर सुनवाई कर उसे अंतिम रूप दे सकें। विभाग के अफसरों का मानना है कि लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद भोपाल का नया मास्टर प्लान लागू हो सकता है। 

विभाग के अफसरों के दावों में कितना दम है ये तो आने वाला समय ही बताएगा। दरअसल मनमाने और बेतरतीब ढंग से विस्तार ले रहे भोपाल का मास्टर प्लान 19 साल से अटका हुआ है। 18 साल की शिवराज सरकार और 15 महीने की कमलनाथ सरकार इस प्लान को अमलीजामा नहीं पहना सकी। अब तक चार बार प्लान का प्रारूप जारी हो चुका है, लेकिन प्लान फाइनल होते- होते इतने अड़ंगे लग जाते हैं कि सरकार को न चाहते हुए भी इसे रद्द करना ही पड़ता है। इसकी मुख्य वजह है मास्टर प्लान बनाने वाले अफसरों की लापरवाही, वे बिल्डरों को उपकृत करने के फेर में प्लान में खेला करने का प्रयास करते हैं, लेकिन भोपाल की जागरूक संस्थाएं और लोग उनके इस खेला को पकड़कर हर बार उनकी मंशा पर पानी फेर देते हैं। चूहे- बिल्ली के इस खेल में प्रदेश की राजधानी का प्लान ही नहीं आ पा रहा है। इसके चलते अफसर धारा 16 का उपयोग कर अपने हिसाब से बिल्डरों को मंजूरी देकर विकास करवा रहे हैं। इससे आने वाले समय में तेजी से बढ़ने वाली आबादी के लिए ये प्लान भारी परेशानी का कारण बन सकता है। इसे न तो प्लानर समझ रहे हैं, न ही सरकार।  खास बात यह है कि बिना मास्टर प्लान के शहर में बड़े प्रोजेक्ट मेट्रो लाइन, सड़कों, नालियों और बहुमंजिला इमारतों का निर्माण किया जा रहा है। 

तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समय बना था प्लान

भोपाल मास्टर प्लान 19 साल से अटका है। साधारण बोलचाल की भाषा में बोलें तो प्लान पर शनि की दशा लगी हुई है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपने पिछले तीन कार्यकाल और वर्तमान के ढाई साल में कई बार भोपाल का मास्टर प्लान लाने का प्रयास किया, लेकिन इसे ला नहीं सके। इसके अलावा बीच में 15 ​महीने की कांग्रेस सरकार ने भी प्लान लाने का ताबड़तोड़ प्रयास किया, लेकिन प्लान आता उससे पहले ही सरकार गिर गई। आपको बता दें कि भोपाल का मास्टर प्लान 1995 में आया था। उस समय भोपाल की आबादी 10 से 15 लाख थी। प्लान की अवधि 31 दिसंबर 2005 को समाप्त हो चुकी है, लेकिन नया प्लान नहीं आने के कारण भोपाल में 2005 के प्लान के अनुसार ही डेवलपमेंट हो रहा है। 

मंत्री कैलाश बोले- बनाओ नया प्लान

मुख्यमंत्री मोहन यादव के सत्ता में आते ही माना जा रहा था कि भोपाल के मास्टर प्लान- 2031 ( Bhopal master plan- 2031 ) फाइनल हो जाएगा, लेकिन हाल ही में हुई बैठक में नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने आपत्तियों को मान्य कर ड्राफ्ट में संशोधन करने को कहा, इस पर विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने कहा कि इन आपत्तियों को पहले ही खारिज किया जा चुका है। अब ऐसे में उन्हें मान्य करना आसान नहीं होगा। इस पर मंत्री ने कहा कि इस प्लान के प्रारूप को रद्द कर नए सिरे से संशोधित प्रारू पजारी कर नए सिरे से आपत्ति और सुझाव बुलाकर प्लान फाइनल किया जाए। 

चार बार जारी होते- होते अटका, पांचवी बार फिर हुआ रद्द

भोपाल का मास्टर प्लान चार बार जारी होते- होते अटका चुका है। इस बार 2 जून 2023 को सरकार ने ड्राफ्ट जारी किया था। 3005 आपत्तियों की सुनवाई के बाद नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अफसरों ने फाइल तत्कालीन विभागीय मंत्री भूपेंद्र सिंह के कार्यालय में भेज दी थी, लेकिन चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया था। न ही नोटिफिकेशन जारी हुआ था। नई सरकार में मुख्यमंत्री मोहन यादव के आते ही प्लान जारी होने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन आपत्तियों को देखते हुए इसे रद्द किया जा रहा है। 

3000 आपत्तियों को खारिज कर चुकी थी सरकार

मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी होने के बाद जनप्रतिनिधियों, किसानों, आमजनों और क्रेडाई के सदस्यों ने भी अपनी नाराजगी जताई थी। सुनवाई के दौरान करीब 3000 आपत्तियों को दरकिनार कर दिया गया था। ड्राफ्ट में केवल एक छोटा सा बदलाव किया गया। आरजी-4 यानी शहर के बाहरी नव विकसित इलाकों में जहां बेस एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) 0.25 प्रस्तावित था, उसे बढ़ाकर 0.50 किया गया। डेवलपर्स और टाउन प्लानर्स ने इसे कम से कम 1.25 करने की मांग की थी। बड़े तालाब और केरवा व कलियासोत के कैचमेंट एरिया में भी लैंड यूज और एफएआर में कोई बदलाव नहीं किया गया। अरेरा कॉलोनी और चूना भट्टी में भी बेस एफएआर बढ़ाने की मांग को नामंजूर कर दिया गया था। 

बीजेपी विधायक शर्मा उठा चुके सवाल

मास्टर प्लान-2031 पर बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा 2 बार सवाल उठा चुके हैं। 17 अगस्त को सुनवाई के दौरान उन्होंने जमकर नाराजगी जताई थी। उन्होंने मास्टर प्लान को शहर के लोगों के लिए धोखा बताया था। इसके बाद हाल ही में उन्होंने फिर से मास्टर प्लान पर सवाल उठाए थे। विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा था कि इस मास्टर प्लान को हमने रद्द करने की बात कही है, और यह रद्द होगा। मास्टर प्लान पर हम नए सिरे से काम करेंगे। जिन्होंने तालाब बचाया है, उन किसानों के साथ अन्याय नहीं होने दूंगा। किसानों की जमीन कृषि क्षेत्र में ही रहेगी। निर्माण की अनुमति मिलेगी तो ठीक, नहीं तो मास्टर प्लान नहीं आएगा। प्लान में कैचमेंट, FAR, उद्योग एवं कृषि उद्योग आदि पर पुनर्विचार किया जाएगा।

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