भूपेंद्र सिंह को तीसरी बार क्यों नहीं मिला मंत्री पद? पढ़िए 'द सूत्र' की यह स्पेशल रिपोर्ट

द सूत्र की पड़ताल में कुछ नेताओं ने दबी जुबान से दलित हत्याकांड को भूपेंद्र सिंह के मंत्री नहीं बनाए जाने के मामले से भी जोड़ा है। यानी क्या भूपेंद्र सिंह को तीसरी बार सरकार में हत्याकांड की वजह से जगह नहीं मिली? समझने के लिए पढ़िए ये पूरी रिपोर्ट... 

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Pratibha ranaa
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देश में आसन्न लोकसभा चुनावों के बीच हर सुबह एक नया सियासी बवाल लेकर आ रही है। अब मध्यप्रदेश के सागर जिले में दलित हत्याकांड से राजनीति गरमा गई है। इस कांड के केंद्र में है एक दलित परिवार। आरोप है कि पहले एक युवती से गांव के दबंगों ने छेड़छाड़ की। जब उसके भाई ने इसका विरोध किया तो उसकी हत्या कर दी गई। फिर युवती के चाचा पर राजीनामा करने के लिए दबाव बनाया गया, वह राजी नहीं हुआ तो उसे भी मार दिया गया। अंत में एंबुलेंस से गिरकर युवती की भी संदेहास्पद मौत हो गई। यानी 9 महीने में दलित परिवार के 3 सदस्य मारे गए।  पूरे घटनाक्रम पर प्रदेश और देश में सियासी पारा चढ़ा हुआ है।  

इसी बीच मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और खुरई विधानसभा सीट से विधायक भूपेंद्र सिंह का कथित तौर पर पीड़ित युवती से बात करते हुए एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह दलित परिवार की पीड़ित अंजना अहिरवार को समझाते हुए नजर आ रहे हैं। वे कहते हैं कि सरकार ने अपने स्तर पर पूरी कार्रवाई की है। जब अंजना उनसे अपने भाई की हत्या के मामले में ठोस कार्रवाई की गुहार लगाती है तो भूपेंद्र कहते हैं कि आपने जो चाहा, हमने वैसी कार्रवाई की है। धाराएं लगवाई हैं। वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस अब बीजेपी पर और हमलावर हो गई है। इधर, भूपेंद्र सिंह इमरान खान को पूरी घटना का सरगना बता रहे हैं।

पढ़िए पूरी ए टू जेड रिपोर्ट

'द सूत्र' की पड़ताल में कुछ नेताओं ने दबी जुबान से दलित हत्याकांड को भूपेंद्र सिंह के मंत्री नहीं बनाए जाने के मामले से भी जोड़ा है। यानी क्या भूपेंद्र सिंह को तीसरी बार सरकार में हत्याकांड की वजह से जगह नहीं मिली? प्रकरण की गंभीरता, भूत कल और वर्तमान काल चक्र को समझने के लिए आपको यह रिपोर्ट पूरी पढ़नी होगी। 

क्या है वीडियो में जानिए...

एक दिन पहले कथित तौर पर सामने आए वीडियो को सागर जिले के गांव बरोदिया नौनागिर के दलित परिवार की अंजना अहिरवार की मौत से पहले का बताया जा रहा है। वायरल वीडियो में एक लड़की नजर आ रही है, उसे अंजना बताया जा रहा है। वह कहती है...आपने तो घटना सुनी है कि उसकी कैसे हत्या की गई है। मेरे साथ भी बदतमीजी की है। अभी आरोपी फरार हैं। उनके घर नहीं गिराए गए हैं। इसके जवाब में भूपेंद्र सिंह कहते हैं कि बेटा...जिस-जिस के नाम बोले गए, उन सबकी एफआईआर लिखी गई है। ऐसा तो है नहीं कि जो नाम बोले गए, उनकी एफआईआर न लिखी गई हो। तत्काल गिरफ्तारी हो गई। जो लोग रह गए हैं, वो तो आज नहीं तो कल गिरफ्तार होंगे ही। 302 में अग्रिम जमानत तो होती नहीं है। उन्हें पेश होना ही होगा। फरार रहने से उन्हें कोई फायदा होगा नहीं। रहा मकान का सवाल तो यदि अतिक्रमण में होंगे तो जरूर गिरेंगे। अंजना कहती है, हां अतिक्रमण में है। फिर जवाब में भूपेंद्र ने कहा कि जिनके अतिक्रमण में होंगे, उनके जरूर गिरेंगे। घटना को गहराई से समझने के लिए आपको अंजना को और जानना होगा। वारदात को समझने के लिए आपको नौ महीने पीछे की यह कहानी भी जरूर पढ़नी ही पड़ेगी।

नौ महीने पहले हुई थी दलित युवक की हत्या 

यह घटना सागर जिले की खुरई विधानसभा के बरोदिया नौनागिर गांव की है। तब भूपेंद्र सिंह मध्यप्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री थे। खुरई उनका विधानसभा क्षेत्र है। 24 अगस्त 2023 की रात नितिन अहिरवार उर्फ लालू की पीट-पीटकर हत्या की गई। उसका गुनाह इतना था कि वह अपनी बहन अंजना के साथ हुई छेड़छाड़ को लेकर दबंगों से बात करने गया था, तभी उसकी हत्या कर दी गई। आरोप है कि इसी बीच जब अंजना की मां बीच बचाव करने आई तो उसे निर्वस्त्र कर पीटा गया। दिल दहला देने वाली इस वारदात के बाद पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में लिया था।

आरोपी और पूर्व मंत्री का कनेक्शन क्या?

अपने भाई को खो चुकी अंजना गम में डूबी थी। वह फरार आरोपियों को गिरफ्तार करने की गुहार लगाती रही। किसी ने फरियाद को गंभीरता से नहीं लिया। जानकारी के अनुसार, नितिन की हत्या के बाद पुलिस ने नौ नामजद और तीन से चार अज्ञात आरोपियों पर केस दर्ज किया था। इनमें विक्रम सिंह ठाकुर सहित अन्य पर एफआईआर की गई थी। आरोप है कि विक्रम सिंह पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का खास समर्थक है। उसके भूपेंद्र सिंह के साथ फोटो हैं। वह उनके अलग-अलग कार्यक्रमों में शामिल होता रहा है। अब भूपेंद्र सिंह का अंजना को समझाते हुए कथित तौर पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। हालांकि 'द सूत्र' वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।

परिवार पर राजीनामा का बनाया जा रहा था दबाव

चलिए अब आते हैं ताजा घटनाक्रम पर। हाल के कुछ दिनों से अहिरवार परिवार पर नितिन की हत्या के मामले में राजीनामा करने का दबाव बनाया जा रहा था। आरोप है कि अंजना के चाचा राजेंद्र अहिरवार को धमकाया जा रहा था। जब उसने राजीनामा करने से इनकार कर दिया तो कुछ लोगों ने उस पर जानलेवा हमला किया। घायल राजेंद्र को इलाज के लिए भोपाल रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में उसकी मौत हो गई थी। 26 मई 2024 को राजेंद्र का पोस्टमार्टम हुआ। शव परिजनों को सौंपा गया। अंजना अपने चाचा का शव लेकर गांव बरोदिया नौनागिर जा रही थी। रास्ते में संदिग्ध परिस्थितियों में एंबुलेंस से गिरकर उसकी भी मौत हो गई। कांग्रेस का आरोप है कि अंजना की मौत सामान्य नहीं है। वह रंजिश का शिकार हुई है। वहीं, भूपेंद्र सिंह का कहना है कि वह गिरी या कूदी...यह नहीं कहा जा सकता। 

नौ महीने में तीन सदस्यों की मौत 

कुल मिलाकर एक दलित परिवार ने 9 महीने में अपने तीन सदस्यों को खो दिया। अब इस मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेश की कानून व्यवस्था अराजकता के सारे पड़ाव पार कर चुकी है। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या मध्यप्रदेश में अब दलित होना गुनाह हो गया है? आदिवासी अत्याचारों में अव्वल आ रहा प्रदेश, क्या दलित उत्पीड़न में भी मिसाल बनना चाहता है? जीतू गांव भी पहुंचे और पीड़ित परिवार की कांग्रेस नेता राहुल गांधी से फोन पर बात कराई थी। बातचीत में राहुल ने हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया था। दिग्विजय सिंह भी गांव पहुंचे और पीड़ित परिवार से मिल चुके हैं।

भूपेंद्र ने तब मंच से दी थी सफाई

अब छह महीने पीछे चलें तो एक कहानी और सामने आती है। दरअसल, सागर और आसपास के जिले में दलित वर्ग की बड़ी आबादी है। जब दलित युवक नितिन की हत्या हुई थी, तब जमकर हंगामा हुआ था। पूरा दलित वर्ग एक जुट होने लगा था। अगस्त 2023 में हुए इस घटनाक्रम ने शिवराज सरकार की नींद उड़ा दी थी। कांग्रेस जमकर हमलावर थी। चूंकि यह मामला तत्कालीन मंत्री भूपेंद्र सिंह की गृह विधानसभा यानी खुरई का था। ऐसे में उन पर आरोपियों को संरक्षण देने के आरोप लगे थे। कुछ आरोपियों के साथ उनके फोटो भी सामने आए। यह अगस्त 2023 का घटनाक्रम था। इसके ठीक तीन महीने बाद नवम्बर में मध्यप्रदेश में चुनाव हुए। चुनाव में हत्याकांड फिर उठा। सार्वजनिक मंचों से भूपेंद्र सिंह को सफाई देनी पड़ी। आखिरकार चुनाव के बाद डॉ.मोहन यादव मुख्यमंत्री बनाए गए। इसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार हुआ, लेकिन शिवराज सरकार में मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह खाली हाथ रहे।

क्या इसलिए मंत्री नहीं बनाए गए भूपेंद्र सिंह 

अब एक बार फिर जब प्रदेश में दलित वर्ग को लेकर सियासत गरमाई हुई तो भूपेंद्र सिंह चर्चा में हैं। 'द सूत्र' ने जब राजनीतिक हल्कों में इसे लेकर बात की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि हत्याकांड के बाद पार्टी किसी तरह का जोखिम नहीं लेना चाहती थी। वैसे भी माना जाता है कि दलित वर्ग कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी का कोर वोटर है। चुनाव तक किसी तरह इस मामले को साधा गया। इसके बाद सरकार बनी तो भूपेंद्र सिंह मंत्री नहीं बनाए गए, क्योंकि बीजेपी को अंदेशा था कि यदि भूपेंद्र मंत्री बने और दलित वर्ग ने विरोध किया तो इसका तीन महीने बाद ही यानी अप्रैल में होने वाले लोकसभा चुनाव पर असर पड़ सकता था। इस तथ्य में कितनी सच्चाई है, फिलहाल तो यह कहना मुश्किल है। यहां खास बात यह है कि भूपेंद्र सिंह बीजेपी के कद्दावर नेता हैं। उन्हें शिवराज सिंह चौहान गुट का माना जाता है। शिवराज सरकार में वे दो बार मंत्री भी रहे। दोनों कार्यकाल में उनके पास बड़े पोर्टफोलियो रहे, लेकिन इस पर पत्ता कट गया। 

भूपेंद्र कमजोर हुए, गोविंद का कद बढ़ा 

भूपेंद्र को मंत्री न बनाए जाने का तर्क दोनों तरह से सामने आता है। उनके समर्थक कहते हैं कि ऐसे तो कद्दावर बीजेपी नेता गोपाल भार्गव को मंत्री नहीं बनाया गया। उन्हें संगठन में भी कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है। वहीं, भूपेंद्र सिंह के आलोचक दूसरा तर्क भी बताते हैं। वे कहते हैं कि गोविंद सिंह राजपूत भी सागर जिले से आते हैं। कांग्रेस से बीजेपी में आकर गोविंद सिंह का पद और कद दोनों बढ़ा है। काबिले गौर यह भी है कि भूपेंद्र को संगठन में भी कोई उल्लेखनीय पद नहीं मिला है। लोकसभा चुनाव में उन्हें सिर्फ एक कलस्टर का प्रभारी बनाया गया था। माना जा रहा है कि दलित हत्याकांड से भूपेंद्र को सियासी तौर पर काफी नुकसान हुआ है। हालांकि भूपेंद्र ने अपने कट्टर विरोधी माने जाने वाले खुरई के पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे को बीजेपी में शामिल कराकर अपने सियासी कॅरियर की राह जरूर आसान कर ली है। वे खुरई मॉडल को भी जोर शोर से प्रचारित करते हैं। 

घटना का सरगना इमरान खान 

चलिए मामले को थोड़ा और ताजा करते हैं। अंजना की मौत के बाद पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह का एक और बयान सामने आया है। वे कह रहे हैं कि इस दलित हत्याकांड का मास्टर माइंट इमरान खान है। वही सारे अपराध करवाता है। उस पर 302 जैसे मामले रजिस्टर्ड हैं। पूरे एरिया के लोग उससे परेशान हैं। इमरान खान ही दलित परिवार यानी अंजना के घर वालों का इस्तेमाल करता था। सरकार के स्तर पर जो भी कार्रवाई होनी थी, वह हुई है। सभी आरोपी जेल में हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को ऐसे राजनीति नहीं करना चाहिए। घटनाक्रम की पृष्ठभूमि समझनी चाहिए। उन्होंने कहा, कांग्रेस गलत कह रही है। पप्पू रजक ने अपने बचाव में ये सब किया। आपको बता दें कि अंजना के चाचा राजेंद्र की हत्या में पप्पू रजक का नाम आया है। भूपेंद्र बोले, पहले उस पर हमला हुआ था। ये दो पक्षों का विवाद था। उसके घर पर मारा गया। कांग्रेस किस बात की राजनीति कर रही है। 

वाह...ऐसी निष्पक्ष कार्रवाई की जय हो

भूपेंद्र का बयान दो धारी तलवार की तरह नजर आता है। वे कह रहे हैं कि पुलिस ने निष्पक्ष कार्रवाई की है। एक- एक तथ्य की वीडियो रिकॉर्डिंग है। 
प्रशासन कहां गलत है? नौ लोग जेल में हैं। इनमें कुछ लोग ऐसे हैं, जो घटना में थे ही नहीं। गलत नाम जोड़े गए हैं उनके। एक सवाल के जवाब में भूपेंद्र बोले कि 85-85 साल के लोग जेल में हैं, क्या 85 साल के लोग अपराध करेंगे? अब भूपेंद्र ने इसे पुलिस की निष्पक्ष कार्रवाई बताया। बोले, पीड़ितों ने जिन लोगों के नाम लिए उनके नाम लिख दिए। भूपेंद्र यह बयान अंजना के भाई नितिन के हत्याकांड को लेकर दे रहे थे। ज्ञातव्य है कि अब अंजना इस दुनिया में नहीं रही। उसके चाचा राजेंद्र की हत्या कर दी गई। भाई नितिन तो पहले ही मारा जा चुका है।

पूर्व मंत्री बोले- मैंने हमेशा बच्ची की मदद की 

मीडिया से बातचीत में भूपेंद्र ने यह भी दावा किया कि वे बच्ची यानी अंजना की लगातार मदद करते थे। उन्होंने अंजना को खुरई में प्रधानमंत्री आवास योजना में घर दिलवाया था। पीड़ित परिवार को सरकार की ओर से 21 लाख रुपए की मदद हुई है। जितनी मदद हो सकती है, वो हमने की है। जनता की मांग थी कि बरोदिया नौनागिर में पुलिस चौकी खोली जाए, मुख्यमंत्री जी ने यहां चौकी स्वीकृत कर दी है। भूपेंद्र ने कांग्रेस पर भी आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बच्ची की मौत के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है, जिसके नेताओं ने उसे चक्काजाम के लिए उकसाया था। सीडीआर निकलवाई जाए तो पूरा मामला साफ हो जाएगा। 

प्रदेश में 70 लाख से ज्यादा दलित वोटर्स 

ये तो हुई हत्याकांड की बात। अब फिर भूपेंद्र के मंत्री पद से पत्ता कटने की बात पर आते हैं। मध्यप्रदेश में दलित वर्ग की राजनीति हमेशा उफान पर रही है। दलित वोटरों को साधने के लिए बीजेपी ने सागर में संत रविदास का मंदिर बनाने का ऐलान किया है। विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने समरसता यात्राएं निकाली थीं। बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में 35 सीटों पर दलित उम्मीदवार उतारे थे, इनमें से 26 सीट उसके खाते में गईं। वहीं, कांग्रेस के 9 दलित उम्मीदवार विधायक चुने गए। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में दलितों की आबादी प्रदेश की कुल आबादी की करीब 18 प्रतिशत है। यानी 70 लाख से ज्यादा दलित वोटर्स हैं, जिनके लिए 230 विधानसभा की सीटों में से 35 सुरक्षित सीटें हैं। इनमें से 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 18 सीटें तो बीजेपी ने 17 सीटें जीती थीं।

चलते चलते वह वीडियो भी देख लीजिए, जिसे कथित तौर पर अंजना का बताया जा रहा है।

पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के कथित तौर पर वायरल हुए एक वीडियो ने राजनीति को गरमा दिया है। कांग्रेस अब बीजेपी पर हमलावर हो गई है। राहुल गांधी ने भी दलित परिवार से फोन पर बात की। इधर, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गांव पहुंचकर पीड़ितों से मुलाकात की है।

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