CHHINDWARA. पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता कमलनाथ (Kamal Nath) की बीजेपी (BJP) जॉइन करने की अटकलों पर विराम लगने के बाद छिंदवाड़ा में कांग्रेसियों में बड़ी फूट शुरू हो गई है। पांढुर्णा नगर पालिका अध्यक्ष समेत 7 पार्षद, 16 सरपंच और जनपद सदस्यों ने बीजेपी (BJP) का दामन थाम लिया है। इससे कमलनाथ और उनके बेटे नकुल की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही हैं।
बीजेपी ने पिता-पुत्र की मुश्किलें बढ़ाईं
बीजेपी जॉइन करने की अटकलों के बीच 17 फरवरी को पूर्व CM कमलनाथ और सांसद नकुलनाथ ने दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन वहां बात नहीं बनी। इस एपीसोड (Episode) को हफ्ताभर बीत चुका है। इन 168 घंटों में BJP ने छिंदवाड़ा की राजनीतिक बिसात पर पिता-पुत्र के लिए कई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।
पांढुणा नगर पालिका अध्यक्ष, 7 पार्षद और 16 सरपंच समेत कई जनपद सदस्यों ने बीजेपी जॉइन की
BJP ने कमलनाथ के छिंदवाड़ा लौटने से पहले ही उनके कई नजदीकियों को भगवा दुपट्टा पहना दिया। पांढुर्णा के नगर पालिका अध्यक्ष, 7 पार्षद, 16 सरपंच और जनपद सदस्यों ने BJP जॉइन कर ली। बीजेपी ने यहां जिला अध्यक्ष से लेकर बूथ अध्यक्ष तक को टारगेट दे दिया है कि कांग्रेस के लोगों का भरोसा जीतकर उन्हें अपना बनाओ। इस बात की पुष्टि खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंच से की।
कमलनाथ विचार कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं ?
CM मोहन यादव ने कहा कि कुछ आ गए हैं और कुछ आने वाले हैं। कमलनाथ के नजदीकी लोग भी ये मानने लगे हैं कि जब 'साहब' विचार कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं ? पाला बदल चुके नपा अध्यक्ष, पार्षद और सरपंच कहते हैं कि वे विकास की गारंटी के साथ हैं।
BJP छिंदवाड़ा में जुटी एक्शन प्लान में
छिंदवाड़ा में उल्टी दिशा में बह रही ये 'हवा' इसलिए भी अहम है, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में नकुलनाथ सिर्फ 38 हजार वोटों से जीते थे। उस वक्त कमलनाथ मुख्यमंत्री थे। 5 साल बाद अब कमलनाथ ना तो सीएम हैं, ना ही उनका वैसा रुतबा है तो BJP छिंदवाड़ा फतह करने के लिए अपने एक्शन प्लान में जुट गई है।
छिंदवाड़ा का किला ढहाने बीजेपी ने की खास तैयारी
सीएम मोहन यादव जैसे ही स्टेज पर पहुंचे मंच संचालक ने एक के बाद एक कांग्रेसी नेताओं के नाम लेने शुरू कर दिए। बोले- कांग्रेस के जो भी साथी बीजेपी की सदस्यता लेने आए हैं, मैं लगातार उनका नाम बुलाता जाऊंगा। आप स्टेज पर आकर मुख्यमंत्री के हाथों पार्टी की सदस्यता लेते जाइए। BJP की सदस्यता लेने वालों में करीब 700-800 लोग थे। इनमें छिंदवाड़ा से कांग्रेस के प्रदेश महासचिव अज्जू ठाकुर, 7 पार्षद, 16 सरपंच समेत तमाम कार्यकर्ता थे।
छिंदवाड़ा में बीजेपी कैसे दे रही मिशन को अंजाम, उनकी तैयारी जानें
- आखिर बीजेपी के साथ कांग्रेस के इतने लोग कैसे आए ? इन्हें कौन लाया ? इस सवाल का जवाब ढूंढा तो पता चला कि यहां पूरी बीजेपी ही इस मिशन में जुटी है। हमने ये भी जाना कि आखिर कमलनाथ के बीजेपी में आने की अटकलें समाप्त होने के बाद छिंदवाड़ा जीतने के लिए बीजेपी किस तरह की खास तैयारी कर रही है।
- छिंदवाड़ा में बीजेपी संगठन कांग्रेसियों को अपनी विचारधारा और योजनाओं से प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। बीजेपी जॉइन करने वालों ने बताया के वे सभी पहले बीजेपी जिला अध्यक्ष बंटी साहू के संपर्क में थे। महीनेभर से इसकी तैयारी चल रही थी।
- बीजेपी आलाकमान ने जिला अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष और बूथ अध्यक्ष के अलावा पन्ना प्रमुखों को भी ये जिम्मेदारी दी है कि वे लोगों का मन बदलने के मिशन में जुट जाएं। बताते हैं, इस बात का भी रिकॉर्ड रखा जा रहा है कि BJP के किस कार्यकर्ता ने कितने लोगों को पार्टी जॉइन कराई।
- बीजेपी जिला अध्यक्ष विवेक साहू कहते हैं कि हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को पार्टी के साथ लाने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस में प्रताड़ित लोगों से संपर्क कर उन्हें बीजेपी की विचारधारा से जोड़ने का काम कर रहे हैं। लोगों का मन बदल रहे हैं। बीते 10 साल में मोदी सरकार ने गरीबों के लिए जो किया है, उससे भी लोगों का BJP के प्रति भरोसा मजबूत हो रहा है।
- बीजेपी की तरफ से गांवों में रात्रि विश्राम कार्यक्रम चलाया जा रहा है। छिंदवाड़ा के एक बूथ प्रभारी ने बताया कि कई बार प्रदेश मुख्यालय से किसी भी कार्यकर्ता के पास डायरेक्ट फोन कॉल आ जाता है। मंडल अध्यक्ष हफ्ते में एक बार शक्ति केंद्र अध्यक्षों और बूथ अध्यक्षों के साथ मीटिंग करता है। हफ्तेभर के काम का अपडेट लेता है।
- इसी तरह बूथ अध्यक्ष पन्ना प्रभारियों की साप्ताहिक बैठक लेता है। अभी हम गांव-गांव में बूथ चलो अभियान चला रहे हैं। इस अभियान के तहत बीजेपी जिला संगठन के कार्यकर्ता, क्षेत्र के मंडल अध्यक्ष, शक्ति केंद्र अध्यक्ष, बूथ अध्यक्ष और पन्ना प्रभारी गांव-गांव जाते हैं। वहां रात्रि विश्राम करते हैं। संगठन से जुड़े लोगों के यहां ही भोजन करते हैं।
- पूरे गांव को इकट्ठा कर नुक्कड़ सभाएं करते हैं। लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में बताते हैं। इससे प्रभावित होकर कई लोग वहीं बीजेपी जॉइन कर लेते हैं। बूथ चलो अभियान के तहत हम घर-घर जाकर मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं। बूथ से बूथ को जोड़ते जा रहे हैं।
- एक बूथ प्रभारी बताते हैं कि हमारा रात्रि विश्राम कार्यक्रम 1 मार्च तक चलेगा। इसके बाद जो भी नए आदेश आएंगे, हम उसके तहत काम करेंगे। अभी PM आवास योजना, मुफ्त गैस सिलेंडर, शौचालय, हर घर जल, आयुष्मान कार्ड और लाड़ली बहना जैसी योजनाओं के बारे में लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
- इसके अलावा राम मंदिर निर्माण, तीन तलाक और विदेशों में बढ़ रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के बारे में भी बताते हैं। दुनिया में देश के बढ़ रहे गौरव और ताकत के बारे में बताते हैं। मोदी जो भी बड़ा काम करते हैं, हम उस काम के जरिए वोटर को बीजेपी की तरफ लाने का काम करते हैं। जैसे हाल ही मोदी कतर में फांसी की सजा पा चुके 8 अधिकारियों को छुड़ाकर वापस लाए हैं। हम तमाम उपलब्धियों के साथ ये उपलब्धि भी लोगों को बता रहे हैं।
- छिंदवाड़ा में करीब 1943 चुनाव बूथ हैं। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में छिंदवाड़ा में 12 लाख 48 हजार 478 वोट पड़े थे। कांग्रेस के नकुलनाथ जीते थे। उनको 5 लाख 47 हजार 305 वोट मिले थे। वहीं, बीजेपी के नत्थन शाह को 5 लाख 9 हजार 769 वोट मिले थे।
- साल 2014 की तुलना में कांग्रेस का वोट प्रतिशत 3.48 प्रतिशत घटा था। वहीं, बीजेपी का वोट प्रतिशत 4.04 बढ़ा था। कांग्रेस को 47% और बीजेपी को 44% वोट मिले थे। अगर बीजेपी अपने हर बूथ पर 370 ज्यादा वोट पाने वाले फॉर्मूले पर खरी उतरती है तो बीजेपी को करीब 7 लाख 18 हजार 910 वोट एक्स्ट्रा मिलेंगे। यानी पार्टी को कुल 12 लाख से ज्यादा वोट मिलेंगे। छिंदवाड़ा में फिलहाल बीजेपी इसी टारगेट के साथ काम कर रही है।
अमित शाह का सबसे बड़ा टारगेट छिंदवाड़ा
साल 1952 से लेकर अब तक छिंदवाड़ा में बीजेपी सिर्फ एक लोकसभा चुनाव जीती है। 1997 का उपचुनाव बीजेपी के सुंदरलाल पटवा ने जीता था। 1980 के बाद से यहां कमलनाथ, उनकी पत्नी और बेटा ही चुनाव जीतते आ रहे हैं, इसीलिए छिंदवाड़ा बीजेपी की आकांक्षी सीटों में से एक है।
इस सीट पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का खास फोकस है। विधानसभा चुनाव के दौरान 27 अक्टूबर, 2023 को अमित शाह छिंदवाड़ा का दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा मार्च में भी उनका छिंदवाड़ा दौरा प्रस्तावित है। अभी तारीख तय नहीं हुई। शाह इस सीट का करीब 10% वोट अंतर पाटना चाहते हैं। छिंदवाड़ा और चौरई विधानसभा सीट को छोड़ दिया जाए तो बाकी की 5 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का वोट प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में बढ़ा है।
शिवराज का फैसला पहुंचा सकता है फायदा
अगस्त 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पांढुर्णा को नया जिला बनाया था। पांढुर्णा में सौंसर विधानसभा को भी मिला दिया गया था। कमलनाथ के गढ़ में दरार डालने का ये प्लान विधानसभा चुनाव में तो काम नहीं आया, लेकिन बीजेपी लोकसभा चुनाव में इसे भुनाने में लगी हुई है। कांग्रेस छोड़कर जितने भी बड़े नेता बीजेपी में शामिल हुए हैं, लगभग सभी पांढुर्णा से हैं।
पांढुर्णा में 30 पार्षद बनते हैं। अभी तक 17 पार्षदों के साथ नगर पालिका में कांग्रेस का कब्जा था। अब नगर पालिका अध्यक्ष समेत 7 पार्षद बीजेपी में शामिल हो गए हैं। बीजेपी के पास 10 पार्षद थे, जो अब 17 हो गए हैं यानी बहुत जल्द पांढुर्णा नगर पालिका पर बीजेपी का कब्जा होगा।
बीजेपी में शामिल होने वाले पूर्व प्रदेश कांग्रेस महासचिव अज्जू ठाकुर ने कहा, '10 महीने पहले पांढुर्णा नगरपालिका चुनाव में कांग्रेस की जीत हुई थी। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने पांढुर्णा को जिला बनाने की घोषणा कर दी। 10 महीने बाद हमें समझ आ गया कि बीजेपी के साथ के बिना विकास संभव नहीं है। हम बीजेपी के विकास मॉडल से प्रभावित हुए।
साहू बोले- मुख्यमंत्री बनेंगे, इसलिए जीते उनके विधायक
छिंदवाड़ा बीजेपी जिला अध्यक्ष विवेक साहू ने कहा, 'इस बार हम हर हाल में छिंदवाड़ा जीतेंगे। विधानसभा चुनाव में हमें यहां की सातों सीटों पर जीत नहीं मिली। इसके पीछे की एक ही वजह रही कि कांग्रेस लोगों के मन में ये धारणा बनाने में सफल रही कि उनके जिले के नेता मुख्यमंत्री बनेंगे, इसलिए ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कांग्रेस को जितवाया जाए। लोगों ने इसी भावना के साथ वोट किया था, लेकिन अब वे ठगा महसूस कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में परिणाम बिलकुल उल्टे होंगे।'
ओक्टे ने कहा- जिले में कांग्रेस संगठन का मतलब कमलनाथ
कांग्रेस जिला अध्यक्ष विश्वनाथ ओक्टे ने कहा, पूरा छिंदवाड़ा कमलनाथ जी के परिवार की तरह है। कमलनाथ जी छिंदवाड़ा के पर्याय हैं। कुछ कार्यकर्ताओं के पार्टी छोड़ने से जिला कांग्रेस को कोई असर नहीं पड़ता। हमारा जनाधार मजबूत है। लोगों को कमलनाथ पर भरोसा है। उनके किए गए विकास कार्यों पर भरोसा है। वे बड़े नेता हैं। चुनाव कैसे लड़ना है, ये उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। बीजेपी कितनी भी ताकत लगा ले, कमलनाथ का किला नहीं भेद पाएगी।