BHOPAL. मध्यप्रदेश में नए पुलिस महानिदेशक (DGP) की दौड़ में शामिल सीनियर आईपीएस अफसर कैलाश मकवाना की सीआर ( गोपनीय चरित्रावली ) खराब होने का मामला सुर्खियों में है। मकवाना ने सीआर खराब करने के पीछे मेलाफाईड इंटेशन ( दुर्भावनापूर्ण सोच ) बताया है। इसके अलावा मकवाना से खुद मोहन सरकार से अपनी सीआर सुधारने की अपील की है। अब बड़ा सवाल उठ रहा है कि आखिर जिस अफसर की 35 साल की बेहतर रही है, उसका 6 महीने का लोकायुक्त डीजी का कार्यकाल कैसे खराब हो सकता है ?
यहां बता दें, सीआर खराब होने के बाद मकवाना ने राज्य सरकार को दिसंबर के तीसरे सप्ताह में अपना रिप्रजेंटेशन देकर कहा कि उनकी सीआर मेलाफाईड इंटेशन के चलते खराब की गई है, इसे सुधारा जाए।
...यहां से बिगड़ा मामला
दरअसल, रीवा के एक डॉक्टर के खिलाफ स्थानीय लोकायुक्त पुलिस ने आय से अधिक संपत्ति का फर्जी मामला बनाया था। बाद में यह मामला 7 साल तक पेंडिंग रहा। सूत्र बताते हैं कि लोकायुक्त संगठन ने इस मामले को खोलकर डॉक्टर के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करने को कहा, इस पर तत्कालीन लोकायुक्त डीजी मकवाना ने इनकार कर दिया। मकवाना का कहना था कि ये शिकायत 7 साल से पेंडिंग है, इसमें एक बार भी जांच नहीं की गई। ऐसे में बिना जांच के किसी के खिलाफ प्रकरण बनाना ठीक नहीं है। मकवाना ने इस मामले की जांच करवाई तो वो शिकायत झूठी मिली और डॉक्टर को क्लीनचिट मिल गई। इसके बाद से लोकायुक्त और डीजी मकवाना में ठन गई। इसके बाद रोजाना के काम काज को लेकर आए दिन तनातनी होने लगी। सूत्र ये भी बताते हैं कि लोकायुक्त ने तत्कालीरन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कहकर 6 माह में ही मकवाना को लोकायुक्त डीजी पद से हटवा दिया।
... तो मकवाना ने अपने जवाब में लोकायुक्त पर लगाए गंभीर आरोप
मकवाना ने सरकार को दिए गए रिप्रजेंटेशन में कहा कि जिन शिकायतों का आधार बनाकर सीआर खराब की उसके दस्तावेज क्यों नहीं दे रहा लोकायुक्त संगठन। मकवाना का दावा जिन शिकायतों का जिक्र लोकायुक्त ने किया है उनमें से एक में भी उन्होंने खात्मा नहीं लगाया। सरकार चाहे तो शिकायतें बुलाकर कर सकती है सत्यता की जांच।
मकवाना ने अपने रिप्रजेंटेशन में कहा कि 35 साल की सर्विस ईमानदारी से की। हर बार सीआर में 10 अंक मिले, व्यक्तिगत रंजीश और चिढ़ निकालने के लिए जानबुझकर 6 नंबर देकर सीआर खराब की। इतने सालों के ईमानदारी वाले करियर पर दाग लगाने का प्रयास किया।
अब गेंद सीएम मोहन के पाले में
अब इस मामले की गेंद मुख्यमंत्री मोहन यादव के पाले में चली गई है। ये बात सही है कि मकवाना मप्र पुलिस का एक ईमानदार चेहरा माने जाते हैं। ऐसे में पुलिस के सबसे बड़े ओहदे पर बैठा ईमानदार अफसर अपने लिए ही न्याय की गुहार लगा रहा है तो सिस्टम पर सवाल उठना लाजमी है। क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव इस मामले में कोई फैसला ले पाएंगे या फिर लोकायुक्त से पंगा ना हो जाए, इस बात को सोच कर इस मामले को पेडिंग रखा जाएगा, ये बात देखने वाली होगी।
लोकायुक्त एनके गुप्ता का कार्यकाल 22 अक्टूबर तक
लोकायुक्त एनके गुप्ता का कार्यकाल 23 अक्टूबर 2023 को पूरा हो चुका है। सरकार ने 2015 में लोकायुक्त एक्ट 1981 की धारा 5 में संशोधन किया था कि नए लोकायुक्त की नियुक्ति तक कार्यकाल पुरा होने के बाद भी पुराने लोकायुक्त बने रह सकते हैं, लेकिन ये बढ़ी हुई अवधि एक वर्ष से अधिक नहीं होगी। अब ऐसे में एनके गुप्ता 22 अक्टूबर 2024 तक इस पद पर रह सकते हैं, लेकिन यदि मोहन सरकार नए लोकायुक्त की नियुक्ति कर देती है तो वे इससे पहले भी हट सकते हैं।