Mapcost Scam : मध्य प्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकॉस्ट) में 'विज्ञान सर्वत्र पूज्यंते' कार्यक्रम के तहत बड़े स्तर पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। पुरानी तारीख में कागजी टेंडर निकालने से लेकर, काम करने वाली कंपनी का सही पता न मिलने तक, कई अनियमितताएं उजागर हुई हैं। टेंडर स्वीकारने और भुगतान के लिए नियमों को तोड़-मरोड़कर काम किया गया।
फर्जी कागजी टेंडर और नकली कंपनी
इस कार्यक्रम का आयोजन भोपाल, जबलपुर और इंदौर में 22 से 28 फरवरी 2022 तक किया गया। टेंडर संबंधी नोटशीट के दस्तावेज में तारीखों में कांट- छांट की गई और 14 फरवरी को जारी दस्तावेजों को 12 मार्च को पुरानी तारीख में तैयार किया गया। मैपकॉस्ट के डीजी अनिल कोठारी समेत 11 अधिकारियों के हस्ताक्षर वाले इस दस्तावेज में कई अनियमितताएं पाई गईं। हड़बड़ी में इटारसी की एक एजेंसी को भोपाल की एजेंसी बताया गया और इसका अनुमोदन कर दिया गया।
जांच की मांग
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और लोकायुक्त संगठन को मामले की शिकायत की गई है। शिकायत में दावा किया गया है कि कार्यक्रम का काम तुषार इंटरप्राइजेस ने किया जबकि कार्य आदेश रेवा इंटरप्राइजेस को दिया गया। 27 लाख के बिल भी रेवा इंटरप्राइजेस ने ही पेश किए थे। जब भुगतान स्वीकृति आदेश भेजे गए तो वह बैरंग लौट आए क्योंकि उस पते पर कोई रेवा इंटरप्राइजेस नाम की एजेंसी नहीं थी।
बिलों में हेरफेर
भंडार कक्ष के अधिकारी ने कार्य आदेश के अनुसार फ्रेम से संबंधित सामग्री की प्रविष्टि की, लेकिन स्टैंडी के नाम पर प्रदर्शनी के बिल लगाए गए। 27 लाख के बिलों पर वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक की टीप के आधार पर 16 लाख की कटौती कर दी गई। ऑडिट टीम ने भी अनियमितताओं की अनदेखी की और 16 लाख रुपये के भुगतान की अनुशंसा की। अंततः 27 लाख के बिल में कटौती कर करीब 11 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
अधिकारियों के पक्ष
मैपकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने आरोपों को झूठा बताते हुए कहा कि बिलों में कटौती सप्लाई के बाद वैरिफिकेशन के आधार पर हुई। वहीं, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नरेंद्र शिवहरे ने शिकायत में कहा कि फर्जी बिलों पर आपत्ति उठाने पर उन्हें नोटिस देकर निलंबित कर दिया गया।
thesootr links
द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें