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भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा में जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। खासकर सागर और धार जिले में पार्टी नेताओं के बीच गुटबाजी और दबाव की राजनीति चरम पर है। दोनों जिलों में नेताओं ने अपनी पसंदीदा जिलाध्यक्ष की नियुक्ति के लिए दवाब बनाया है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।
सागर में विधानसभाओं का बंटवारा और दबाव
सागर जिले में भाजपा नेताओं ने विधानसभाओं को बांटने का प्रस्ताव दिया है। एक गुट का कहना है कि रेहली, देवरी और बंडा विधानसभाओं को मिलाकर एक जिलाध्यक्ष नियुक्त किया जाए, जबकि सागर, खुरई, बीना, नरयावली और सुरखी विधानसभाओं का अलग जिलाध्यक्ष रखा जाए। इस विवाद में पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का नाम सामने आया है। खबरों के मुताबिक राजपूत ने प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा से इस पूरे मामले पर बातचीत की है।
गोविंद सिंह राजपूत और गोपाल भार्गव की बैठक
शनिवार को खाद्य मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने संगठन के नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने इसे एक रूटीन मुलाकात बताया, जिसमें सागर जिले की जिलाध्यक्ष नियुक्ति पर भी चर्चा हुई। राजपूत ने कहा कि पार्टी जो भी निर्णय लेगी, वह सही होगा। वहीं, पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और विधायक शैलेंद्र जैन भी सागर में अपने व्यक्ति को जिलाध्यक्ष बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
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कई जिलों में रिपीट होने का दबाव
सूत्रों का कहना है कि संगठनात्मक जिलों में से 20 जिलों में वर्तमान जिलाध्यक्षों के रिपीट होने का दबाव बना हुआ है। इस कारण जिलाध्यक्षों की लिस्ट फाइनल करने में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि 30 से अधिक जिलों में एक नाम पर सहमति बन गई है।
भोपाल में जातिगत समीकरण और जिलाध्यक्ष की नियुक्ति
भोपाल में मौजूदा जिलाध्यक्ष सुमित पचौरी को लेकर जातिगत समीकरण भी अहम मुद्दा बना हुआ है। पचौरी को स्थानीय नेताओं का समर्थन मिल रहा है, जबकि ओबीसी वर्ग से रविंद्र यती, जगदीश यादव और सुरजीत सिंह ने दावेदारी की है। अन्य वर्गों में भी कई नाम सामने आ रहे हैं।
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दिल्ली से सख्त दिशानिर्देश
सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए सख्त क्राइटेरिया तय किया है। खासकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्तियों को जिलाध्यक्ष नहीं बनाने की संभावना है। इसके अलावा, रिपीट करने के समय पार्टी विधायकों और सांसदों की राय को प्राथमिकता दे रही है।
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