भाजपा नेता ने दिखाई दबंगई, सरकारी जमीन पर किया कब्जा, खड़ी कर दी बाउंड्री वाल

ग्वालियर में भाजपा के महामंत्री विनय जैन पर सरकारी जमीन पर कब्जा करने का आरोप है। उन्होंने 26 जून को हनुमान मंदिर की जमीन पर बाउंड्री वाल बनवाई, जिसमें कार्यकर्ताओं का सहारा लिया। विरोध करने पर स्थानीय लोगों को डराया-धमकाया।

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Manish Kumar
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Photograph: (The Sootr)

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GWALIOR. मध्यप्रदेश में भाजपा नेताओं के आए दिन दबंगई और अजीबोगरीब कारनामों के किस्से सामने आते रहते हैं। कहीं पूर्व विधायक टोल मैनेजर को थप्पड़ मारते हुए वीडियो में कैप्चर होता है तो कहीं सरकारी जमीन पर कब्जा करने का। इसी कड़ी में ग्वालियर शहर से ही एक ऐसा मामला सामने आया है। यहां भाजपा के एक महामंत्री ने अपने पद के नशे और दबंगई के बल पर सरकारी जमीन पर ही कब्जा कर लिया है।

यह है मामला

ग्वालियर का यह मामला शहर के कदम साहब की गोठ जनकगंज स्थित हनुमान मंदिर की जमीन से जुड़ा है। हनुमान मंदिर की सरकारी जमीन पर भाजपा के महामंत्री विनय जैन ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कब्जा कर लिया है। इसके लिए उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं का सहारा लिया। भाजपा कार्यकर्ताओं संग महामंत्री विनय जैन 26 जून को हनुमान मंदिर पहुंचे और जबरदस्ती वहां बाउंड्री वाल खड़ी करवाने लगे।

स्थानीय लोगों ने जब इसका विरोध किया तो उन्हें भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं ने डराया-धमकाया। इतना ही नहीं, जब स्थानीय लोगों ने पुलिस को बुलाया तो उन्हें भी आरोपी पक्ष के वकीलों ने कोर्ट के कागजात दिखाकर बरगला दिया। पुलिस को वकीलों ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद ही बाउंड्री वाल खड़ी की जा रही है। जबकि हाईकोर्ट 20 फरवरी 2025 को अपने फैसले में इस मंदिर की जमीन को सरकारी जमीन बता चुकी है। 
भाजपा नेता ने बाउंड्री वाल पर अपनी चाची रजनी जैन और छोटे भाई आशीष जैन का नाम लिखवा दिया है। वहीं, इस जमीन को लेकर जब कोर्ट में मामला चल रहा था, तब उसके चाचा रूपचंद जैन को जमीन का खरीददार बताया गया था।

हाईकोर्ट ने दिया था ये आदेश

हाईकोर्ट ने जनकगंज स्थित हनुमान मंदिर की विवादित जमीन पर फैसला सुनाते हुए न तो पुजारी को मालिक माना और न ही खरीददार को। दोनों ही पक्ष अपने मालिकाना हक को साबित नहीं कर पाए। इसके बाद कोर्ट ने इस जमीन को माफी औकाफ विभाग की संपत्ति माना।

दरअसल, जनकगंज में हनुमानजी का मंदिर है, जिसके पास 5000 स्क्वायर फीट से अधिक जमीन थी। रूपचंद जैन ने इसे खरीद लिया, लेकिन बिक्री के बाद मालिकाना हक को लेकर विवाद खड़ा हो गया।

यह मामला जिला कोर्ट पहुंचा और फिर पुजारी ने 2003 में अपील दायर की। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान यह तर्क रखा गया कि मंदिर की देखरेख माफी ऑकाफ विभाग करता है। मंदिर के पुजारी को इस जमीन बेचने का अधिकार है। कोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि यह जमीन माफी औकाफ की है। mp news

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