मध्य प्रदेश। 'आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को पार्टी का सदस्य नहीं बनाया जाएगा...।' यह बयान मध्यप्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष वीडी शर्मा का है। अब उनके इस बयान से तो साफ है कि यदि किसी नेता अथवा कार्यकर्ता का क्रिमिनल रिकॉर्ड है तो बीजेपी में उसे एंट्री नहीं मिलेगी। राजनीतिक पार्टियों में साफ छवि वाले नेताओं की एंट्री के लिए यह वाकई सराहनीय कदम है। इसे लागू किए जाने पर राजनीति और अपराध के गठजोड़ तोड़ने में कुछ हद तक मदद मिल सकती है। ये तो हुई एक बात। अब यदि हम पीछे मुड़कर देखें तो स्थिति इसके उलट है। नए सदस्यों के लिए भले नए नियम बनाए जा रहे हैं, लेकिन मौजूदा मंत्री, विधायकों और संगठन के बड़े नेताओं का भी क्रिमिनल रिकॉर्ड है। अब ऐसे में क्या उनकी सदस्यता रिन्यु होगी?
'द सूत्र' ने जब पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले नाम सामने आए...पढ़ें ये खास रिपोर्ट...
बीजेपी के कितने MLA पर आपराधिक केस :
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने यूं बड़े ताव से कहा है कि पार्टी क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले लोगों को अपना सदस्य नहीं बनाएगी, लेकिन क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले मंत्री और विधायक पार्टी में पहले से हैं। जानकारी के अनुसार, बीजेपी के 163 में से 51 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें 16 के खिलाफ गंभीर आपराधिक केस हैं।
पूर्व मंत्री और विधायकों के भी हैं क्रिमिनल रिकॉर्ड
संजय पाठक:
संजय सत्येंद्र पाठक, विजयराघवगढ़ (कटनी) सीट से विधायक हैं। इनके खिलाफ एक मामला दर्ज है। उन पर अपहरण (धारा-365) और धारा-294 के तहत प्रकरण दर्ज है। पाठक मंत्री रहे हैं।
बिसाहूलाल सिंह:
अनूपपुर की एसटी सीट से विधायक बिसाहूलाल सिंह पर 12 मामले दर्ज हैं। उनके खिलाफ धमकी (धारा-506) और (धारा-294) जैसे आरोपों के तहत प्रकरण दर्ज है। पिछली शिवराज सरकार में बिसाहू मंत्री थे।
नरेंद्र सिंह कुशवाह:
भिंड विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाहा के खिलाफ तीन मामले दर्ज हैं। इनमें बंधक बनाने (धारा-342), दंगा करने (धारा-147) जैसे आरोप शामिल हैं।
सुरेंद्र पटवा:
भोपाल के पास भोजपुर सीट से विधायक पटवा के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। इनमें से बैंक से धोखाधड़ी भी शामिल है। सीबीआई इस मामले की पड़ताल कर रही है।
दिलीप अहिरवार:
छतरपुर जिले की चंदला सीट से विधायक दिलीप अहिरवार के खिलाफ IPC सेक्शन 323 के तहत तीन मामले दर्ज हैं।
प्रदेश में 90 विधायकों पर केस दर्ज
मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीटों पर चुनाव हुए थे। इनमें से 163 सीट भाजपा ने जीतीं, वहीं 66 सीट कांग्रेस के खाते में गई थीं। एक सीट भारत आदिवासी पार्टी ने जीत ली। चुनाव के बाद एक रिपोर्ट के अनुसार 230 विधायकों वाली विधानसभा में 90 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, वहीं 34 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
बीजेपी की नीयती ठीक है क्या?
साफ-सुथरी राजनीति की बात करने वाली बीजेपी के मंत्री और विधायकों पर कई प्रकरण दर्ज हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान भी नामांकन में उम्मीदवारों ने स्वयं पर दर्ज आपराधिक केस की जानकारी दी थी। इन उम्मीदवारों में अधिकांश जीत कर विधानसभा पहुंच गए। यदि बीजेपी की नीयत ठीक है तो फिर विधानसभा चुनावों में आपराधिक छवि वाले नेताओं को टिकट क्यों दिए गए?
95 लाख की सदस्यता होगी रिन्यू
18 वर्ष से अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति बीजेपी की सदस्यता ले सकता है। बशर्ते वह किसी और पार्टी का सदस्य नहीं होना चाहिए। पार्टी ने अपने संविधान में इस तरह की व्यवस्था की है। किसी भी सदस्य को छह साल के लिए सदस्यता दी जाती है। उसके बाद सदस्यता को रिन्यू कराना होता है। राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर सदस्यता अभियान चलाकर उसे रिन्यू किया जाता है। मध्यप्रदेश में अभी बीजेपी के 95 लाख सदस्य हैं। इस बार के सदस्यता अभियान के तहत इन सभी की सदस्यता रिन्यू की जाएगी। बीजेपी ने अपने मेगा अभियान में 55 लाख नए सदस्य जोड़ने का टारगेट सेट किया है। यदि यह लक्ष्य हासिल होता है तो प्रदेश में बीजेपी के करीब 1 करोड़ 50 लाख सदस्य होंगे।
द सूत्र व्यू...
यदि यह मान लिया जाए कि बीजेपी ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को पार्टी में नो एंट्री देने का मन बनाया है और कुछ हद तक सफल भी होती है तो इसे अच्छी पहल माना जाएगा। बीजेपी की इस पहल से कांग्रेस को सीख लेना चाहिए कि सदस्यता अभियान के दौरान आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों को पार्टी में प्रवेश नहीं दिया जाए।
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