मध्य प्रदेश में 'सूखा' खत्म हो गया है... ओलंपिक मेडल का भी और बारिश का भी। पेरिस पैरालंपिक में जबलपुर की बेटी रुबीना फ्रांसिस ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल कर मध्यप्रदेश को पहला और देश को पांचवां मेडल दिलाया है। इधर, बदरा भी बेहिसाब बरसे। सूबे के 43 जिले तर हो गए हैं। यहां सामान्य से ज्यादा पानी गिर चुका है।
राजनीति में दिल्ली की चर्चा है और प्रशासन में रेरा की। दिल्ली में नए सरकार ने कूटनीतिक तौर पर पुराने सरकार को पटखनी दे दी है। रेरा में साहब की सख्ती से बिल्डर तिलमिला उठा है। सोशल मीडिया पर अफसरों के बीच तकरार के चर्चे भी आम हो गए हैं।
देश-प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए…
जहां दम, वहां हम
ब्यूरोक्रेसी का ये मूल वाक्य है जहां दम दिखे, वहां नजर आओ। अब देखिए न मामा ने दिल्ली में एमपी के ब्यूरोक्रेट्स को पार्टी दी तो कुछ चुनिंदा अफसर ही वहाँ पहुंचे। इसके बाद डॉ साहब की पार्टी हुई तो आईएएस, आईपीएस, आईएफएस हर कोई पहुंचा। हालांकि मामा को इस बात का अहसास एमपी में हॉट सीट से उतरने के बाद ही हो गया था, लेकिन केंद्र में दो- दो मिनिस्ट्री मिलने के बाद मामा को लगा था कि शायद वो पुराना पॉवर लौट आया है, मगर इस पार्टी ने उनकी इस गलत फहमी को दूर कर दिया।
ये हो रहा है भाई… ये क्या हो रहा है!
दिल्ली के बाद आते हैं डिजिटल दुनिया में। साहब लोगों का एक वॉट्सऐप ग्रुप है। इसमें नए- पुराने सभी साहब जुड़े हुए हैं। हुआ यूं कि एक मौजूदा आईएएस मैडम ने पोस्ट डिलीट कर दी। दरअसल, वे तो अपनी पोस्ट हटा रही थीं, लेकिन उन्हें ये ध्यान नहीं रहा कि वे भी एडमिन हैं। नतीजा यह हुआ कि पुरानी मैडम की पोस्ट भी हट गई। फिर क्या था... पुरानी मैडम ने मौजूदा आईएएस मैडम को जमकर खरी- खोटी सुनाई। वे माफी भी मांगती रहीं, लेकिन पुरानी मैडम ने एक न सुनी। ये तो हुई एक बात। इसी ग्रुप से दूसरी खबर भी निकली है। यह क्या है कि एक मैडम ग्रुप में खूब चुटकुले भेजती हैं। उनके डबल मीनिंग जोक से कई बार अजीब स्थिति बन जाती है। कई अफसर उनसे परेशान हैं। आपको बता दें कि इन मैडम का नाम चर्चित व्यापमं घोटाले में भी सामने आया था।
पिता- पुत्र की जोड़ी का कमाल!
भोपाल के विवादित आकृति बिल्डर से सांठ- गांठ करने वालों में एक अकड़ू अफसर का नाम भी सामने आया है। इन साहब ने मुख्य सचिव रहते हुए बिल्डर को बचाने में जी तोड़ मेहनत की थी। साहब का टेरर इतना था कि कोई भी उनके फरमान की नाफरमानी करने की सोच भी नहीं सकता था। अब, जबकि आकृति बिल्डर के मामले की परतें खुलना शुरू हुई हैं तो उसमें कई अफसरों के चौंकाने वाले नाम सामने आ रहे हैं। इसमें अकड़ू अफसर और उनके आईएएस बेटे का नाम भी निकलकर आया है। बिल्डर के खाते से बाप- बेटे के खाते में कुछ लाख रुपए भी जमा कराए गए हैं। 'द सूत्र' जल्द ही इस मामले में खुलासा कर बताएगा कि कैसे किन- किन अफसरों ने बिल्डर को लाभ पहुंचाया और इसके एवज में इन्हें क्या- क्या फायदा मिला… तो देखते और पढ़ते रहिए 'द सूत्र'।
रईस से गुपचुप मिल आए साहब
क्या ही गजब है। सब अपनी सेटिंग जमाने में लगे रहते हैं। अब इसी मामले को देख लीजिए। प्रदेश के बड़े अफसरों में देश के सबसे बड़े उद्योगपति से मिलने की होड़ सी लगी हुई है। इसकी वजह मलाईदार महकमा पाकर अपनी कुर्सी के पाए मजबूत करना है। अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के कुछ अफसर सरकार से झूठ बोलकर दूसरी मीटिंग के बहाने गुपचुप बड़े उद्योगपति से मिल आए हैं। बात है कि छुपती नहीं है। अब मंत्रालय के गलियारों में ये मुलाकातें चर्चा में हैं। वैसे तो आप समझ ही गए होंगे कि ये उद्योगपति कौन हैं? नहीं समझे हैं तो राहुल गांधी का भाषण सुन लीजिए, वे अपने हर भाषण में इनका नाम लेते रहते हैं।
मंत्राणी से उठा भरोसा
मंत्राणी के यहां कुछ अधिकारियों का काम क्या अटका, उसके बाद से अफसरों ने जाना छोड़ दिया। अब नए ओएसडी लोगों को बुला रहे हैं, लेकिन अधिकारी हैं कि भरोसा करने को तैयार ही नहीं। बताया जा रहा है कि पहले जिन अफसरों ने मैडम के भरोसे पोस्टिंग का दांव खेला था, उनका आज तक कहीं कुछ नहीं हुआ। यानी 'खाया पीया चार आना और गिलास फोड़ा बारह आना' वाली कहावत उनके साथ चरितार्थ हो गई। हालांकि मैडम के नए ओएसडी पुराने खिलाड़ी हैं तो अभी वो मैडम के प्रभार वाले जिले से सारा हिसाब- किताब बना रहे हैं। ओएसडी बोले तो अपने प्रोफेसर साहब पहले खनिज में धूम मचा चुके हैं।
जब मंच पर ही डॉक्टर साहब ने टेस्ट ले लिया
सोशल मीडिया पर जय भाजपा… विजय भाजपा.. करने से कुछ नहीं होता भाईसाहब। पार्टी की रीति- नीति का भी तो पता होना चाहिए। यदि इसकी जानकारी नहीं होगी तो शर्मिंदा होना ही पड़ता है। ऐसे ही शर्मिंदा हुए बीजेपी के दो नेता। हुआ यूं कि डॉक्टर साहब ने संगठन के कार्यक्रम में मंच से पार्टी की पंच निष्ठा पूछ ली। उनके इस अचानक टेस्ट से कई नेता सकपका गए। स्थिति यूं हुई कि महामंत्री और अध्यक्ष महोदय बगलें झांकने लगे। मामला राजधानी का ही है। अब बीजेपी वाले तो समझ ही जाएंगे कि हम किनकी बात कर रहे हैं।