हरीश दिवेकर @ भोपाल
झुलसा देने वाली गर्मी… सियासी पारा भी गर्म… बयानों के तीर और नेताओं के भाषण। इन सबके बीच मतदाता मौन रहे। एमपी में कल यानी 13 मई को चौथे चरण की वोटिंग के साथ पूर्णाहुति हो जाएगी। भाईसाहब, साहब का भाग्य पिटारे में कैद हो जाएगा। मौन मतदाताओं के मन में क्या है, यह तो 4 जून को ही सामने आएगा। फिलवक्त तो ग्राउंड से आ रही खबरों ने सत्तारूढ़ दल की नींद उड़ा दी है।
चलिए अब अफसरान की खबरें बताते हैं। तो भैया, एक साहब इन दिनों कोल्ड ड्रिंक भी फूंक- फूंककर पी रहे हैं। एक आईएएस अफसर को ससुर साहब के नाम पर पैसा लगाना भारी पड़ गया है। साले साहब ने कुंडली मार ली है। वहीं, इन दिनों ब्यूरोक्रेसी में एक यंग आईपीएस खासे चर्चा में हैं। उनके सिर नेतागिरी का शौक चढ़ गया है।
खैर, देश प्रदेश में खबरें तो और भी हैं। आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।
साहब, ससुर और साले साहब
समय से पहले भाग्य से ज्यादा कभी किसी को नहीं मिलता। अब क्या है कि मंत्रालय के एक सीनियर आईएएस अफसर का भाग्य तो जोरदार है, पर समय खराब चल रहा है। मामला यह है कि साहब ने नौकरी के बीच जमकर काला- पीला किया। करोड़ों रुपए छापे। कमाई को सफेद करने के लिए साहब ने ससुर साहब के नाम पर महाकौशल में एक बड़े अस्पताल में करोड़ों रुपए लगा दिए। अब चूंकि साहब जल्द रिटायर होने वाले हैं, ऐसे में वे अपनी कमाई अपने नाम करना चाहते हैं, पर इसमें साले साहब विघ्न संतोषी बनकर सामने आ गए हैं। साले साहब ने पूरे माल पर अधिकार जमाने के लिए टांग अड़ा दी है। उनका कहना है कि प्रॉपर्टी मेरे पिता के नाम पर है तो मेरा भी इस पर पूरा अधिकार है। साले के बदलते तेवर से साहब टेंशन में हैं। साहब चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए साहब ने सेटलमेंट का रास्ता अपनाने का मन बनाया है।
कोल्ड ड्रिंक भी फूंक कर पी रहे हैं साहब
आपने सुना होगा कि दूध का जला छांछ भी फूंक- फूंककर पीता है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। इसमें प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारी तो कोल्ड ड्रिंक भी फूंक- फूंककर पी रहे हैं। दरअसल, कलेक्टर उज्जैन रहते हुए ये साहब एक ऐसे मामले में फंस गए, जिसमें उनका कोई रोल नहीं था। तब से लेकर आज तक वे इससे बाहर नहीं आ पाए। हाल ही में एक बैठक में साहब का ये दर्द सामने आ गया। पीएम श्री हेली पर्यटन सेवा का मामला एविएशन डिपार्टमेंट ने साहब के डिपार्टमेंट को ट्रांसफर करने का प्रस्ताव दिया तो साहब ने इसे टाल दिया। बोले, तीन चार महीने एविएशन डिपार्टमेंट इसे चला ले, फिर इसे हमारा विभाग ले लेगा। हालांकि विभाग के एमडी इस योजना को लेने के लिए अति उत्साहित थे। उन्हें समझ ही नहीं आया कि इतनी अच्छी योजना को लेने से साहब ने इंकार क्यों कर दिया।
पुलिसगिरी से ज्यादा नेतागिरी
नेतागिरी हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती है। अब देखिए न… एक यंग आईपीएस अफसर भी नेताओं की स्टाइल में हैं। दरअसल, साहब में आईपीएस के गुण कम और नेतागिरी के गुण ज्यादा हैं। हों भी क्यों न, इनके साले साहब कांग्रेस के नेता हैं तो स्कूल का दोस्त बीजेपी का कद्दावर विधायक। इस आईपीएस ने यंग आईएएस- आईपीएस का कार्टेल बना लिया है। इसमें कुछ कलेक्टर हैं तो कुछ एसपी। इतना ही नहीं एक दो सीनियर आईपीएस के साथ कुछ बड़े कंपनी के लाइजनर भी यंग आईपीएस के फैन हैं। बताते हैं कि इस यंग आईपीएस की लायजनिंग जितनी कांग्रेस में अच्छी थी, उतनी ही बीजेपी में भी है।
हम तो कहेंगे बढ़िया है गुरु,
रुख हवा का हो जिधर,
वहां के होकर रहना चाहिए।
रिटायरमेंट पास, पर बैटिंग नहीं हो पा रही
रिटारयमेंट के मुहाने पर बैठे मंत्रालय और पीएचक्यू के कुछ आईएएस- आईपीएस भारी परेशान हैं। दरअसल, डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी पुरानी जमावट उखड़ गई। जैसे- तैसे मामला जमाने की कोशिश की तो लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई। अब 4 जून के बाद डॉक्टर साहब की टीम में कौन मुख्यधारा में रहेगा और कौन लूप लाइन में जाएगा… किसी को कुछ पता नहीं है। ऐसे में रिटायर होने वाले अफसरों को चिंता सता रही है कि उनकी आखिरी पारी के ओवर में रन का औसत बेहद कमजोर हो सकता है।
अमरीक बाबू फिर मैदान में
अमरीक बाबू एक बार फिर मैदान में आ गए हैं। इन्हें मंत्रालय के गलियारों में घूमते देखा जा सकता है। आप सोच रहे हैं कि अमरीक बाबू कौन हैं तो मैं आपको बता देता हूं कि अमरीक बाबू बड़े लाइजनर हैं। इनके पास कई ब्यूरोक्रेटस की कुंडली है। बोले तो किसने, कहां कितना निवेश किया है, इसकी पूरी जानकारी है। दरअसल, सारा ज्ञान गणित इन्हीं का बनाया हुआ है। ये साहब विदेशी गिफ्ट देकर साहब लोगों की मैम साहब को खुश करके बंगले में एंट्री मारते हैं। फिर क्या साहब भी इनके दीवाने हो जाते हैं। सालों से अमरीक बाबू मंत्रालय से दूर थे, लेकिन अब अचानक उनका मंत्रालय में सक्रिय होना चर्चा का विषय बना हुआ है।
तूफान में हो नाव तो कुछ सब्र भी आ जाए,
साहिल पे खड़े हो के तो डूबा नहीं जाता।
एक भाईसाहब पर ये चंद पंक्तियां मानो पूरी तरह फिट बैठती हैं। अपनी सीट से फुर्सत होकर भाईसाहब ने भाईयों-बहनों और भांजे-भांजियों के बीच जो 'तूफानी' प्रचार किया है, उसकी चर्चा चहुंओर है। क्या है कि नेताजी दोराहे पर खड़े हैं। एक रास्ता दिल्ली की ओर जाता है और दूसरा वीराने की ओर। प्रकाश और अंधकार की इस लड़ाई को पाटने के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की है, पर भाईसाहब की अति आत्मविश्वास से भरी टीम जब चाहे किरकिरी करा देती है। थोड़े दिन पहले टीम ने ऐसा प्रचारित किया कि बरसते पानी में भी लोग भाईसाहब का भाषण सुनते रहे। मजे की बात यह है कि फोटो खाली कुर्सियों के सामने आए। खैर, हम तो यही दुआ करते हैं कि भैया का परचम बुलंद रहे।
मूर्ति और मंत्री… दो पुलिस वाले नप गए
ये किस्सा बड़ा जोरदार है। दो पुलिस वाले बेचारे बिना गलती के ही नप गए। हुआ कुछ यूं था कि पिछले दिनों बुंदेलखंड में चुनावी सभा हुई। 'महाराज' के करीबी मंत्री ने डॉक्टर साहब को एक मूर्ति भेंट की। इसे सुरक्षित कार तक पहुंचाने का जिम्मा दो पुलिस वालों पर था। कार्यक्रम खत्म होने के बाद भाईसाहब अगले कार्यक्रम के लिए रवाना हो गए, पर इस बीच खबर आई कि मूर्ति गायब हो गई। खोजबीन के बाद मूर्ति कार में ही मिल गई, लेकिन तब तक बेचारे दो पुलिसवाले नप चुके थे।
'बाप' को दिखाया आईना
ये भी कितना मजेदार है, आप जिस पर अधिकार जमाते हैं, असल में वो आपका है ही नहीं। जी हां, केस ये भी जोरदार ही है। मामला एमपी के सबसे गरीब विधायक माने जाने वाले कमलेश्वर डोडियार से जुड़ा है। डोडियार साहब चुनाव प्रचार से दूर रहे तो पार्टी ने उन्हें नोटिस दे दिया। पहले ही हिदायत दी थी। अब डोडियार ने साफ तौर पर यह कहकर पार्टी को आईना दिखा दिया कि उन्होंने भारत आदिवासी पार्टी यानी 'बाप' की सदस्यता कभी ली ही नहीं थी। ये न कमाल...अब कौन सच कह रहा है और कौन बातें बना रहा है, ये तो राम जाने। हमने तो अपना काम कर दिया है।
बोल हरि बोल 12 मई 2024 | पत्रकार हरीश दिवेकर | bol hari bol 12 may 2024 | journalist harish divekar | HARISH DIVEKAR