बोल हरि बोल : मैडम की मौकापरस्ती… भाई साहब अटेंशन, साहब टेंशन में और क्या विधायक जी घर छोड़ेंगे!

बड़ी मैडम के पाला बदलने की चर्चा जोरों पर है। इकबाल अब बुलंद नहीं रहा। कोई उनके पीछे पड़ गया है। एक मैडम हैं कि फाइलों के ढेर पर बैठ जाती हैं। एक साहब के कानून वाले हाथ कट से गए हैं। और अंतिम समाचार यह है कि अब अविनाश...

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BOL HARI BOL 31 MARCH 2024
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हरीश दिवेकर @ भोपाल
दबे पांव चली गईं होली की ​छुट्टियां, ख्याल- ए- नौकरी का आया तो आंख भर आई। हफ्तेभर खूब रंग चला... होली का भी और सियासत का भी। अवाम हरे, नीले, लाल, पीले रंग में रंगे तो सफेदपोश दल- बदल के रंग में भीगे। खूब खेल चला। एक हफ्ते में साहब के छिंदवाड़ा को भाईसाहब ने मानो प्रयोगशाला बना लिया। खूब विकेट गिराए। यहां तक कि साहब के एक बड़े खिलाड़ी को भी अपनी टीम में मिला लिया। अब कांग्रेस भी क्या करती… होली है भाई, किसी ने बुरा नहीं माना। यहीं से सटे बालाघाट में धर्मसंकट आन पड़ा है। चुनाव लड़ रहे एक नेताजी ने अपनी विधायक प​त्नी को फरमान सुना दिया है कि कांग्रेस का प्रचार करना है तो घर छोड़ दो। विधायक इस टेंशन में हैं कि पति का साथ दें पार्टी का! अब राजधानी का रुख करते हैं। यहां बड़ी मैडम के पाला बदलने की चर्चा जोरों पर है। इकबाल अब बुलंद नहीं रहा। कोई उनके पीछे पड़ गया है। एक मैडम हैं कि फाइलों के ढेर पर बैठ जाती हैं। एक साहब के कानून वाले हाथ कट से गए हैं। और अंतिम समाचार यह है कि अब अविनाश बनाम पोतदार चल रिया है, देखते हैं कौन आगे निकल पाता है। खैर, देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और बोल हरि बोल ( BOL HARI BOL) के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए। 

हे प्रभु , हे हरिराम, कृष्ण जगन्नाथ प्रेमानंद ये क्या हुआ!

गर्मी बढ़ने के साथ आपको इक्का- दुक्का जलसंकट की खबरें तो पढ़ने मिल ही रही होंगी, हम आपको धर्मसंकट की बात बता रहे हैं। राजनीति के रण में बालाघाट में अजीब स्थिति बन गई है। यहां से लोकसभा चुनाव लड़ रहे एक नेताजी ने अपनी पत्नी को अजीब नसीहत दे दी है। दरअसल, क्या है कि नेताजी की पत्नी विधायक हैं और नेताजी दूसरी पार्टी से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। इस तरह एक ही घर में दो- दो पार्टियों के पोस्टर चिपक रहे हैं। इस ​परिस्थिति से निपटने के लिए नेताजी ने अपनी विधायक पत्नी से साफ कह दिया है कि अपनी पार्टी का प्रचार करना है तो घर छोड़ दो। हे प्रभु, हे हरिराम, कृष्ण जगन्नाथ प्रेमानंद ये क्या हुआ! अब विधायक जी चिंतित हैं कि पत्नी धर्म निभाएं या पार्टी धर्म! हालांकि विधायक जी का तर्क है कि मैं घर में पति के साथ हूं और बाहर पार्टी के साथ।  

क्या और बड़े विकेट गिरेंगे! 

साहब के गढ़ में इन दिनों भगवा झंडे लहरा रहे हैं। बीजेपी के बड़े भाईसाहबों ने यहां डेरा डाल लिया है। राजनीति के खेल में ताबड़तोड़ बल्लेबाजी हो रही है। विकेट भी खूब गिर रहे हैं। अब देखिए न, इंदौर वाले भैय्या अरे अपने कैलाश जी पहले तीन दिन यहां रुके तो कांग्रेस के तीन हजार विकेट गिरा दिए थे, अब भाईसाहब ने साहब की टीम के एक बड़े खिलाड़ी को अपनी टीम में मिला लिया है। खबर यह भी है कि साहब की टीम के दो 'उइके' भी भगवान चोला ओढ़ सकते हैं। हम तो मेजबान टीम को यही सलाह देंगे कि तनिक होशियारी से खे​ले, ऐसे ही विकेट गिरते रहे फाइनल में कहीं मामला बिगड़ न जाए। 

पहचान न सकता कोई देख।
न बदा, न मीन मेख।
मौके का भी, लिख देते लेख।
स्वार्थ सधे, गिरने की नहीं रेख।
मौके- बेमौके, करते गस्त।
ये मौकापरस्त, ये मौकापरस्त।
सिर्फ राजनीति में ही नहीं, जिसे… जब… जहां और जैसा मौका मिलता है, वह पाला बदल ही लेता है। अब ताजा मामला मंत्रालय का है। जब मैडम यहां हॉट सीट पर बैठीं थीं, तब कुर्सी के पाए कमजोर थे। डगमग सी हो रही थी। तब एक पॉवरफुल प्रमुख सचिव ने कुर्सी को मजबूत किया। बतौर इनाम मैडम ने भी यस 'वुमन' बनने का वादा किया, लेकिन जैसे ही मैडम को एक अपर मुख्य सचिव के पॉवर में आने की भनक लगी तो उन्होंने पाला बदल लिया। अब मैडम प्रमुख सचिव के बजाए, अपर मुख्य सचिव की 'यस वुमन' बन गई हैं। दरअसल, मैडम के एक्सटेंशन में इनका अहम रोल था। ये साहब आने वाले दिनों में हॉट सीट पर बैठने वाले हैं। 

अब बुलंद नहीं रहा इकबाल! 

पैसा और पॉवर की गर्मी तो आप बखूबी जानते हैं, लेकिन जब ये दोनों हाथ और साथ नहीं होते तो अच्छे अच्छों की 'लंका' लग जाती है। अब देखिए न, इकबाल रिटायर क्या हुए, कोई उनके पीछे पड़ गया है। एक के बाद एक फाइलें खोली जा रही हैं। पुराने गड्ढे भी खोदे जा रहे हैं। ऐसे में मंत्रालय में हर दूसरा आईएएस अफसर यह जानना चाहता है कि आखिर कौन है, जो इकबाल सिंह के पीछे पड़ा है। दरअसल, इकबाल ने पॉवर में रहते हुए कड़े और बड़े एक्शन लेकर कई लोगों को निपटाया था, फिर वो चाहे सीनियर ब्यूरोक्रेट्स हों या फिर जूनियर। इतना ही नहीं, अब तक अ​पने अधीनस्थों की सीआर खराब करने के मामले में भी इकबाल का नाम सबसे ऊपर आता है। अब ये तो होना ही था। 

फाइल के ढेर पर मैडम

मंत्रालय में एक अहम विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहीं मैडम कुर्सी पर नहीं, फाइलों के ढेर पर बैठती हैं। ये हम नहीं कह रहे। मैडम के विभाग के अधिकारी आए दिन इसी बात की चर्चा करते हैं। जब भी कोई फाइल मैडम के कैबिन में जाने के बाद नहीं लौटती है तो अफसर कहने लगते हैं कि मैडम बैठ गई होंगी। दरअसल, इन मैडम के पास प्रदेश के ब्यूरोक्रेसी की कुंडली रखने का जिम्मा है। इकबाल सिंह की करीबी मानी जाती हैं, लिहाजा, तब से मैडम का रुतबा कायम है। ये बात अलग है कि मैडम अभी नए निजाम की नजरों में नहीं आई हैं, नहीं तो मैडम के कक्ष में कब की छापेमारी हो गई होती। 

साहब अब सिर पीट रहे हैं

खाकी वर्दी वाले साहब पुलिसिया काम छोड़कर मलाई वाले महकमे में सेटिंग जमा कर चले तो गए, लेकिन जैसा सोचा था, मामला जम नहीं पा रहा है। साहब जितनी बड़ी 'नमस्ते' करके वहां गए हैं, अब बदले में उतनी नमस्ते उन्हें कोई कर नहीं रहा है। मामला ट्रक, बस वाले विभाग से जुड़ा है। हाईवे पर जितने ज्यादा वाहन फर्राटे भरते हैं, उतनी ज्यादा प्रसन्नता इन साहब लोगों को होती है। खैर, अब साहब धीरे- धीरे पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं। हम तो कहते हैं, साहब और मेहनत कीजिए, कम से कम जमापूंजी तो निकल ही आए, ऐसा न हुआ तो यह तो वही कहावत होगी कि 'न कढ़ी मिले न, मांढे और दोई दीन से गए पांढ़े।' 

क्या अविनाश से आगे निकलेंगे पोतदार?

मैडम की दलाली में हाथ काले करने वाला अविनाश दलाल अब दूसरों के लिए आइकॉन बन रहा है। उसे दलाली में चंद महीनों में ही मिले करोड़ों की चकाचौंध ने दूसरों को उत्साहित कर दिया है। अविनाश की तरह रातोंरात करोड़पति बनने का सपना देखने वाले एक युवा पोतदार ने रियल एस्टेट कारोबार को नमस्ते कर दलाली का रास्ता अपना लिया है। पोतदार का हाथ हाल ही में दिल्ली से लौटे साहब ने थामा है। साहब के सारे काले- पीले कामों को पोतदार ही देख रहा है। शुरुआत में साहब को बड़े कारोबारियों के विभाग का जिम्मा मिला था, लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया। अब साहब छोटे कारोबारियों वाले महकमे के निगम को देख रहे हैं, वहां आने वाले लोग पहले पोतदार से मिलते हैं, फिर साहब से। काबिले गौर होगा कि इस धंधे में पोतदार क्या अविनाश का मुकाबला कर पाएगा… जानने के लिए देखते- पढ़ते रहिए 'द सूत्र'। 

चंदा और गुल्लक! 

जरा कल्पना कीजिए किसी के पास चार करोड़ की संपत्ति हो और वो चुनाव लड़ने के लिए लोगों से 10-10 रुपए का चंदा मांगे? है न अजीब। जनाब! जबलपुर में ऐसा हो रहा है। यहां एक नेताजी लोगों से चुनाव प्रचार के दौरान चंदा मांग रहे हैं। उनका तर्क है कि मेरे पास रुपए नहीं हैं और पार्टी का बैंक खाता सीज है, लिहाजा… उन्हें चंदा मांगकर चुनाव लड़ना पड़ रहा है। हमने जब पड़ताल की तो पता चला कि नेताजी के पास 1 करोड़ 12 लाख की चल संपत्ति है। उनकी पत्नी के पास 53 लाख की चल संपत्ति है। नेताजी के पास 2 करोड़ 8 लाख रुपए और पत्नी के पास 1 करोड़ 60 लाख की अचल संपत्ति है। अब आप भी बताइए, इसे क्या कहेंगे! उधर, ऐसे ही विदिशा जिले में 'गुल्लक' की खूब चर्चा हो रही है। इसके नाम पर इवेंट खड़े किए जा रहे हैं।

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