बोल हरि बोल : हवा में बीजेपी… मंत्रीजी भी उड़ेंगे, कुएं में भांग और पंडितजी की गोली

एक मंत्री जी अपने पैसों से हवा में उड़ने की तैयारी कर रहे हैं। मंत्री हैं भाईसाहब, कोई मजाक थोड़ी है! उधर, बर है कि चुनाव के बाद मंत्रालय में कई चेहरे- मोहरे बदल दिए जाएंगे। खाकी में भी भारी उठापटक होने के संकेत हैं।

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CHAKRESH
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bol hari bol 7 april 2024
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हरीश दिवेकर @ भोपाल

क्या कभी अंबर से सूर्य बिछड़ता है, 
क्या कभी बिना बाती 'दीपक' जलता है। 
क्या करें, कैसे करें, कब करें… कांग्रेस में किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा। कांग्रेस पार्टी नेताविहीन हुए जा रही है और बीजेपी कांग्रेसमय। साहब के लिए कभी अपना राजनीतिक कॅरियर दांव पर लगाने वाले दीपक सक्सेना अब भाईसाहब के साथ हो गए हैं। साहब से बिछड़कर वे कितना दम भरेंगे, ये तो वक्त ही बताएगा। फिलवक्त तो बीजेपी ने मैदान मार लिया है। लोकसभा चुनाव की इस बेला में कांग्रेस दूर- दूर तक बीजेपी के मुकाबले में नजर नहीं आती। छिंदवाड़ा से लेकर सुदूर सीधी तक बीजेपी ने ऐसी व्यूह रचना की है कि कांग्रेस को उससे पार पाना मुश्किल नजर आता है। अब तो 'जीतू' को जीत के लिए फीनिक्स पक्षी के जैसे राख से अपने संगठन को खड़ा करने की चुनौती है। 
इधर, एक मंत्री जी अपने पैसों से हवा में उड़ने की तैयारी कर रहे हैं। मंत्री हैं भाईसाहब, कोई मजाक थोड़ी है! उधर, बर है कि चुनाव के बाद मंत्रालय में कई चेहरे- मोहरे बदल दिए जाएंगे। खाकी में भी भारी उठापटक होने के संकेत हैं। सूबे की एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने सनातन की राह पकड़ी है। वे देवों की भाषा संस्कृत सीख, समझ रही हैं। पंडित जी हैं कि ओवर कॉन्फिडेंस की गोली देते हैं और खुद हैं कि दो- दो खाते हैं। 
तो चलिए, देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आइए और बोल हरि बोल के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।


जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना,
तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है।
दौलत नई- नई है तो रुतबा भी होगा। अब देखिए ना, एक मंत्री जी ने जमकर 'काम' किया और कमाया भी। ताजा खबर यह है कि मंत्री जी हवाई जहाज (चार्टर प्लेन) खरीदने की तैयारी कर रहे हैं। वे अपने खास लोगों से प्लेन खरीदने के लिए एडवाइज ले रहे हैं। दरअसल, क्या है कि मंत्री जी मस्तमौला हैं। वे ज्यादा किसी की परवाह नहीं करते। अपने बेबाकी अंदाज के चलते कई बार वे विवादों में आ चुके हैं। उनके बयान से अपने मामा व्यक्तिगत रूप से आहत हो चुके हैं। हालांकि बाद में मंत्री जी ने माफीनामा लिख दिया था। खैर, मंत्री जी को इन सबसे फर्क नहीं पड़ता। अब वे अपना स्टेटस बढ़ाने के लिए खुद के प्लेन में उड़ना चाहते हैं।  

भाईसाहब आज का कुछ बता दीजिए...

राम...राम...भाईसाहब। आज क्या रहेगा। कितने नेता ज्वाइन करेंगे। ऐसा ही कुछ मजमून होता है भाईसाहब के पास आने वाले ज्यादातर फोन कॉल्स का। भाईसाहब मीडिया से थोड़े फ्रेंडली हैं और संगठन की जानकारी भी रखते हैं। लिहाजा, दिनभर मीडियाकर्मी यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि आज कौन सा चेहरा बीजेपी का चोला पहनने जा रहा है। अपनी पूछपरख देखकर भाईसाहब खुश भी होते हैं और दुखी भी। उनका दुख इस बात को लेकर है कि बीजेपी में जिस तरह कांग्रेस नेताओं की एंट्री कराई जा रही है, उससे आगे चलकर पार्टी को भारी नुकसान होगा। 

ओवर कॉन्फिडेंस की गोली!

दतिया वाले पंडितजी का दर्द रह- रहकर छलक ही आता है। अब देखिए, उन्होंने भरी सभा में आखिर यह स्वीकार कर ही लिया कि उन्हें अति आत्मविश्वास ले डूबा। मंच से उन्होंने अपने समर्थकों को नसीहत भी दी कि ओवर कॉन्फिडेंस में न रहें। इसके इतर अपने स्वभाव के मुताबिक वे स्वयं ओवर कॉन्फिडेंस में बयान भी दे रहे हैं। अब पंडितजी ने कहा है कि 'सब फुंके बल्बों की झालर हैं, रोशनी नहीं होगी।' उनका यह बयान कांग्रेस के संदर्भ में ही था। इसके उलट वे खुद ही ऐसे 'फुंके बल्बों को अपनी टोली में शामिल कर रहे हैं। अब उनके जलने वाले कह रहे हैं कि महाराज का क्या होगा? 

कुएं में भांग या भांग का कुआं...बूझो तो जानें...

लोकसभा चुनाव के इस मौसम में अफसरों ने भी मानो राजनीति का चश्मा पहन लिया है। गजबई काम चल रहा है। अब देखिए न कलेक्टर साहब ने जिन कर्मचारियों को पीठासीन अधिकारी बनाया, कमिश्नर साहब ने उन्हें ही विशेष पुलिस अधिकारी बना दिया। क्या ही कहा जाए। हालांकि ये 'पीड़ित' कर्मचारी जरूर कह रहे हैं कि कुएं में भांग नहीं मिली, पूरा कुआं ही भांग का है। हैरानी की बात यह है कि यह सब राजधानी में हो रहा है। दरअसल, मसला ऐसा है कि कलेक्टर साहब ने वन विभाग के अधिकारी- कर्मचारियों को पीठासीन अधिकारी का दायित्व सौंपा। आदेश हो गए और फिर ट्रेनिंग भी। अब कमिश्नर साहब ने इन्हें विशेष पुलिस अधिकारी का तमगा दे दिया है। 

चुनाव बाद मंत्रालय में उठापटक

चुनाव क्या कुछ नहीं कराते। इनके पहले और बाद में प्रशासन में कई चेहरे- मोहरे बदल जाते हैं। अब चुनाव के बाद मंत्रालय में एक बार फिर भारी उठापटक होने के संकेत हैं। इसमें कई बड़े अफसर इधर से उधर किए जाएंगे। कुछ बहुत पॉवरफुल होंगे तो कुछ की गाड़ी पटरी से उतर जाएगी। शुरुआत वल्लभ भवन- 2 की फिफ्थ फ्लोर यानी सीएम ऑफिस से होगी। इसी बिल्डिंग की थर्ड, सेकंड और ग्राउंड फ्लोर पर बैठने वाले कई सीनियर अफसरों के महकमे बदलेंगे। वल्लभ भवन- 3 में फिफ्थ, थर्ड, फर्स्ट और ग्राउंड फ्लोर के अफसर भी प्रभावित होंगे। पुरानी बिल्डिंग की बात करें तो फोर्थ फ्लोर, थर्ड फ्लोर के अफसर भी बदले जा सकते हैं। अब कौन, कहां जाने वाला है, ये तो आप पता कर लीजिए, हमने तो अपना काम कर दिया है।  

पुलिस महकमे की होगी सर्जरी

डॉक्टर साहब पुलिस महकमे में भी बड़ी सर्जरी करने वाले हैं, इनमें खाकी वाले मुखिया भी प्रभावित हो सकते हैं। दरअसल, मुखिया की सादगी और सरलता पर सवाल उठाने लगे हैं। अफसरों का कहना है कि मुखिया के ढीले- ढाले रवैए से प्रदेश में लॉ एंड आर्डर गड़बड़ा रहा है। कुछ अफसर निरंकुश हो रहे हैं। इसकी वजह मुखिया का पुलिसिंग से ज्यादा वेलफेयर पर जोर देना है। खाकी वाले अफसरों ने ये बातें डॉक्टर साहब तक पहुंचा दी हैं। बहरहाल देखते हैं कि 5 जून के बाद इस सर्जरी में कौन- कौन निपटेगा।

मैडम सनातन की राह पर....

दबंग महिला आईपीएस की छवि रखने वाली एक पुरानी मैडम इन दिनों सनातन की राह पर हैं। मैडम का एक दौर था, जब वे प्रदेश की हाईप्रोफाईल आईपीएस में पहचान रखती थीं। उन्हें सत्ता के मुखिया की बहन के रूप में जाना जाता था। फिर पता नहीं किसकी नजर लगी कि मैडम एकांतवास में चली गईं। अब वे संस्कृत बोलने, पढ़ने में अपना समय ज्यादा दे रही हैं। अव्वल मैडम ने सनातन की राह अपनाकर संघ में तो एंट्री मार ली है। अंदरखानों से खबर है कि रिटायरमेंट के बाद मैडम संघ के थिंक टैंक बॉडी का अहम हिस्सा बन सकती हैं।  

ये दबंग एसडीओपी कौन है भाई

चंबल संभाग के एक एसडीओपी की दबंगाई चर्चा में है। पीएचक्यू से लेकर गृह विभाग तक हल्ला मचा है। बताया जाता है कि इन पर पूर्व मंत्री का वरदहस्त है। यही वजह है कि भोपाल से अब तक कोई चाहकर भी इन पर एक्शन नहीं ले पाया है। एसडीओपी जमीन कब्जे करवाने से लेकर थानों से जुआ, सट्टा चलवाने तक का ठेका ले रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इसका पैसा कहां जा रहा है तो आप ठीक सोच रहे हैं, पैसा तो संरक्षण देने वाले नेता जी के पास ही जा रहा है, इससे ज्यादा हम कुछ नहीं बता सकते।

एसटी को साधा, तो सब सधे! 

बातें कितनी भी हों, लेकिन चुनाव में बीजेपी- कांग्रेस का फोकस आदिवासी बहुल सीटों पर ही है। पंत प्रधान आज (7 अप्रैल) जबलपुर में महाकौशल के आदिवासियों को साधेंगे तो युवराज 8 अप्रैल को मंडला और शहडोल में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में सभाएं करेंगे। फिर इसके ठीक आठ दिन बाद 15 अप्रैल को प्रियंका सतना में सभा करेंगी। उधर, संघ ने अलग मोर्चा संभाला हुआ है। स्वयं सेवक मैदान में उतर गए हैं। आदिवासियों को अपने पक्ष में करने की कोशिश है।

 

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