एनएमसी के आंखों में धूल झोंक रही सरकार, मेडिकल कॉलेजों में बॉन्डेड डॉक्टरों को बनाया फैकल्टी

मध्य प्रदेश सरकार मेडिकल कॉलेज शुरू करने के लिए एनएमसी की आंखों में धूल झोंकने की तैयारी कर रही है। बॉन्डेड डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेजों में बतौर फैकल्टी तैनात किया जा रहा है।

Advertisment
author-image
Amresh Kushwaha
New Update
MP सरकारी मेडिकल कॉलेज
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

मध्य प्रदेश सरकार नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की आंखों में धूल झोंकने की तैयारी कर रही है। मामला मंदसौर, नीमच और सिवनी में सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू करने का है। यहां एमबीबीएस बॉन्डेड डॉक्टरों को बतौर फैकल्टी तैनात किया जा रहा है।

तीनों कॉलेजों को मान्यता देने से किया था इन्कार

आपको बता दें कि सिवनी, मंदसौर और नीमच में इसी वर्ष से मेडिकल कालेज में प्रवेश शुरू करने की योजना है, पर नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने फैकल्टी की कमी के चलते तीनों कॉलेजों को मान्यता देने से इन्कार कर दिया था। 

एनएमसी से की फिर से निरीक्षण की मांग

इस बीच तीनों कॉलेजों में फैकल्टी की भर्ती के साथ ही कुछ फैकल्टी का दूसरे कॉलेजों से स्थानांतरण किया गया। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय इन कॉलेजों में अब 150- 150 की जगह सौ-सौ एमबीबीएस सीटों में प्रवेश की अनुमति देने की मांग कर रहा है। ऐसे में शासन की ओर से फिर एनएमसी को पत्र लिखकर निरीक्षण की मांग की गई है।

नहीं की गई चयन प्रक्रिया

बॉन्डेड डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेजों में पदस्थ करने के मामले में इतनी जल्दबाजी की गई है कि इसके लिए चयन प्रक्रिया ही नहीं अपनाई गई। सूत्रों के अनुसार, प्रशासन ने मनमाने ढंग से 96 चहेते बॉन्डेड डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेजों में पदस्थ कर दिया है। नियमानुसार बॉन्डेड डॉक्टरों को पीएचसी और जिला अस्पताल में पदस्थ कर सकते हैं।

150 डॉक्टरों ने ही ली ज्वाइनिंग

विभाग की ओर से नए खुलने जा रहे मेडिकल कॉलेजों में भर्ती के लिए प्रक्रिया की थी। लेकिन, 450 पदों के विरुद्ध 150 डॉक्टरों ने ही ज्वाइन किया है। इसी को ध्यान में रखते हुए विभिन्न पदों पर नियुक्तियां दिखाने की तैयारी चल रही है।

ऐसे बनाए जा रहे फैकल्टी

  • बॉन्डेड डॉक्टरों को ग्रामीण ड्यूटी पर भेजने के बजाए सीधे मेडिकल कॉलेजों में पदस्थ करने की तैयारी कर ली गई है।
  • एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री की फैकल्टी की तलाश की जा रही है। सभी सरकारी मेडिकल कॉलेजों से इन विभागों में फैकल्टी की जानकारी मांगी गई है, ताकि, नए मेडिकल कॉलेजों में इन फैकल्टी को भेजा जा सके।
  • 2016 में जिन फैकल्टी ने प्रोफेसर बनने के लिए शपथ पत्र दिए थे कि सरकार चाहे तो प्रमोशन के साथ हमारे ट्रांसफर कर सकती है।
  • 1997 से पहले पीएससी से चयनित डॉक्टर जो प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पदस्थ हैं, उनके ट्रांसफर इन कॉलेजों में करना शुरू कर दिया गया है।

जानें कौन होते हैं बॉन्डेड डॉक्टर

बॉन्ड पॉलिसी डॉक्टरों के लिए एक ऐसी नीति है, इसके तहत डॉक्टर अपनी अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट की डिग्री पूरी करने के बाद राज्य के अस्पतालों में एक निश्चित समय के लिए अपनी सेवा देते हैं। अगर डॉक्टर इस बॉन्ड को तोड़ते हैं तो उन्हें राज्यों के द्वारा तय किए गए एक निश्चित रकम का भुगतान करना पड़ता है।

thesootr links

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

मेडिकल कॉलेज एनएमसी