News Strike : शिवराज सिंह चौहान के बड़े बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान से जुड़े कुछ सवाल हैं। उनके एक ताजा बयान के बाद ये सवाल तेजी से उठ रहे हैं। बुदनी विधानसभा में उपचुनाव का प्रचार करते समय कार्तिकेय सिंह चौहान ने एक बयान दिया। बयान इतना वायरल हुआ कि कांग्रेस के किसी छोटे-मोटे नेता ने नहीं बल्कि सीधे दिग्विजय सिंह ने उस बयान पर रिएक्ट किया। हालांकि दिग्विजय सिंह का रिएक्शन भी पॉलिटिकल नहीं था। लेकिन कार्तिकेय सिंह चौहान सवालों के घेरे में आ ही गए।
बताइए सरपंजी कैसे कराएं काम : कार्तिकेय
बुधनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव की घोषणा होते ही यहां चुनावी माहौल तेजी से गर्मा रहा है। अब तक ये पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान की सीट रही है। उन के संसद जाने के बाद अब यहां उपचुनाव है। बीजेपी से रमाकांत भार्गव और कांग्रेस के राजकुमार पटेल के बीच ही मुख्य मुकाबला होना है। शिवराज सिंह चौहान के बड़े बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान खुद रमाकांत भार्गव के लिए चुनाव प्रचार कर रहे हैं। वो इस बारे में ट्वीट भी कर चुके हैं जिसका मजमून कुछ यूं था कि सारे कार्यकर्ता मिलकर दादा को बड़ी जीत दिलवाएंगे। इस ट्वीट के बाद वो बुधनी में चुनाव प्रचार के लिए जुट भी गए। इसी बीच ऐसा बयान भी दे दिया। जिस पर दिग्विजय सिंह ने खुद उन्हें नसीहत भी दी है। कार्तिकेय सिंह चौहान ने अपने बयान में कहा कि पोलिंग में गड़बड़ी करके हमारी इज्जत खराब होगी। हमें भी तो जाना पड़ेगा सीएम के पास काम कराने। क्या हम कृषि मंत्री के पास काम लेकर नहीं जाएंगे। बताइए सरपंजी कैसे कराएं काम। इस के आगे उन्होंने कहा कि कुछ 19-20 हुआ तो कैसे काम कराने जाएंगे, उनके पास। कांग्रेस आई तो समझ लेना एक ईंट भी नहीं लगने वाली है।
कार्तिकेय आप तो अभी ना सरपंच हैं ना विधायक : Digvijay Singh
इस बयान के वायरल होने के बाद दिग्विजय सिंह ने कार्तिकेय सिंह के नाम एक ट्वीट किया है। वैसे तो मामला पॉलिटिकल हो सकता था। लेकिन दिग्विजय सिंह ने इस पारिवारिक रखने की पूरी कोशिश की है। उनके ट्वीट में समझाइश जरूर है लेकिन राजनीति की झलक नहीं है। दिग्विजय सिंह ने लिखा है कि "कार्तिकेय अभी से इस प्रकार का भाषण ना दो। अपने पिता शिवराज सिंह चौहान जी से सीखो। लोकतंत्र में सरकार और विपक्ष दोनों मिलकर भारत निर्माण में सहयोग करते हैं। उन्होंने कहा कि 10 साल तक मैं मुख्यमंत्री रहा, लेकिन मैंने इस प्रकार की भाषा का कभी उपयोग नहीं किया। आपके पिता गवाह हैं। पंचायत राज कानून में निर्माण काम करने के जिम्मेदार सरपंच की होती है, ना कि विधायक की। आप तो अभी ना सरपंच हैं ना विधायक। आप मेरे पुत्र नहीं पौत्र समान हैं। यह मेरी राय है। आप मानें ना मानें, आप जानें। जय सियाराम।
इस ट्वीट के बाद कार्तिकेय सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह के इस ट्वीट का कोई जवाब या इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी। बात करते हैं उन पांच सवालों पर जो कार्तिकेय सिंह के इस भाषण को सुनकर समझी जा सकती है।
पहले उन सवालों का जिक्र
पहला सवाल- क्या बीजेपी ने कार्तिकेय सिंह चौहान को टिकट न देकर सही किया।
दूसरा सवाल- क्या कार्तिकेय सिंह चौहान को थोड़ा और पॉलिटिकल होमवर्क करना चाहिए।
तीसरा सवाल- क्या शिवराज सिंह चौहान के बेटे होने की वजह से कार्तिकेय सिंह चौहान जल्दी निशाने पर आ जाते हैं।
चौथा सवाल- क्या कार्तिकेय सिंह चौहान को पिता की राह पर चलना चाहिए या एक अलग इमेज बनानी चाहिए। जिसकी शायद वो अभी से कोशिश करने में जुट गए हैं।
पांचवा सवाल- क्या कार्तिकेय सिंह चौहान को दिग्विजय सिंह की नसीहत का जवाब देना चाहिए।
सोशल मीडिया पर मीम बनते देर नहीं लगती
पहला सवाल यही है कि क्या बीजेपी ने फिलहाल Kartikeya Singh Chauhan को चुनावी मैदान में न उतारकर सही किया। इस का जवाब हां में ही वाजिब हो सकता है। ये भाषण साफ बताते हैं कि अभी कार्तिकेय सिंह चौहान को सियासी चाश्नी में थोड़ा और पगने की जरूरत है। वो गंभीर और होशियार जरूर हैं। लेकिन फिलहाल वो मैच्योरिटी कुछ कम है जो एक राजनेता में होना जरूरी है। क्योंकि कुछ भी कहने से पहले उन्हें उस विषय पर पूरा होमवर्क करना जरूरी लगता है। इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि वो शिवराज सिंह चौहान जैसे लोकप्रिय नेता के बेटे हैं। और, इसी वजह से बहुत जल्द वायरल होते हैं। सुर्खियों में आते हैं और खबर बन जाते हैं। इससे पहले उन्होंने इस आशय का बयान दिया था कि उनके पिता का दबदबा दिल्ली में भी दिखता है। इसके बाद भी वो काफी वायरल हुए थे। जिस तरह दिग्विजय सिंह ने नसीहत दी है शायद उनके पिता शिवराज सिंह चौहान भी यही नसीहत देंगे कि किसी भी बयान को या स्पीच को देने से पहले उस के मायने जरूर समझ लें। क्योंकि सोशल मीडिया पर मीम बनते देर नहीं लगती है। शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश में लंबे समय तक राज किया है। इस दौरान विपक्षी दलों से उनके राजनीतिक मतभेद जरूर रहे लेकिन आपसी सौहार्द और मर्यादाओं का पालन वो हमेशा करते रहे। सिर्फ दिग्विजय सिंह ही नहीं बाकी राजनेताओं को कार्तिकेय सिंह चौहान से भी शायद ऐसे ही उम्मीदें होंगी।
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