बुरहानपुर के जंगल में मिला दो से तीन दिन पुराना मृत बाघ, सभी अंग सलामत

हसनपुरा के जंगल में एक बाघ मृत अवस्था में मिला। बाघ की मौत दो-तीन दिन पहले हुई थी। स्थानीय लोगों ने वन विभाग को बाघ की मौत की सूचना दी। बाघ की मौत का कारण पता नहीं चल पाया है।

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Ravi Singh
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Burhanpur forest
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बुरहानपुर वन मंडल के नेपानगर वन परिक्षेत्र के हसनपुरा दक्षिण के जंगल में एक बाघ मृत मिला। बाघ की मौत दो से तीन दिन पहले हुई थी। स्थानीय लोगों ने वन विभाग को बाघ की मौत की सूचना दी। इसके बाद बुरहानपुर वन मंडल अधिकारी, नेपानगर रेंजर सहित वन विभाग का अमला मौके पर पहुंचा। ड्रोन की मदद से जंगल में सर्चिंग की जा रही है। डॉग स्क्वॉड की भी मदद ली जा रही है।

बाघ की उम्र 7 से 8 साल

आठ डॉक्टरों के पैनल ने बाघ के शव का पोस्टमार्टम किया। हालांकि, देर शाम तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट का ब्योरा नहीं मिल पाया। अधिकारियों के मुताबिक मृत बाघ नर था और उसकी उम्र सात से आठ साल के बीच थी।

शिकार नहीं हुआ : डीएफओ

डीएफओ विजय सिंह ने बाघ के शिकार की आशंका से इनकार किया है। उनका कहना है कि शिकार की स्थिति में शिकारी उसके पंजे, मूंछ के बाल, दांत आदि निकाल लेते हैं। इस बाघ के सभी अंग सही सलामत हैं। अनुमान है कि बाघ की मौत तीन से चार दिन पहले हुई है। वहीं विशेषज्ञों ने बाघ के भूख से मरने की आशंका जताई है। इसके पीछे वजह नेपानगर क्षेत्र में बाघ के मुख्य भोजन चीतल, हिरण आदि का न होना बताया जा रहा है। हालांकि असली वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद ही पता चल सकेगी।

डॉग स्क्वायड की मदद ली

शनिवार को डिप्टी फौजी विजय सिंह की जगह वनस्पति वन्य मान सिंह खरदी, रेंजर श्रीराम पांडे और अन्य अधिकारी वन क्षेत्र में थे। वन अमले ने सूर्योदय से ही आसपास के जंगल में तलाशी ली, लेकिन कुछ नहीं मिला। इसके अलावा डॉग स्क्वायड को भी बुलाया गया। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले की हर एंगल से जांच की जा रही है।

मेलघाट टाइगर रिजर्व से आते हैं बाघ

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बुरहानपुर जिले के जंगलों में बाघ नहीं हैं। महाराष्ट्र के मेलघाट टाइगर रिजर्व से सटे होने के कारण बाघ वहां से भटककर बुरहानपुर आ जाते हैं। पिछले साल भी नेपानगर वन क्षेत्र में एक और बाघ मृत पाया गया था। पिछले सप्ताह खकनार क्षेत्र के जांबूपानी में भी ग्रामीणों ने बाघों की मौजूदगी और उनके द्वारा मवेशियों का शिकार करने की शिकायत की थी। नेपानगर क्षेत्र में भी ग्रामीण लंबे समय से गांवों के आसपास बाघों के देखे जाने और पालतू मवेशियों का शिकार करने की शिकायत कर रहे थे। वन विभाग लगातार सर्च ऑपरेशन चला रहा था, लेकिन उसे कहीं भी पगमार्क नहीं मिले।

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