रायसेन में गोमाता का चारा खा गए सरपंच-सचिव , 16 लाख का घोटाला

एक ओर जहां मध्य प्रदेश सरकार गोशाला के विकास को लेकर सजग नजर आ रही है, वहीं दूसरी ओर गोशाला के विकास की जिम्मेदारी जिनको सौंपी गई है वो सरकार के विकासगति पर पलीता लगा रहे हैं...  

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Sandeep Kumar
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पवन सिलावट @ रायसेन. रायसेन के सिलवानी जनपद पंचायत के साईंखेड़ा ग्राम पंचायत में बनी गोशाला में पशु आहार घोटाले का मामला सामने आया है। यहां पर साल 2022 में बनी गोशाला को गौ संवर्धन बोर्ड द्वारा मदद दी जाती है।

हर तीन महीने में बोर्ड से पशु आहार और पैसे आते है, लेकिन पशु आहार गोशाला न जाकर सरपंच शैलेन्द्र रघु के घर रखा जाता था और बीते दो दिन पहले सरपंच के खेत में दफन पशु आहार मिला था। हालांकि प्रशासन की मिली भगत से उसे रातों रात पानी में बहा दिया गया जो बचा है उसकी जांच की जा रही है। 

पशुआहार के पैसे में फर्जीवाड़ा

साईंखेड़ा ग्राम पंचायत गोशाला में हुए पशु आहार घोटाले के मामले में बड़ा फर्जीवाड़ा आने के बाद सरपंच की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए है। पहला सवाल तो यही कि आखिर सरपंच अपने घर पर पशु आहार क्यों रखवाता था । दूसरा ये कि साल 2023 से बंद रही गोशाला का कैसे 15 लाख 93 हजार रुपए सरपंच ने निकाल लिए। हालांकि इन सबकी जांच के लिए एसडीएम-सीईओ अपने अपने स्तर लगे हुए हैं। आरोप तो ये लग रहे है कि सचिव से लेकर जिला पंचायत तक इस मामले में लिप्त नजर आ रहे है। 

सरपंच-सचिव एक -दूसरे पर लगा रहे आरोप

सिलवानी तहसील के साईंखेड़ा में सरपंच के खेत पर मिले पशु आहार के मामले गांव के सरपंच और स्थानीय ग्रामीणों ने सचिव हनुमंत रघुवंशी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। वहीं सचिव ने भी मीडिया से कहा है कि सरपंच द्वारा दवाब डालकर 15 लाख  93 हजार रुपए की राशि निकालने की बात की जा रही थी।

उसने सरपंच की एक बात न सुनी तो सरपंच ने जिला पंचायत प्रशासन के द्वारा सचिव का वित्तीय अधिकार समाप्त करवा दिया और नए सचिव को पंचायत का वित्तीय अधिकार दे दिया और इसके बाद भ्रष्टाचार का खेल शुरू हो गया।

पूर्व सचिव ने लगाए ये आरोप

सरपंच ने दूसरे सचिव को वित्तीय अधिकार दिलवाकर अपनी मनमानी की है। अपने रसूख के दम पर सभी को डराकर रखना चाहते हैं । वहीं इस पूरे मामले में एसडीएम ने कहा कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी। वहीं स्वसहायता समूह के प्रतिनिधि ने बताया कि मुझे कार्यभार सौपा था उस समय जो सामग्री मिली थी वह यथावत है । अब जांच के बाद सिद्ध होगा कि वास्तविक दोषी सरपंच है या सचिव है।

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