BHOPAL. मध्य प्रदेश सरकार ने जल संसाधन विभाग (Water Resources Department) के रिटायर्ड प्रमुख अभियंता मदन गोपाल चौबे और अन्य अफसरों के खिलाफ अभियोजन दायर करने की सहमति दे दी है। जांच के मामले में सरकार ने 10 साल बाद स्वीकार किया है कि सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार (Corruption) किया गया था। अब भ्रष्टाचार को लेकर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) पूर्व प्रमुख अभियंता मदन गोपाल चौबे के खिलाफ कोर्ट में केस चलाएगा।
इन अधिकारियों पर भी चलेगा केस
इस मामले में कुंडम सब डिवीजन-3 के रिटायर्ड एसडीओ शिखरचंद जैन और प्रभारी कार्यपालन यंत्री हिरन जल संसाधन संभाग भी आरोपी बनाए गए हैं। इस दौरान प्रमुख अभियंता मदन मोहन चौबे तत्कालीन कार्यपालन यंत्री जल संसाधन संभाग डिंडोरी पदस्थ थे।
गर्भकाल …मोहन यादव सरकार के नौ माह और आपका आंकलन…
कैसी रही सरकार की दशा और दिशा…
आप भी बताएं मोहन कौन सी तान बजाएं….
इस लिंक पर क्लिक करके जानें सबकुछ…
https://thesootr.com/state/madhya-pradesh/cm-mohan-yadav-garbhkal-the-sootr-survey-6952867
अभियोजन की स्वीकृति में लग गए 11 साल
दरअसल, 2008-09 में हंसापुर और रीवा में जलाशय के करोड़ों रुपए के काम ठेकेदार को दिलाने के साथ उपयोगिता प्रमाण पत्र दिया था। टेंडर के मामले में हुई गड़बड़ी को लेकर ईओडब्ल्यू ने आर्थिक अपराध के साथ साल 2013 में केस दर्ज किया था। भष्टाचार के मामले में ईओडब्ल्यू ने अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी, जिस पर राज्य शासन ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों का अभिमत मांगा था। जिस पर जल संसाधन विभाग ने भ्रष्टाचार के अधिनियम के तहत अभियोजन की स्वीकृति देने के लिए इनकार कर दिया था।
अब मामले में 10 साल बाद जल संसाधन विभाग के एसीएस राजेश राजौरा के निर्देश पर उपसचिव आशीष तिवारी ने अभियोजन की स्वीकृति दे दी है। अब अभियोजन की स्वीकृति मिलने पर ईओडब्ल्यू पूर्व प्रमुख अभियंता एमजी चौबे के खिलाफ कोर्ट में केस चलाएगा।
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक