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ख़ल्क ख़ुदा का, मुलुक बाश्शा का
हुकुम शहर कोतवाल का...
हर खासो-आम को आगह किया जाता है
कि खबरदार रहें
और अपने-अपने किवाड़ों को अन्दर से
कुंडी चढ़ाकर बन्द कर लें
गिरा लें खिड़कियों के परदे
और बच्चों को बाहर सड़क पर न भेजें
क्योंकि, सूबे के CCF साहिब ने फरमान जारी किया है
जी हां! धर्मवीर भारती की ऐतिहासिक पंक्तियां मध्यप्रदेश सीसीएफ यानी प्रमुख वन संरक्षक शुभरंजन सेन पर सटीक बैठती हैं। आखिर उन्होंने काम ही अंग्रेजों के जमाने वाले साहब बहादुर जैसा किया है। हजारों साल से जंगल के भरोसे जिंदा रहने वाली जातियों को जंगल में ही एंट्री बंद करवा दी है। अगर भूले से कोई मिल गया तो समझो, हवालात तक जाना तय है। आखिर क्या है मामला, पहले इसे समझते हैं…
चिंता सही, तरीका गलत
मध्य प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिकारियों
ख़ल्क ख़ुदा का, मुलुक बाश्शा का
हुकुम शहर कोतवाल का...
हर खासो-आम को आगह किया जाता है
कि खबरदार रहें
और अपने-अपने किवाड़ों को अन्दर से
कुंडी चढ़ाकर बन्द कर लें
गिरा लें खिड़कियों के परदे
और बच्चों को बाहर सड़क पर न भेजें
क्योंकि, सूबे के CCF साहिब ने फरमान जारी किया है
जी हां! धर्मवीर भारती की ऐतिहासिक पंक्तियां मध्यप्रदेश सीसीएफ यानी प्रमुख वन संरक्षक शुभरंजन सेन पर सटीक बैठती हैं। आखिर उन्होंने काम ही अंग्रेजों के जमाने वाले साहब बहादुर जैसा किया है। हजारों साल से जंगल के भरोसे जिंदा रहने वाली जातियों को जंगल में ही एंट्री बंद करवा दी है। अगर भूले से कोई मिल गया तो समझो, हवालात तक जाना तय है। आखिर क्या है मामला, पहले इसे समझते हैं…
चिंता सही, तरीका गलत
मध्य प्रदेश के प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में शिकारियों की सक्रियता पर गंभीर चिंता जताते हुए एक पत्र जारी किया है। इस पत्र में राज्य में शिकारियों द्वारा वन्यजीवों की अवैध शिकार गतिविधियों को लेकर सतर्क रहने के लिए आदेश जारी किए गए हैं। पत्र के अनुसार बैतूल, भोपाल, जबलपुर और बालाघाट के जंगलों में अवैध शिकार की सूचना मिली है।
इसी के तहत CCF ने लिखा कि प्रदेश की 7 वन मंडलियों में घुमक्कड़ और अधिसूचित आदिवासी समुदायों के बारे में निगरानी बढ़ा दी जाए। यहां तक कि डॉग स्क्वॉड के साथ इन समुदायों के डेरों की तलाशी करने और जानकारी एकत्र करने का अलर्ट जारी किया गया है। (पूरा पत्र पढ़िए)
पूरे प्रदेश से उठ रही विरोध की आवाज
इस भेदभावपूर्ण निर्देश के विरोध में अब प्रदेश से आवाजें उठने लगी हैं। समाजसेवी सुरेंद्र दांगी का कहना है कि
जिन समिदायों को जराइमपेशा माना जाता है, वह अंग्रेजों के जमाने की बात है। पूरे के पूरे समुदाय को अब भी उसी मानसिकता से देखना गैरकानूनी है। CCF को यह आदेश वापस लेकर माफी मांगना चाहिए।
दूसरी ओर आदिवासी अधिकारों के लिए काम करने वाले डॉ. पीडी महंत इसे बेहद आपत्तिजनक बताते हैं। डॉ. पीडी महंत का कहना है कि
इस तरह के आदेश बताते हैं कि आज भी किस नजर के साथ आदिवासियों को देखा जाता है, कुछ व्यक्तियों की कारगुजारी के लिए पूरे समुदाय को टारगेट करना आपत्तिजनक और अमानवीय है।
उन्होंने इस मामले में सीएम मोहन यादव से CCF पर कार्यवाही कर पद से हटाने की मांग कर दी है।
इस मामले में अब भोपाल में नागरिक समाज की ओर से एक पत्र CCF को सौंपने की तैयारी है। नागरिक समाज की ओर से कहा गया है कि शिकारियों पर अंकुश लगाना एक बात है और पूरे के पूरे समुदाय को संदेह की नजर से देखना दूसरी बात।
इस मामले में क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने अपने विभिन्न फैसलों में यह स्पष्ट किया है कि जराइमपेशा और आपराधिक प्रवृत्ति की जातियों या समुदायों का उल्लेख करते समय बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। किसी विशेष जाति या समुदाय को अपराधी घोषित करना या उनके खिलाफ भेदभावपूर्ण टिप्पणी करना संविधान के अनुच्छेद 15 और 17 का उल्लंघन हो सकता है, जो समानता और सामाजिक न्याय की बात करता है।
कोर्ट ने कुछ महत्वपूर्ण निर्देश भी दिए हैं :
भेदभाव और अपराधीकरण से बचना: सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यह निर्देश दिया है कि किसी जाति या समुदाय को अपराधी कहना, बिना प्रमाण या न्यायिक प्रक्रिया के, गैरकानूनी है और इससे समाज में नफरत और भेदभाव फैल सकता है।
समानता का अधिकार: भारत का संविधान समाज के सभी वर्गों को समान अधिकार प्रदान करता है, और किसी जाति विशेष को आपराधिक प्रवृत्तियों से जोड़ने से इस अधिकार का उल्लंघन हो सकता है।
दुरुपयोग को रोकना: न्यायालय ने यह भी कहा कि किसी जाति या समुदाय को अपराधी कहने से पहले यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसके खिलाफ उचित सबूत और न्यायिक प्रक्रिया हो, न कि केवल पूर्वाग्रह और आरोपों के आधार पर।
सामाजिक ताने-बाने की रक्षा: किसी जाति या समुदाय के खिलाफ उकसाने वाली बातें समाज में वैमनस्य और अशांति पैदा कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सख्ती से निर्णय लिया है, ताकि समाज में समरसता और सौहार्द बना रहे।
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