सीमेंट फैक्ट्री का कब्जा बताया तो नप गए रेंजर और एसडीओ, सच मत कहो, नौकरी चलती रहेगी

सतना के मैहर वन परिक्षेत्र में वनभूमि पर एक सीमेंट फैक्ट्री ने 22 साल से कब्जा कर रखा था। जब एसडीओ और रेंजर ने कार्रवाई की तो उन्हें शाबाशी देने के बजाय सरकार ने सस्पेंड कर दिया। 

Advertisment
author-image
Sandeep Kumar
एडिट
New Update
SANDEEP 2024 Copy of STYLESHEET THESOOTR - 2024-06-07T154042.880.jpg
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

संजय शर्मा@भोपाल. सरकार भी कमाल करती है। करोड़ों-अरबों के राजस्व का नुकसान करने वाले बड़े-बड़े माफियाओं पर मेहरबानी करती है और अच्छे काम करने वालों को सजा देती है। यानी कभी बेशुमार गलतियों को अनदेखा कर दिया जाता है तो कभी बिना गलती के सरकार की मार झेलनी पड़ जाती है। अब देखिए ना सतना के मैहर वन परिक्षेत्र में वनभूमि पर एक सीमेंट फैक्ट्री ने 22 साल से कब्जा कर रखा था। जब एसडीओ और रेंजर ने कार्रवाई की तो उन्हें शाबाशी देने के बजाय सरकार ने सस्पेंड कर दिया। 

वनभूमि पर अवैध कब्जा

मामला 31 मई 2024 का है। वन विभाग के भोपाल मुख्यालय से एक आदेश मैहर वन परिक्षेत्र के DFO के पास पहुंचा, जिसमें एसडीओ यशपाल मेहरा और रेंजर सतीश मिश्रा को निलंबित करने की बात कही गई। आदेश में लिखा था कि मैहर सीमेंट औद्योगिक संस्था को साल 1975 में 193 हेक्टेयर यानी करीब 477 एकड़ वनभूमि लीज पर दी गई थी। फिर संस्था ने धीरे-धीरे इस जमीन के पास 70 एकड़ वनभूमि पर कब्जा कर कॉलोनी, अस्पताल, दुकानें, स्कूल बगैरह बना लीं। वन विभाग के आदेश में ये जिक्र भी था कि सीमेंट फैक्ट्री ने ये कब्जा साल 2002 से किया है। इसे लेकर फरवरी में वन अपराध दर्ज किया गया था, लेकिन विभाग के अधिकारियों ने पहले कोई कार्रवाई नहीं की। लिहाजा, एसडीओ और रेंजर को सरकारी दायित्वों का पालन नहीं करने के लिए दोषी पाते हुए सस्पेंड कर दिया गया।  

दो अफसर सस्पेंड 

इस पूरे प्रकरण में खास यह है कि 22 साल पुराने जिस कब्जे के मामले में मैहर वन परिक्षेत्र के जिन दो अफसरों को सस्पेंड किया गया है, उनकी पोस्टिंग 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले ही हुई है। एसडीओ यशपाल मेहरा और रेंजर सतीश मिश्रा ने ही कब्जे की शिकायत मिलने पर जांच कर वन अपराध दर्ज किया था। चूंकि मामला वनभूमि पर बड़े सीमेंट उद्योग से जुड़ा था, लिहाजा उन्होंने अपनी रिपोर्ट डीएफओ को भेज दी थी। डीएफओ ने भी मामले की गंभीरता को समझकर इसका प्रतिवेदन 6 अप्रैल को CCF को भेज दिया और CCF ने वन विभाग मुख्यालय भेज दिया, लेकिन मुख्यालय से मैदानी अमले को कोई आदेश नहीं मिले और 31 मई को सीमेंट उद्योग प्रबंधन पर केस दर्ज करने वाले एसडीओ और रेंजर का निलंबन आदेश जारी हो गया।

वनकर्मियों के संगठन ने भी मोर्चा खोल

अब मामले की पेचीदगी के मद्देनजर SDO और रेंजर पर की गई कार्रवाई पर कई सवाल भी उठ रहे हैं। देश के बड़े सीमेंट उद्योग प्रबंधन पर वनभूमि पर कब्जे के चलते केस दर्ज करने वाले एसडीओ और रेंजर पर कार्रवाई से नाराज वनकर्मियों के संगठन ने भी मोर्चा खोल लिया है। कर्मचारी नेताओं ने वन विभाग के मुख्यालय में जमे अधिकारियों पर सीमेंट उद्योग प्रबंधन से साठगांठ के आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सीमेंट फैक्ट्री पर केस दर्ज होने से कुछ अधिकारियों के हित प्रभावित हो रहे हैं लिहाजा, उन्होंने बिना गलती के अपने ही कर्मचारियों को निलंबित किया है। 22 साल के दौरान एक बार भी वन परिक्षेत्र से लेकर मुख्यालय तक किसी ने ध्यान क्यों नहीं दिया। जब दो वनकर्मियों ने केस दर्ज कर मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी तो अचानक पूरा विभाग हरकत में क्यों आ गया। यानी यहां दाल में कुछ नहीं, बल्कि बहुत काला नजर आता है। 

 इस मामले में 'द सूत्र' ने वन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी जेएन कंसोटिया से बात की । ( बातचीत के अंश )

रिपोर्टर : सतना- मैहर में दो कर्मचारियों के निलंबन का मामला चल रहा है। उसमें क्या है।
एसीएस: एक विधानसभा प्रश्न हुआ था। जिसमें पाया गया था, रिप्लाई जिले से आया था कि जो मैहर सीमेंट है उसने 70 एकड़ फॉरेस्ट लैंड पर अतिक्रमण किया हुआ है। 
रिपोर्टर: जी, सर
एसीएस : जब विधानसभा में मामला आ गया तो हमने कहा था कि इस पर कार्रवाई करें। 
सवाल : फिर क्या कार्रवाई हुई।
एसीएस: कार्रवाई की रिपोर्ट शासन को प्राप्त नहीं हुई जिले द्वारा। उस आधार पर फिर रेंजर _ एसडीओ, उनको निलंबित किया गया कि आपने समय पर कार्रवाई क्यों नहीं की। जब आप खुद बोल रहे हो कि इंक्रोचमेंट है तो फिर कार्रवाई करनी चाहिए। ये मुद्दा है।
रिपोर्टर: इसमें और अधिकारियों की भूमिका, क्योंकि ये 20_22 साल  से है अतिक्रमण।
एसीएस: अब वो प्रूव करें ये लोग। भई प्रूव इन्हीं को करना है। ये रिपोर्ट करें कि ये इस तरीके से है। और कौन दोषी हैं। मुद्दा तो सरकार लेवल पर ये आता है। पीछे कितना भी हो प्रजेंट वाला जो है उसने क्या किया। ध्यान में आ गया तो फिर...
रिपोर्टर: विधानसभा में क्वेश्चन कब और किसने लगाया था।
एसीएस: ये वहां के जो चतुर्वेदी जी है ना, पिछली विधानसभा के शीतकालीन सत्र में।
रिपोर्टर: अंतिम सत्र में।
एसीएस: हां, मैहर विधायक चतुर्वेदी जी है ना। 
रिपोर्टर: इसमें कोई कार्रवाई हो रही है।
एसीएस: हां, मैने पीसीसीएफ को बोला है, जांच करके कार्रवाई करें।

thesootr links

 सबसे पहले और सबसे बेहतर खबरें पाने के लिए thesootr के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें। join करने के लिए इसी लाइन पर क्लिक करें

द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

सतना वनकर्मियों के संगठन ने भी मोर्चा खोल दो अफसर सस्पेंड वनभूमि पर अवैध कब्जा मैहर सीमेंट फैक्ट्री का कब्जा