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MP News : मध्यप्रदेश सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण को लेकर एक और ऐतिहासिक पहल की जा रही है। अब कूनो नेशनल पार्क के बाद गांधी सागर अभयारण्य (Gandhi Sagar Sanctuary) को भी चीतों (Cheetah Project) का नया घर बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव स्वयं दो चीतों को अभयारण्य में रिलीज करेंगे। इन दोनों चीतों का जन्म भारत में ही हुआ है, जो वन्य जीवन के लिए एक आशाजनक संकेत माना जा रहा है।
गांधी सागर प्रदेश का दूसरा ऐसा स्थान बनेगा जहां चीतों की बसाहट की जाएगी। यह कदम मध्यप्रदेश को 'चीतों की भूमि' के रूप में स्थापित कर सकता है।
क्यों खास है गांधी सागर अभयारण्य?
गांधी सागर अभयारण्य नीमच और मंदसौर जिलों में फैला हुआ है। यह क्षेत्र अपने समृद्ध वन्यजीव और विविध पारिस्थितिकी तंत्र के लिए जाना जाता है। चीतों के आने से यहां की जैव विविधता (Biodiversity) को बल मिलेगा। साथ ही यह इलाका पर्यटन की दृष्टि से भी आकर्षण का केंद्र बनेगा, जिससे स्थानीय रोजगार और अर्थव्यवस्था को भी लाभ पहुंचेगा।
🐾 विशेष जानकारी बॉक्स:
✅ भारत में चीतों की वापसी 70 वर्षों बाद हुई थी
✅ गांधी सागर में छोड़े जा रहे दोनों चीते भारत में ही जन्मे हैं
✅ यह परियोजना 'भारत-चीतावापसी' मिशन का विस्तार है
सांदीपनि स्कूल का होगा उद्घाटन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Chief Minister Mohan Yadav) नीमच जिले के जावद क्षेत्र में सांदीपनि स्कूल (सीएम राइज स्कूल) भवन का लोकार्पण करेंगे। इस स्कूल का निर्माण आधुनिक सुविधाओं के साथ किया गया है, जो ग्रामीण विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करेगा।
इसके साथ ही, मुख्यमंत्री दो नए उद्योगों का भूमिपूजन भी करेंगे, जिससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। इसके बाद मुख्यमंत्री विद्यार्थियों को लैपटॉप भी वितरित करेंगे।
कार्यक्रम के अंतिम चरण में वे गांधी सागर अभयारण्य पहुंचकर दो चीतों को आधिकारिक रूप से जंगल में छोड़ेंगे।
गांधी सागर में चीता बाड़ा और सुविधाएं ...
अबतक प्रोजेक्ट चीता पर खर्च हो चुके हैं 112 करोड़ रुपए
प्रोजेक्ट चीता (Project Cheetah) के तहत अब तक ₹112 करोड़ से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। इसमें अफ्रीकी देशों से चीतों को लाना, उनका रखरखाव, चिकित्सा व्यवस्था और उनके लिए वन्य क्षेत्र तैयार करना शामिल है।
वहीं, मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से अब बोत्सवाना (Botswana) से 8 नए चीते भारत लाए जाएंगे। इस बार इन चीतों को गांधी सागर अभयारण्य (Gandhisagar Sanctuary) में पुनर्स्थापित किया जाएगा।
चीतों के आने से पर्यटन और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बूस्ट
गांधी सागर सेंचुरी में चीतों की मौजूदगी यहां की जैव विविधता (Biodiversity) को तो समृद्ध करेगी ही, साथ ही स्थानीय पर्यटन और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। रामपुरा, भानपुरा जैसे क्षेत्रों में होटल, टूर गाइड, ट्रांसपोर्ट और अन्य सेवाओं की मांग बढ़ेगी।
संभावित लाभ:
- पर्यटन में वृद्धि (Tourism Boost)
- स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती (Economic Strengthening)
- नवीन रोजगार अवसर (Employment Generation)
चीतों की निगरानी और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मंदसौर के डीएफओ संजय रायखेरे ने बताया कि चीतों की निगरानी के लिए बाड़ों में कैमरे लगाए गए हैं। एक विशेष मॉनिटरिंग टीम (Monitoring Team) उनकी गतिविधियों पर नजर रखेगी। एक विशेष मेडिकल यूनिट (Medical Unit) भी गठित की गई है जो हर समय मौजूद रहेगी।
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