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मध्य प्रदेश के नेशनल पार्कों के लिए फिर एक खुशखबरी आने वाली है। नए साल की शुरुआत में एक बार फिर नए मेहमानों से प्रदेश के नेशनल पार्क आबाद होंगे। दरअसल दक्षिण अफ्रीका से 20 नए चीतों की खेप जल्द ही आ सकती है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। उम्मीद है कि फरवरी तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
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कूनो के बाद चीतों का नया आश्रय गांधी सागर तैयार
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कूनो नेशनल पार्क के बाद अब चीतों को गांधी सागर नेशनल पार्क में बसाने की तैयारी है। फिलहाल यह तय नहीं हुआ है कि आने वाले 20 चीतों में से कितने चीतों को नए पार्क में बसाया जाएगा। संभावना है कि 10 चीतों को गांधी सागर में शुरुआत में बसाने की तैयारी है। दरअसल गांधी सागर नेशनल पार्क, मंदसौर और नीमच जिलों में राजस्थान की सीमा पर स्थित है। यह वन्यजीव अभयारण्य 368.62 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। साल 1974 में इसे वन्यजीव अभयारण्य के रूप में अधिसूचित किया गया था। गांधी सागर अभयारण्य में चीतों के लिए आदर्श आवास है। यह कूनो नेशनल पार्क के बाद चीतों का दूसरा महत्वपूर्ण आवास होगा।
क्यों चुना गया गांधी सागर नेशनल पार्क
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- यहां चंबल नदी बहती है और यह अभयारण्य को दो हिस्सों में बांटती है।
- इस अभयारण्य में चिंकारा, नीलगाय, चित्तीदार हिरण, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, और सियार जैसे जानवर पाए जाते हैं।
- यहां सलाई, करधई, धावड़ा, तेंदू, और पलाश जैसी प्रमुख वृक्ष प्रजातियां हैं।
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खास बातें- 20 चीते लाए गए थे दो चरणों में
16 सितंबर 2024 को एक ऐतिहासिक प्रयोग के तहत पहली बार अफ्रीकी चीतों के भारत आगमन के दो वर्ष पूरे हो गए हैं। 2022 में नामीबिया से आठ चीते और दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते 2023 में दो बैचों में आयात किए गए थे। मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में उनको बसाया गया था। आठ चीतों (जिनमें पांच मादा और तीन नर हैं) का पहला जत्था 17 सितंबर, 2022 को नामीबिया से केएनपी लाया गया, उस दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 72वां जन्मदिन भी था। इन चीतों को केएनपी के भीतर क्वारंटीन बोमास (बाड़ों) में छोड़ने की प्रक्रिया की निगरानी खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने की थी।
- इसके बाद चीतों की आबादी को मजबूत करने के लिए, दक्षिण अफ्रीका के विभिन्न निजी खेल रिजर्वों से 12 चीते और खरीदे गए। यह दूसरा बैच 18 फरवरी, 2023 को भारत पहुंचा था।
- मार्च 2023 में, नामीबियाई मादा चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया। लेकिन केवल एक ही जीवित बचा। जनवरी 2024 में, उसने फिर से शावकों के दूसरे झुंड को जन्म दिया।
- एक और नामीबियाई मादा आशा ने ज्वाला के दूसरे शावक के आने से कुछ हफ्ते पहले ही तीन शावकों को जन्म दिया था। मार्च 2024 में चीता गामिनी के छह शावकों के जन्म से शावकों की संख्या और भी मजबूत हुई।
- भारतीय धरती पर जन्मे शावकों में से पांच की मृत्यु हो चुकी है।
- कूनो में अब 12 भारतीय शावक (भारत में जन्मे 17 में से) और 12 वयस्क (नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 में से) हैं।
नामीबियाई चीता में निम्नलिखित शामिल हैं (वयस्क और शावक सहित)
ज्वाला - जीवित है। उसके पांच बच्चे हैं
आशा - जीवित है। उसके तीन बच्चे हैं
नाभा - जीवित
गौरव - जीवित
पवन - मृतक
धात्री - मृतक
साशा - मृतक
शौर्य - मृतक
दक्षिण अफ्रीका चीता में निम्नलिखित शामिल हैं (वयस्क और शावक सहित)
अग्नि - जीवित
वायु - जीवित
प्रभास - जीवित
पावक - जीवित
वीरा - जीवित
धीरा - जीवित
निरवा - जीवित
गामिनी - जीवित, उसके 4 बच्चे हैं
तेजस - मृतक
उदय - मृतक
सूरज - मृतक
दक्ष - मृतक
विश्व पटल पर श्योपुर ने पाई पहचान
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कूनो नेशनल पार्क में पहले शेरों को बसाने की कवायद जारी थी। मगर, यहां पर शेरों की जगह चीतों को लाया गया। देश की धरती पर 70 बाद चीतों की आमद हुई। कूनो नेशनल पार्क को इसलिए सिलेक्ट किया गया था, क्योंकि यहां की आवोहवा को चीतों के अनुकूल पाया गया था। चीता प्रोजेक्ट के कूनो में आने से श्योपुर को पहचान मिली है।
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